इटावा…सैफई विवि का असिस्टेंट प्रोफेसर निकला खून का सौदागर:ब्लड में स्लाइन वाटर मिलाकर 1200 से 6 हजार में बेचता था; लखनऊ से साथी के साथ गिरफ्तार, 100 यूनिट ब्लड और कई ब्लड बैंकों के प्रपत्र बरामद
2018 में शुरू हुई थी जांच
26 अक्टूबर 2018 को यूपी स्पेशल टॉस्क फोर्स ने अवैध तरीके से मानव रक्त निकालकर उसमें स्लाइन वॉटर की मिलाबट से दोगुना कर उसको बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर 05 अभियुक्तों को असुरक्षित ब्लड एवं कूटरचित दस्तावेजों सहित गिरफ्तार किया था, तभी से एसटीएफ इस पूरे ब्लड बैंकों पर निगरानी और गिरोह की निशानदेही पर लगातार कार्य कर रही थी।
लखनऊ की गोल्फ सिटी से चल रहा था खेल
सैफई विश्वविद्यालय में 18 अगस्त 2018 को बलिया के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभय सिंह ने ब्लड बैंक चार्ज संभाला था। खून के कारोबार से उन्होंने करोड़ों की संपत्ति जुटा रखी है। सूत्रों कि माने तो लखनऊ से लेकर नोएडा तक करोड़ों के फ्लैट खरीद कर वहां से कारोबार किया जा रहा था। फ्लैटों में बड़े-बड़े फ्रीजर से लेकर कई मशीनों रखी जाती थी। फिर यहीं से बेचा जाता था। इसमें सैफई विश्वविद्यालय के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के जुड़े होने की आशंका है। अभय सिंह का नेटवर्क राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तक था।
शिकायत पर बर्खास्त हुए थे तत्कालीन असिस्टेंट प्रोफेसर
ब्लड की तस्करी का खेल काफी पुराना है। तत्कालीन कुलपति डॉ. टी प्रभाकर ने विश्वविद्यालय में ब्लड से प्लाज्मा निकालने का ठेका एक निजी कम्पनी रिलाइंस लाइफ साइंसेज कम्पनी को 2016-17 में दिया था। रिलाइंस लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड ने लाखों रुपयो की डीप फ्रीजर मशीन विश्वविद्यालय में लगाई थी। प्लाजमा को -80 डिग्री सेल्सियस पर 3 साल तक संरक्षित करके रख सकते हैं जिससे डेंगू जैसी गम्भीर बीमारियों में प्लाज्मा चढ़ाया जा सके। निजी कम्पनी विश्वविद्यालय से प्लाज्मा लेती रही। विश्वविद्यालय के तत्कालीन अस्सिस्टेंट प्रोफेसर तारिक महमूद ने सैफई थाने ने फरवरी 2018 में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद उनको विश्वविद्यालय से बर्खास्त कर दिया गया था।
विश्वविद्यालय से नहीं मिला था रक्त
विश्वविद्यालय में जहां 15 सितंबर 2017 को एमबीबीएस छात्र दिग्विजय सिंह की मां मनीषा देवी की मौत केवल इस वजह से हो गई कि छात्र की मां को विश्वविद्यालय से रक्त नहीं मिला। जबकि छात्र हर माह बड़ी तादात में ब्लड डोनेट करते चले आ रहे हैं। विश्वविद्यालय में छात्रों की 10 दिन हड़ताल भी चली थी।
सूत्रों की माने तो सैफई में मरीज के तीमारदारों से इलाज के बहाने एक यूनिट के बदले 4 से 5 यूनिट एक्स्ट्रा खून डोनेट करवाया जाता है और बताया जाता है कि मरीज को बाद में चढ़ाया जाएगा।
सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कर्मचारी भ्रस्टाचार में लिप्त!
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गरीबों के इलाज के लिए 2004 में सैफई यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी। इसी साल डॉक्टर समीर सर्राफ द्वारा गरीबों के दिलों के साथ हजारों के स्टंट डालने के नाम पर लाखों रुपयों की वसूली का मामला सामने आया था। इसका सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुई, लेकिन जांच के नाम पर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।