उजड़ी गृहस्थी देखकर भर आए आंसू:बाढ़ का पानी उतरा तो 3 दिन बाद गांव लौटे; ग्वालियर के चांदपुर में 580 मकान में से 260 मलबा बन गए
ग्वालियर में सिंध और पार्वती नदी की तबाही की तस्वीर अब सामने आ रही है। डबरा तहसील का चांदपुर गांव पूरी तरह से तबाह हो गया है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव की मनीषा बघेल अपने दो भाइयों के साथ गांव लौटी। घर का एक कमरा छोड़कर सबकुछ मलबा में बदल गया है। 40 क्विंटल गेहूं खराब हो गया है। तीनों मलबे में गृहस्थी के सामान तलाश रहे हैं। मनीषा ने कहा- तबाही का जो मंजर देखा है वह कभी भूल नहीं पाएगी।
यह दर्द सिर्फ मनीषा और उसके भाइयों का नहीं है। डबरा-भितरवार के 46 गांव के करीब 20 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आए। अकेले डबरा के चांदपुर गांव में 580 मकान पानी में डूब गए थे। इनमें से 260 कच्चे और पक्के मकान मलबा में बदल गए हैं। तबाही के 3 दिन बाद बाढ़ का पानी उतरने पर धीरे-धीरे गांव के लोग वापस लौट रहे हैं। उजड़ी गृहस्थी देखकर उनकी आंखे भर आई हैं। किसी का घर तबाह हो चुका है तो किसी का घर किसी लायक नहीं बचा।
भाइयों को पाल रही मनीषा, इस संकट से कैसे निकलेगी
चांदपुर निवासी मनीषा बघेल उसके भाई अमित और विजय तीनों तबाही के तीन दिन बाद गांव लौटे। घर का एक कमरा छोड़ पूरा घर मलबे में बदल गया है। बचा कमरा भी जर्जर हो गया है। घर से कीचड़ हटाकर गृहस्थी को खोज रहे थे और रोते जा रहे थे। मनीषा का कहना है कि तबाही का जो मंजर उन्होंने देखा है वह उसे जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे।
मनीषा ने बताया कि बचपन में ही उसके मां-पिता गुजर गए थे। वह अपने दोनों भाइयों के साथ यहां रहती है। रिश्ते के चाचा-चाची ने जमीन दिलाई थी, जिससे वह किसी तरह गुजर बसर कर अपने भाइयों को पाल रही थी। जब बाढ़ का पानी गांव में भरा तो वह सारा सामान छोड़कर भाइयों को लेकर पलायन कर गए। तीन दिन राहत कैंप में रहे। अब जब घर लौटे हैं तो सब कुछ तबाह हो चुका है। 40 क्विंटल गेहूं खराब हो चुका है। कई कीमती सामान मलबे में दब गए हैं।
46 गांव के 20 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए
ग्वालियर जिले में सिंध, पार्वती, नोन नदी के उफनने के बाद 46 गांव बाढ़ की चपेट में आए थे। यहां के करीब 20 हजार लोग प्रभावित हुए थे। कई गांव से कीमती सामान लेकर अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर गए थे। जिन लोगों ने गांव में रहने की सोची थी वह गहरे संकट में फंस गए थे। 17 रेस्क्यू स्थल बनाए गए हैं। शुक्रवार को 14.5 MM बारिश हुई है। नदियां भी खतरे के निशान के लगभग ही चल रही हैं। शुक्रवार तक 3 दिन में करीब 300 से ज्यादा लोगों रेस्क्यू करके बाढ़ से बचाया गया है। 8250 लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। 25 से ज्यादा राहत शिविर बनाए गए हैं। यहां पलायन करने वाले लोगों को कपड़े, खाना और अन्य इंतजाम किए गए हैं।
3 हजार से ज्यादा घर डूबे, 1 हजार बह गए
डबरा-भितरवार के 46 गांव में करीब 3 हजार से ज्यादा घर पानी में डूबे हैं। इनमें से 1 हजार से ज्यादा मकान (कच्चे-पक्के) बह गए या ढह गए हैं। अब इन लोगों की जिंदगी को पटरी पर लाना ही सरकार के लिए सबसे बढ़ा चैलेंज हैं। जो मकान ढह गए हैं या मलबे में तब्दील हो गए हैं वह तो साफ दिख रहे हैं, लेकिन डूबने के बाद जो मकान बच गए थे वह भी जर्जर हो चुके हैं।
नुकसान का आकलन बड़ी समस्या
गांव में नुकसान का आकलन करने के लिए शुक्रवार से अफसरों ने काम भी शुरू कर दिया है। पर यह आकलन भी अपने आप में चुनौती है। मकान, मवेशी, अनाज और अन्य तरह की संपत्ति की गणना कैसे की जाएगी यह भी बहुत पेचीदा है।
शुक्रवार को प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भी क्षेत्र का दौरा किया है। इसके बाद उन्होंने अफसरों के साथ लगातार बैठक की हैं। प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट, ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कलेक्टर, एसपी के साथ तबाही की चपेट में आए गांव में दौरा किया है। साथ ही जल्द से जल्द नुकसान का आकलन करने और पीड़ितों को राहत देने की बात कही है।
पानी छोड़ने से 6 घंटे पहले देनी होगी सूचना
शुक्रवार को प्रभारी व जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कलेक्टोरेट में अफसरों की बैठक ली है। बैठक में उन्होंने कहा है कि ग्वालियर अतिवृष्टि से आई आपदा की घड़ी में जल संसाधन विभाग का अमला 24 घंटे मुस्तैद रहकर काम करे। बांधों व जलाशयों से पानी छोड़ने की सूचना कम से कम 6 घंटे पहले प्रशासन व पुलिस को दी जाए, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके। यह चुनौती का समय है, जो भी अधिकारी-कर्मचारी अपने कर्तव्य निर्वहन में ढ़िलाई करेगा उसे विभाग में रहने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बारिश से क्षतिग्रस्त हुई चंबल नहरों सहित सभी जल प्रणालियों को युद्ध स्तर पर दुरूस्त करने पर भी विशेष बल दिया।
यह भी निर्देश दिए
- मड़ीखेड़ा सहित सभी बड़े बांधों पर स्थायी रूप से वायरलेस सिस्टम लगाए जाएं।
- बांधों से उतना ही पानी छोड़ें जितना नदियों में समा सके, जिससे बाढ़ की स्थिति निर्मित न हो।
- तिघरा डैम के साथ-साथ रमौआ, हिम्मतगढ़, वीरपुर व मामा का बांध भी भरा जाए।
बांध का नाम | क्षमता | वर्तमान स्थिति |
मड़ीखेड़ा | 346.25 मीटर | 343.55 मीटर |
मोहनी सागर बांध | 276.25 मीटर | 273.00 मीटर |
अपर ककैटो डैम | 1844 MCFT | 1844 MCFT |
ककैटो बांध | 3000 MCFT | 2800 MCFT |
पेहसारी बांध | 1562 MCFT | 1562 MCFT |
तिघरा डैम | 740 फीट | 727.30 फीट |