गोरखपुर…जानें कैसे चल रहा शहर में अवैध पटाखों का खेल? ….छापामारी से पहले ही पहुंच जाती कारोबारियों को सूचना, घनी आबादी में थोक लाइसेंस का हो गया रेन्यूअल; सेटिंग से हो रहा मौत का कारोबार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में दीवाली में अवैध पटाखों का कारोबार पुलिस व जिला प्रशासन के रहमोंकरम पर शहर की घनी आबादी में बेखौफ चल रहा है। कोतवाली इलाके के छोटेकाजीपुर में कारोबारी सद्दन खान के गोदाम से बरामद पटाखों के जखीरे के बाद अब तक तक शहर में पटाखों की बिक्री नहीं होने का दावा करने वाले अधिकारी भी अब चुप्पी साध लिए हैं। क्योंकि शहर की घनी आबादी में अवैध पटाखों का कारोबार पुलिस व जिला प्रशासन के रहमोंकरम पर भी चल रहा है।

हालत यह है कि अवैध कारोबारियों से लेकर शहर के 12 जगहों पर लगने वाले अस्थाई लाइसेंस जारी करने में भी बड़ा खेल चल रहा है। वहीं, 90 फीसदी तक अवैध पटाखे बिक जाने के बाद हुई यह कार्रवाई भी शहर भर में चर्चा का विषय बन गई है। क्योंकि थोक में अधिकांश पटाखे दशहरा तक ही बिक जाते हैं। अब सिर्फ छिटपुट फुटकर का ही कारोबार बचा है।

अवैध कारोबारियों पर इतनी मेहरबानी क्यों?
दरअसल, इस बार दीवाली में शहर में अवैध पटाखों का कारोबार करने वाले कारोबारी सद्दन खान हो या फिर सुल्तान, दोनों ने नए गोदाम बना लिए थे। हालांकि ऐसा नहीं है कि कारोबारियों के इन गोदामों की पुलिस और जिला प्रशासन को जानकारी नहीं थी, बल्कि गोदामों की सूचना लीक होते ही उससे पहले इसकी सूचना कारोबारियों तक पहुंच जाती और वे रातोंरात यहां से अपना माल कहीं और शिफ्ट कर देते। ऐसे में देर से ही सही, लेकिन सोमवार को शहर में 20 लाख रुपए से अधिक के अवैध पटाखे बरामद होने के बाद पुलिस और प्रशासन दोनों के मिलीभगत की पोल खुल गई।

घनी आबादी के लिए भी जारी हो गया थोक का लाइसेंस
इतना ही नहीं, इस अवैध धंधे में सेटिंग का आलम यह है कि होलसेल अवैध कारोबारियों को अगर छोड़ भी दें तो थोक से लेकर फुटकर दुकानें लगाने के लिए अस्थाई लाइसेंस जारी करने में भी ​वसूली का खेल जारी है। पकड़े गए पटाखा सद्दन खान के पास भी पटाखों के शहर की घनी आबादी में 1500 किलोग्राम का लाइसेंस है।

हालांकि एडीएम सिटी विनित कुमार सिंह का कहना है कि शहर की आबादी वाले इलाकों के लिए किसी भी हाल में लाइसेंस का प्रावधान नहीं है। जबकि सद्दन खान के पास कोतवाली इलाके के छोटीकाजीपुर स्थित आवास के लिए 2024 तक के लिए रेन्यू लाइसेंस है। यह लाइसेंस वर्ष 2019 में रेन्यूअल किया गया है। सन् 1990 में यह लाइसेंस पहली बार आयशा खान के नाम पर बना था। अब ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि रेन्युअल से पहले यहां की फॉयर रिपोर्ट, पुलिस वेरिफिकेशन आदि किस आधार पर की गई और किस आधार पर शहर की घनी आबादी के लिए 1500 किलो थो​क का लाइसेंस दोबारा जारी कर दिया गया। हालांकि अब यह जांच कराई जा रही है कि आखिर किस आधार पर शहर की घनी आबादी के लिए जारी लाइसेंस का रेन्यूअल कर दिया गया।

तीन दिनों का लाइसेंस पड़ रहा काफी महंगा
इतना ही नहीं, शहर के टाउनहाल, जुबिली कॉलेज और चंपा देवी पार्क के लिए लाइसेंस का आवेदन करने वाले कारोबारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महज तीन दिन यानी कि धनतेरस के दिन से लेकर दीपावली की रात तक के लिए उन्हें अस्थाई लाइसेंस के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। सिटी मजिस्ट्रेट दफ्तर से लाइसेंस फार्म लेने के बाद दो थानों की सत्यापन रिपोर्ट लग रही है। पहला थाना लाइसेंस धारक जहां का निवासी है और दूसरा जिस इलाके में उसे दुकान लगानी है। व्यापारियों के मुताबिक इसके लिए थानों पर उनसे मोटी कीमत वसूल की जा रही है।

इसके बाद फायर विभाग की रिपोर्ट लगावाने के लिए 2 से 3 हजार रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं, 500 रुपए का बैंक चालान और 500 रुपए का इंश्योरेंस अलग से देना पड़ता। इतना ही नहीं, आखिरी में फाइल जमा करने के लिए भी अलग से शुल्क निर्धारित है। जबकि टाउनहाल जैसे मैदान में तीन दिनों की दुकान लगाने के लिए व्यापारियों को 4500 रुपए की रशीद कटवानी पड़ती।

कई बार हो चुका है हादसा
अवैध पटाखों के इस कारोबार से शहर में कई बार बड़े हादसे भी हो चुके हैं और इसमें कई जाने भी जा चुकी हैं। सन् 1999 में सद्दन खान के छोटेकाजीपुर स्थित घर पर बने पटाखों के गोदाम में भीषण आग लग चुकी है। इस आग पर काबू पाने के लिए प्रशासन को तीन दिनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। इसके अलावा सन् 1986 में नखास स्थित पटाखों की गोदाम में भी आग लगी थी। जिसमें दो-तीन लोगों की मौत भी हुई थी। बावजूद इसके आज तक इन अवैध पटाखों के कारोबार पर अंकुश नहीं लग सका। जबकि वर्ष 2019 में साहबगंज स्थित एक गाड़ी पर लदे पटाखों में आग लगी थी। कहा जाता है कि गाड़ी पर लदा माल सद्दन खान के भाई पटाखा कारोबारी सुल्तान का था।

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