व्यापमं घोटाला …… विज्ञापन 27 का था, भर्ती 35 की कर दी, गड़बड़ी को त्रुटि बताकर केस खत्म
साल 2012 में हुई नाप-तौल निरीक्षक की भर्ती प्रक्रिया में एक और घोटाला सामने आया है। यह परीक्षा कुल 27 पदों के लिए हुई थी, लेकिन 35 पदों पर भर्ती कर ली गई। जिनकी भर्ती हुई, उनकी नियुक्ति कर दी गई और वे आज भी नौकरी कर रहे हैं।
इन अतिरिक्त पदों के लिए न तो सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति ली गई और न ही राज्य सरकार को जानकारी दी गई। जबकि ये भर्ती पहले से ही व्यापमं घोटाले में शामिल है। अतिरिक्त भर्तियों की जब शिकायत हुई तो सरकार ने नाप-तौल विभाग के नियंत्रक एसके जैन को दोषी माना।
विभागीय जांच में मानवीय भूल मानते हुए जैन को 23 नवंबर को नियंत्रक पद से तो हटा दिया, लेकिन उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में ओएसडी बना दिया। इसी विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने नियंत्रक को हटाए जाने की पुष्टि की है।
मानवीय भूल इसलिए माना
जांच में लिखा गया है कि विभाग में स्वीकृत पदों में 75% पद सीधी भर्ती से और 25% पद प्रमोशन के जरिये भरे जाने थे। जैन ने नाप-तौल नियंत्रक पद पर रहते हुए 2009-10 से 2012-13 तक इसकी गणना में त्रुटि की। उन्होंने जिन पदों पर विभागीय प्रमोशन से पद भरे जाने थे, उन पदों पर भी व्यापमं की वेटिंग लिस्ट से पद भर लिए। अगर एसके जैन सामान्य प्रशासन विभाग को इसकी जानकारी दे देते तो यह गड़बड़ी ही न होती। इसलिए यह मानवीय भूल है।
बड़ा सवाल- क्या एक नियंत्रक 30% पद अकेले भर सकता है?
इस मामले में बड़ा सवाल ये है कि एक नियंत्रक 30% से ज्यादा पदों पर अकेले भर्ती कैसे कर सकता है। इस मामले में यह भी सामने आया था कि कुछ दलाल पैसे लेकर नियुक्त पत्र दिलवाने का आश्वासन दे रहे हैं।