ओबीसी आरक्षण की घोषणा का बेरोजगारों पर असर:9 महीने में 3.50 लाख पिछड़ों ने नौकरी के लिए कराया रजिस्ट्रेशन; प्लेसमेंट के बारे में किसी एक विभाग या एजेंसी की जिम्मेदारी तय नहीं

मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण देने की सरकार ने घोषणा की है। इसका असर ये हुआ कि 2021 के इन 9 महीनों में प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में 3.50 लाख ओबीसी वर्ग के युवाओं ने नौकरी के लिए अपने रजिस्ट्रेशन करा लिए हैं।

ये संख्या इस साल दर्ज कुल रजिस्ट्रेशन की 50% है। जबकि 2020 के ओबीसी रजिस्ट्रेशनों से 1.30 लाख ज्यादा है। तब सालभर में 2.22 लाख ओबीसी युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराए थे। अभी प्रदेश में 32 लाख 77 हजार 856 बेरोजगार दर्ज हैं, इनमें सबसे ज्यादा 40.20% (1317977) ओबीसी हैं, जो कि सामान्य वर्ग के रजिस्टर्ड बेरोजगारों (10 लाख 18 हजार) से भी तीन लाख ज्यादा हैं। प्रदेश की आबादी में करीब आधा हिस्सा ओबीसी वर्ग का है। इसके बाद अनुसूचित जनजाति (21.1%) का है।

बता दें कि सरकार ने अभी खाली पड़े सरकारी पदों के आंकडे़ नहीं दिए हैं, लेकिन उसके रोजगार पोर्टल पर गैर सरकारी नौकरियों के 13390 पद खाली होने की जानकारी दर्ज है। बेरोजगारों के पंजीयन के लिए तो एक तयशुदा व्यवस्था है, लेकिन प्लेसमेंट के बारे में किसी एक विभाग या एजेंसी की जिम्मेदारी तय नहीं है।

रोजगार संचालनालय ने यशस्वी नामक संस्था को प्लेसमेंट के लिए अधिकृत किया है। वहीं सैडमेप भी इनदिनों प्लेसमेंट का काम कर रही है। यूनिवर्सिटी और कॉलेज के माध्यम से होने वाले प्लेसमेंट की जानकारी सरकार के पास नहीं होती है।

कोरोना में 41% बढ़े रजिस्टर्ड बेरोजगार

कोरोना काल में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या में 41% बढ़ी। पिछले दो साल में लगभग 13 लाख 70 हजार बेरोजगारों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें 8 लाख 32 हजार 434 इसी साल के हैं। यह संख्या अब तक दर्ज बेरोजगारों की संख्या की एक चौथाई है। कोरोना काल में 31,249 युवाओं को प्राइवेट क्षेत्र में नौकरी मिली, लेकिन इनमें से लगभग 10 हजार युवा या तो नौकरी छोड़ चुके हैं या उन्हें हटा दिया गया है।

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