वो टीस अब भी बाकी है! क्यों ‘योगी सरकार’ कहने से परहेज करते हैं डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्या
2017 में यूपी में मौर्या की अगुवाई में मिली थी बीजेपी को बंपर जीत. सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कम कर दिया था मौर्या के विभाग का बजट.
सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के बीच दूरी की खबरें कोई नई नहीं हैं. और इस आग में घी का काम केशव प्रसाद मौर्या के एक बयान ने डाल दिया. मौर्या ने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद कौन सीएम बनेगा ये केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा. जिसके बाद बीजेपी के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच इस दूरी की चर्चा विधानसभा चुनाव से पहले और तेज हो गई है.
सीएम और डिप्टी सीएम के बीच सब कुछ ठीक चल रहा है , यूपी की सियासी गलियारों में ये सवाल तो पिछले साढ़े चार साल से उठते रहे हैं. लेकिन दोनों के रिश्तों में पिछले कुछ महीनों में और खटास आई है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद केंद्र के साथ राज्य सरकार की तारीफ तो करते हैं लेकिन अकसर ‘योगी सरकार’ शब्द से परहेज करते देखे गए हैं. इसे चाहे मनभेद कहिये या मतभेद लेकिन कई बार इसकी झलक दिखाई पड़ी है.
मौर्या की अगुवाई में मिली थी BJP को बंपर जीत
दोनों नेताओं के बीच इस खटास की शुरुआत 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद हुई. दरअसल पार्टी के समर्पित नेता और बड़े OBC चेहरा होने की वजह से चुनाव से पहले यूपी बीजेपी की कमान केशव प्रसाद मौर्या को मिली थी. उनकी अगुवाई में ही यूपी बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की. बीजेपी को मिली 324 सीटों में अकेले बीजेपी को 311, सहयोगी अपना दल को 9 जबकि राजभर की पार्टी को 4 सीट मिली. और सपा कांग्रेस गठबंधन और बसपा की बुरी तरह हार हुई. केशव के समर्थक उन्हें अघोषित मुख्यमंत्री मान रहे थे. लेकिन तभी केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम के तौर पर योगी आदित्यनाथ के नाम पर मंजूरी दे दी.
तब केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में माने मौर्या
केशव आरएसएस, विहिप और बजरंदल के भी करीब थे और बीजेपी में संगठन का लम्बा अनुभव था. लेकिन पार्टी का हिंदुत्व पोस्टर बॉय होने की वजह और चुनाव में उसके प्रभाव से नेतृत्व ने उनके नाम पर मुहर लगा दी. इसके बाद केशव खासे नाराज़ हुए लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने न सिर्फ उन्हें मनाया बल्कि डिप्टी सीएम बनाने के साथ पीडब्लूडी जैसा अहम विभाग देने का वादा किया. केशव ने केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में मान तो गए लेकिन इस बात की टीस न सिर्फ उनके बल्कि समर्थकों के बीच आज भी है.
CM योगी ने कम किया मौर्या के विभाग का बजट
अक्सर केशव मौर्या और योगी आदित्यनाथ में दूरी देखने को मिल जाती है. केशव यूपी सरकार और मोदी सरकार की तारीफ़ तो करते हैं लेकिन योगी सरकार बोलने से परहेज़ करते हैं. ऐसा नहीं है की केशव के मन में ही दूरी है बल्कि सीएम योगी भी गाहे बेगाहे केशव से असहज दिखाई पड़ते हैं. कई बार मंच और बैठकों में दोनों की दूरी दिखाई पड़ जाती है. योगी ने सरकार बनने के बाद केशव मौर्या के विभाग PWD का सालाना बजट कम कर दिया. जिसके बाद केशव ने भी सभी विधायकों जो किसी भी पार्टी के हों उनको पांच करोड़ का काम अपने विभाग से कराने का प्रावधान कर दिया. योगी ने उनके कई सरकारी कार्यक्रम कम कर दिए, तो केशव पार्टी के कार्यक्रमों में ज्यादा सक्रियता दिखाने लगे.
कार्यकर्ताओं के बीच ज्यादा सक्रिय हैं मौर्या
साल 2017 यूपी के मुख्यमंत्री का दफ्तर जब लोकभावन में शिफ्ट हुआ तो केशव मौर्या ने योगी के पुराने दफ़्तर में अपनी नेम प्लेट लगा दी जो बाद में हटाई गई. यूपी का सीएम बनने से पहले योगी आदित्यनाथ कभी कभी ही पार्टी दफ्तर जाते थे. जबकि केशव अक्सर पार्टी दफ्तर जाकर संगठन के नेताओं और कार्यकर्तों की सुनते रहते हैं. कहा जाता है कि एक ओर जहां योगी नेताओं और कार्यकर्ताओं से ज्यादा संवाद नहीं कर पाते हैं वहीं केशव सबसे मिलते जुलते रहते हैं, उनके काम भी करते रहते हैं.