ग्राउंड रिपोर्ट- टीएमसी का लक्ष्य: 6% वोट:ममता को राष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए टीम पीके का ‘एक्सपेरिमेंट गोवा’
गोवा की राजधानी पणजी के केंद्र में एक बहुमंजिला इमारत की छठी-सातवीं मंजिल पर इन दिनों करीब 250 युवाओं की टीम दिन-रात लैपटॉप्स के सामने डटी हुई है। ये है तृणमूल कांग्रेस के लिए टीम पीके (प्रशांत किशोर) का इलेक्शन वॉर रूम। चुनावी रणनीति बनाने का अनुभव तो टीम के पास पुराना है। मगर पीएम नरेंद्र मोदी से कैप्टन अमरिंदर और जगन मोहन रेड्डी तक का चुनाव कैंपेन सभाल चुकी टीम पीके का लक्ष्य इस बार कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। बंगाल की धरती पर ममता बनर्जी को वोटों का शिखर दिलाने के बाद अब तैयारी उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय मान्यता दिलाने की है।
मिशन-2024 से पहले यह लक्ष्य हासिल करना है और इसीलिए इसकी शुरुआत एक प्रयोग के तौर पर गोवा विधानसभा चुनाव से की गई है। 2000 किलोमीटर दूर बंगाल से तो 10 लाख वोटों वाला गोवा प्रयोग के लिए अच्छी जमीन दिख रहा था। मगर अब ममता भी ये समझ चुकी हैं कि कांग्रेस-भाजपा के बीच आम आदमी पार्टी के आने से गोवा के रेतीले बीच पर डगर इतनी आसान नहीं है।
प्रशांत किशोर बतौर रणनीतिकार अब तक कई पार्टियों और नेताओं के साथ काम कर चुके हैं। मगर अब तक उनकी टीम ने उन्हीं के लिए काम किया है, जिनकी छवि चुनावी मैदान में मजबूत रही है और उनकी पार्टी का जनाधार भी रहा है। ऐसे में सिर्फ रणनीतिक समझदारी से जीत का गणित बिठाना संभव हो गया था। लेकिन इस बार टीम पीके का लक्ष्य और उस तक पहुंचने की राह दोनों पहले से अलग हैं।
बंगाल चुनाव में तृणमूल की जीत के पीछे टीम पीके की रणनीति को ही मुख्य वजह माना गया। और इस जीत के बाद जगी ममता बनर्जी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए जरूरी है कि पहले तृणमूल को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता दिलाई जाए। इसीलिए यहां का गुणा-गणित जीत से वोट प्रतिशत जुटाने का है। गोवा अभी चुपचाप यह खेल होते देख रहा है। ओल्ड और न्यू कॉनक्विस्ट के दो इलाकों में बंटा इस प्रदेश की 16 लाख की आबादी में से वोट देने वाले 10 लाख लोग चुनाव से एकदम बेरुखे दिखते हैं।
राष्ट्रीय पार्टी बनने की शर्तें
- 3 राज्यों से लोकसभा में 2% सीटें
- लोकसभा या विधानसभा के आम चुनाव में पार्टी को चाहिए कम से कम चार राज्यों में 6% वोट और चार लोकसभा सीटें
- चार राज्यों में स्टेट पार्टी की मान्यता