जिंदा को मुर्दा बताया, मार्च्यूरी में रखा ….. मुरादाबाद में 10 घंटे फ्रीजर में बंद रहा युवक, पुलिस पंचनामा भरने गई तो चलती मिलीं सांसें

मुरादाबाद जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा है। एक्सीडेंट में घायल एक नगर निगम कर्मचारी की सांसें चलने के बावजूद उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसे रातभर मार्च्यूरी के फ्रीजर में रखा गया। पुलिस ने सुबह पंचनामा भरने के लिए बॉडी फ्रीजर से बाहर निकाली, तो उसकी सांसें चल रही थीं। उसे आनन-फानन में जिला अस्पताल में भर्ती करके इलाज शुरू किया गया।

हजरत नगर गढ़ी थाना क्षेत्र में पोटा पहाड़ी में श्रीकेश (30) रहता है। गुरुवार रात करीब साढ़े 9 बजे उनका एक्सीडेंट हो गया था। उसको सबसे पहले TMU हॉस्पिटल ले जाया गया। इसके बाद ब्राइट स्टार हॉस्पिटल लाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर रात करीब 3 बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी लाया गया।

यहां तैनात डॉक्टर मनोज यादव ने श्रीकेश को देखते ही मृत घोषित करा दिया। इसके बाद उसे मार्च्यूरी के फ्रीजर में रखवा दिया गया। एक्सीडेंट का केस था, इसलिए मौत की सूचना भी सिविल लाइन पुलिस को भेज दी।

जिला अस्पताल में मौजूद श्रीकेश के परिजन।
जिला अस्पताल में मौजूद श्रीकेश के परिजन।

10 घंटे फ्रीजर में बंद रहा जिंदा इंसान घायल श्रीकेश पूरे 10 घंटे तक मार्च्यूरी के फ्रीजर में बंद रहा। उसे एक्सीडेंट से हेड इंजरी हुई थी, लेकिन सांसें चल रही थीं। डॉक्टर ने लापरवाही में मृत घोषित कर दिया। इसके बाद वह रातभर फ्रीजर में बंद तड़पता रहा।

श्रीकेश को एक्सीडेंट से हेड इंजरी हुई थी, लेकिन सांसें चल रही थीं। डॉक्टर ने लापरवाही में मृत घोषित कर दिया।
श्रीकेश को एक्सीडेंट से हेड इंजरी हुई थी, लेकिन सांसें चल रही थीं। डॉक्टर ने लापरवाही में मृत घोषित कर दिया।

सांसें चलती देख पुलिस लेकर दौड़ी अस्पताल

जिला अस्पताल की PI (पुलिस इंफार्मेशन) पर शुक्रवार दोपहर करीब 1 बजे सिविल लाइन पुलिस शव का पंचनामा भरने पहुंची। उसने शव मार्च्यूरी के फ्रीजर से निकलवाया, तो सांसें चल रही थीं। पुलिस ने तुरंत डॉक्टरों को इसकी सूचना दी। आनन-फानन में श्रीकेश को जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड लाया गया। यहां डॉक्टर उसका इलाज कर रहे हैं।

CMS ने दी सफाई
इस मामले में CMS (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) डॉ. शिव सिंह का कहना है कि डॉक्टर मनोज यादव ने ठीक से चेकअप करके ही श्रीकेश को मृत घोषित किया था। उस समय मरीज की सांसें नहीं चल रही थीं।

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