चंबल में अवैध रेत के खिलाफ कार्रवाई ठप:धड़ल्ले से खनन कर रहे रेत माफिया, सबकी आखों के सामने हो रहा परिवहन
जिले के रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई ठप हो गई है। वन विभाग उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। वन विभाग का अमला छोटे-मोटे पत्थर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करके औपचारिकता कर रहा है। विभाग ने धौलपुर रोड पर नाका भी हटा दिया है। जिससे अवैध रेत के ट्रेक्टर फर्राटा भरकर निकल रहे हैं। बताया जाता है कि यह कार्रवाई राजनैतिक आका के इशारे पर रोकी गई है।
चंबल अभयारण्य की एसडीओ श्रद्धा पांढ़रे ने चार्ज लेने के बाद से ही अवैध रेत माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। डेढ़ माह के दौरान उन्होंने 40 वाहन राजसात कर लिए थे। लगातार कार्रवाई से जिले के रेत माफिया आक्रोशित हो गए। उन्होंने एसडीओ पर हमला करना शुरू कर दिया। पिछले तीन माह में एसडीओ पर 9 बार हमला हो चुका है। इन हमलों के बावजूद एसडीओ लगातार कार्रवाई करती रहीं। उसके बाद पिछले 15 दिनों से यह कार्रवाई ठप हो गई। इसके ठप होने के पीछे मुख्य कारण सूबे के राजनैतिक आका का इशारा बताया जा रहा है।
सूबेदार सिंह रजौधा कर चुके खिलाफत
एसडीओ श्रद्धा पांढ़रे लगातार रेत माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही कर रही थीं। उनकी कार्रवाई से बीजेपी के जौरा से विधायक, सूबेदार सिंह रजौधा को खुशी होनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने उनका विरोध करना शुरु कर दिया। यहां तक कि मीडिया के सामने उन्होंने एसडीओ पर झूठी लोकप्रियता हासिल करने तक के आरोप लगाए। यहां तक कह डाला कि एसडीओ पर माफिया हमला नहीं करते हैं, बल्कि वह स्वयं माफियाओं पर हमला करती हैं।
विधायक कमलेश जाटव पर लगा आरोप
नगरा थाने के अर्न्तगत आने वाले गांव अमोलपुरा में वन विभाग के अमले की गोली से महावीर सिंह तोमर नामक एक युवक की मौत हो गई थी। घटना 13 जून की है। महावीर सिंह तोमर की मौत के बाद ग्रामीणों ने वन अमले पर हमला बोल दिया था। उनकी शासकीय बुलेरो गाड़ी भी तोड़ डाली थी। वन अमले के सदस्य जान बचाते हुए वहां से भाग खड़े थे। बाद में नगरा थाना पुलिस ने हत्या के आरोप में 9 वन कर्मियों के खिलाफ धारा 302 के अर्न्तगत हत्या का मामला दर्ज कर लिया था। इस दौरान ग्रामीणों को समझाने स्थानीय भाजपा विधायक कमलेश जाटव पहुंचे थे।
उन्होंने मौके पर मौजूद एसडीओपी मानवेन्द्र सिंह से कहा कि पुलिस रेत माफियाओं से अवैध वसूली करती हैं, उसे हर हाल में रोकें। उनके जवाब देने से पहले ही एसडीओपी के गनर ने विधायक को उंगली दिखाते हुए कहा कि अगर हम रेत वसूली नहीं करेंगे, तो आपको हिस्सा कहां से देंगे। सबके सामने गनर द्वारा ऐसा बोलने पर विधायक की सबके सामने किरकिरी हो गई थी। विधायक कमलेश जाटव ने उसके बाद अवैध रेत माफियाओं के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटाई।
वोट बैंक खोने का डर सता रहा विधायकों को
जानकारी के मुताबिक मुरैना जिले में हो रहे अवैध रेत खनन में गांव के गांव शामिल हैं। यह लोग अधिक पढ़े लिखे नहीं है। एक विशेष समुदाय के लोग इसमें अधिक संलिप्त पाए जाते हैं। इनकी संख्या अधिक है। इनमें कुछ राजनैतिक लोगों के आदमी है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि पूरा अवैध रेत खनन क्षेत्रीय राजनैतिक संरक्षण में कराया जा रहा है। इसीलिए इस पर अभी तक स्थाई रुप से रोक नहीं लग सकी है।
सूबे के सरदार को नहीं पसंद
सूबे के सरदार, पिछले कुछ दिनों से सक्रिय हैं। वह लगातार मुरैना का दौरा कर रहे हैं। आखिर करें भी क्यों नहीं, सूबा जो उनका ठहरा। उन्हें पूरे सूबे को सम्हालने का जिम्मा जो मिला है। जनता भी उन्ही की हैं, क्योंकि गद्दी पर तो उसी ने बैठाया है। दोबारा भी वहीं बैठाएगी। सरदार के छोटे कारिंदों को अवैध रेत से तकलीफ हो रही है। कारिंदों को भी दोबारा जीतना है। लिहाजा यह तय बताया जाता है कि अब मुरैना जिले में अवैध का खनन करने वाले रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी।
जिला प्रशासन बैठ गया शांत
जिला प्रशासन ने अवै रेत के भण्डारों को मिट्टी में मिलाने की कार्यवाही शुरु की थी। इसके लिए राजस्व, वन विभाग, माइनिंग व पुलिस के साथ संयुक्त रुप से टॉस्क फोर्स को गठन किया गया था। केवल एक बार ही टॉस्क फोर्स ने कार्रवाई की है। इसके बाद मामला पूरी तरह से ठप पड़ गया है।
एसडीओ से शिकायत कर रहे ग्रामीण
15 दिन पहले टॉस्क फोर्स द्वारा एक बार डंप रेत पर कार्रवाई की गई थी। उस कार्यवाही में लगभग एक हजार ट्रैक्टर ट्राॅली रेत मिट्टी में मिलाया गया था। उस कार्यवाही से ग्रामीणों में उत्साह आ गया। उन्होंने एसडीओ श्रद्धा पांढ़रे को फोन करके कहा कि उनके खेत में रेत माफियाओं ने अवैध रेत का स्टॉक जबरन करके रखा हुआ है। उसे हटवा दें तो उनका खेत खाली हो जाएगा। लेकिन इसके बावजूद न जिला प्रशासन कार्यवाही करने में रुचि ले रहा है और न ही वन विभाग।
कहती हैं एसडीओ
ग्रामीणों के हमारे पास फोन आ रहे हैं, कि मैडम हमारे खेत में रेत डंप किया हुआ है। उसे हटवा दें तो हमारा खेत खाली हो जाएगा। कई ग्रामीणों के फोन आ चुके हैं। अब, टास्क फोर्स अगर हमारे साथ आ जाए तो हम कार्रवाई करने के लिए तैयार बैठे हैं।
श्रद्धा पांढ़रे, एसडीओ, वन विभाग, मुरैना