Gwalior Railway News: प्रधानमंत्री के कैशलेस सपने को चूर-चूर कर रहे रेलकर्मी, नगदी लेकर बना रहे टिकट
30 मिनट कतार में लगकर यात्री जब टिकट विंडो पर पहुंचा तो कर्मचारी ने बताया नगद भुगतान पर ही टिकट बनेगा।
रेलवे के कर्मचारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कैशलेस के सपने को चूर-चूर कर रहे हैं। रविवार को 30 मिनट कतार में लगकर यात्री जब टिकट विंडो पर पहुंचा तो कर्मचारी ने बताया नगद भुगतान पर ही टिकट बनेगा। तब यात्री ने कर्मचारी को कक्ष में लगा वह बोर्ड दिखाया, जिस पर लिखा था- यात्री अपने टिकट डेविट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, यूपीआइ (भीम एप) से भुगतान कर टिकट बनवा सकते हैं। कर्मचारी बोला- मशीन खराब है, भुगतान कैशलेस नहीं हो सकता।
यात्री ने जैसे रेलवे को ट्वीट किया तो पांच मिनट में कैशलेस सुविधा शुरू हो गई और कर्मचारी संजय भार्गव ने यात्री को टिकट बनाकर दिया। डिजिटलाइजेशन के सपने को रेलवे कर्मचारी किस तरह चकनाचूर कर रहे हैं, यह एक उदाहरण है। हर दिन सैकड़ों यात्रियों को कैशलेस सुविधा बंद होने की बोलकर लौटा दिया जाता है। झांसी मंडल के डीआरएम ने कर्मचारियों पर कार्रवाई की बात कही है।
नगद भुगतान लेकर टिकट बनाने से रेलवे कर्मचारियों को पारी बदलते समय हिसाब मिलाने में आसानी होती है। यदि टिकट कैशलेस सुविधा से बनाए जाएं तो हिसाब देने में 10 मिनट का अतिरिक्त समय देना पड़ता है। वहीं टिकट बनाते समय क्रेडिट या डेविट कार्ड का उपयोग करने में हितग्राही को पिन नंबर डालने में बमुश्किल 30 सेकंड अतिरिक्त समय लगता है, इससे बचने कर्मचारी कैशलेस सुविधा नहीं देते। रेलवे द्वारा डिजिटलाइजेशन की सुविधा पर साधन-संसाधन जुटाने करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। इसके बावजूद कर्मचारी अपने आराम के लिए कैशलेस जैसी सुविधाअों को बंद कर यात्रियों को परेशान कर रहे हैं।
टिकट आरक्षण कक्ष में बडे-बड़े अक्षरों में लिखा है- यात्री अपने टिकट का भुगतान डेविट/ क्रेडिट कार्ड से कर सकते हैं। जब यात्री कतार में लगकर टिकट विंडो पर पहुंचता तो रेलवे कर्मचारी उसे कैशलेस सुविधा बंद होना बता देते हैं। ऐसे में कई यात्रियों को कैश निकलने एटीएम पर जाना पड़ता है और फिर कतार में लगकर टिकट बनवाना पड़ता है। यात्रियों की यह परेशानी रेलवे के कर्मचारियों को दिखाई नहीं देती। वह अपने आराम के चलते कैशलेस सुविधा को रोज पलीता लगा रहे हैं।