सिर्फ एक सरकारी और 12 निजी सीटी स्कैन के भरोसे है 24 लाख की आबादी
- एक दिन में सरकारी मशीन पर 40-45 तो प्राइवेट पर पहुंच रहे 700 मरीज
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सबसे गंभीर असर मरीजों के फेंफड़ों पर देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि विशेषज्ञ फेंफड़ों में संक्रमण की स्थिति का पता करने के लिए चेस्ट का सीटी स्कैन करा रहे हैं। ग्वालियर जिले की 24 लाख की आबादी जांच के लिए सरकारी तौर पर जेएएच में लगी सीटी स्कैन मशीन पर निर्भर है। यहां रोज 40 से 50 मरीजों के चेस्ट के सीटी स्कैन हो रहे हैं, जिसमें से करीब 30 से 35 मरीज कोरोना के लक्षण वाले आते हैं। इसके लिए मरीज को 1800 रुपए की पर्ची कटवानी पड़ती है।
जिले के बाकी मरीजों को शहर के 12 प्राइवेट सीटी स्कैन सेटरों पर जाना पड़ता है। यहां राेजाना 600 से 700 लोग कोरोना संक्रमण की जांच के लिए सीटी स्कैन कराने पहुंच रहे हैं। शासन ने इनके लिए जांच शुल्क 3000 रुपए तय किया है। पहले 5000 रुपए देने पड़ते थे। जिले के कोविड प्रभारी और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के अनुसार मुरार जिला अस्पताल सहित अंचल के सीटी स्कैन मशीन की सुविधा से वंचित जिला अस्पतालों के लिए पांच सीटी स्कैन मशीन की स्वीकृति मिल गई है।
डबरा और भितरवार में सीटी स्कैन तो दूर डिजिटल एक्सरे तक की नहीं है सुविधा
जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित डबरा की आबादी करीब 1 लाख तथा भितरवार की 25 हजार है। डबरा में सिविल अस्पताल है और भितरवार में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। डबरा और भितरवार में सीटी स्कैन की तो छोड़िए यहां डिजिटल एक्सरे तक की सुविधा ही नहीं है। इसके साथ ही भिंड, श्योपुर और दतिया में भी सीटी स्कैन सुविधा नहीं है।
पांच सीटी स्कैन मशीन हो चुकी हैं स्वीकृत
जिला अस्पताल मुरार सहित ग्वालियर और चंबल संभाग के उन जिला अस्पतालों जहां सीटी स्कैन मशीन की सुविधा नहीं है, उनके लिए शासन ने हाल ही में 5 सीटी स्कैन मशीन के लिए राशि स्वीकृत कर दी है।
एक्सपर्ट व्यू; बुखार आने के 5 से 7 दिन बाद कराना चाहिए सीटी स्कैन
^ कोरोना वायरस के मरीजों को बुखार आने से 5 से 7 दिन बाद सीटी स्कैन कराना चाहिए। इससे पता चलता है कि काेरोना ने चेस्ट पर कितना असर डाला है। 55 साल से अधिक उम्र के अधिक लोगों का हर दिन ऑक्सीजन स्तर चेक करें। इसके बाद उन्हें छह मिनट तक वॉक कराकर फिर ऑक्सीजन स्तर देखें। अगर ऑक्सीजन स्तर 94 से कम आ रहा है तो सीटी स्कैन कराना चाहिए।
इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को भूख नहीं लगती है और शरीर में काफी कमजोरी भी उसे महसूस हो रही है। ऐसे लोगों का पहले आरटीपीसीआर या रेपिड एंटीजन टेस्ट कराएं। अगर वह निगेटिव आता है तो फिर चेस्ट की सीटी कराकर संक्रमण की स्थिति पता करनी चाहिए। करीब 20-30 प्रतिशत मरीज हैं जिनकी कोरोना की जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है लेकिन जब चेस्ट सीटी कराने पर पता चलता है कि फेफड़े संक्रमित हैं।