Uttar Pradesh ……. जनता के सेवकों के कारनामे पड़े भारी, यूपी में 17 वीं विधानसभा में चार ने गंवाई विधायकी
राज्य में विधायक सत्ता पक्ष के हों या फिर विपक्ष के हमेशा ही चर्चा में रहते हैं.हालांकि राज्य में कई विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. लेकिन इन विधायकों को अभी तक सजा नहीं मिली है.
उत्तर प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) होने हैं और एक चुनाव के बाद एक बार फिर जनता के सेवक एक बार फिर विधानसभा (UP Legislative Assembly) में पहुंचेंगे. लेकिन राज्य की 17 वीं विधानसभा में कई विधायकों को उनके कारनामों के कारण विधायकी गंवानी पड़ी. राज्य में अभी तक चार विधायकों की विधायकी उन्हें सजा मिलने के बाद रद्द कर दी गई है. कुछ विधायकों उम्रकैद की सजा के कारण विधायकी से हाथ धोना पड़ा थो कुछ जालसाजी और अन्य आपराधिक मामलों में जेल में बंद होने के कारण सदन से बाहर कर दिए गए हैं. राज्य में ताजा मामला फैजाबाद जिले के बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी का है, जिनकी विधायकी को गुरुवार को रद्द र दिया गया है. हालांकि इससे इससे पहले कुलदीप सेंगर, अशोक चंदेल और अब्दुल्ला आजम को भी विधानसभा से बाहर कर दिया गया है.
असल में राज्य में विधायक सत्ता पक्ष के हों या फिर विपक्ष के हमेशा ही चर्चा में रहते हैं.हालांकि राज्य में कई विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. लेकिन इन विधायकों को अभी तक सजा नहीं मिली है. लेकिन जिन विधायकों को दो साल से ज्यादा की सजा मिली है. उनकी विधायकी को रद्द कर दिया गया है. राज्य में पिछले पांच साल में चार विधायकों की विधानसभा की सदस्यता को रद्द किया किया गया है. इसमें से तीन विधायक बीजेपी के हैं जबकि एक विधायक समाजवादी पार्टी का का है.
चंदेल को मिली थी उम्रकैद की सजा
हमीरपुर नरसंहार में दोषी करार दिए जाने पर बीजेपी विधायक अशोक चंदेल की सदस्यता चली गई थी. उन्हें 22 साल पुराने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया था. वह हमीरपुर सदर विधानसभा सीट से चुने गए थे.
कुलदीप सेंगर की गई थी विधायकी
उन्नाव के चर्चित रेप कांड के बाद उन्नाव की बंगरमऊ सीट से बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की सदस्यता चली गई. ये मामला बाद में दिल्ली ट्रांसफर किया था और कुलदीप सेंगर को कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद उसकी सदस्यता रद्द कर दी गई.
आजम खान के बेटे की रद्द हुई थी सदस्यता
इसके अलावा समाजवादी पार्टी के टिकट पर स्वर (रामपुर) से विधायक बने अब्दुल्ला आजम की सदस्यता भी रद्द कर दी गई है. अब्दुल्ला आजम खान के बेटे हैं और उनका चुनाव 16 दिसंबर 2019 को रद्द कर दिया गया था.
नहीं होंगे चुनाव
फिलहाल बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी की गोसैनगंज सीट खाली हो गई है और विधानसभा चुनाव होने के कारण खाली सीटों पर उपचुनाव नहीं होंगे. क्योंकि कुछ ही महीनों में राज्य में चुनाव होने हैं.
चुनाव आयोग ने कार्रवाई के लिए पत्र लिखा
दरअसल फर्जी मार्कशीट के आधार पर एडमिशन का मामला उजागर होने के बाद विधायक इंदर प्रताप सिंह उर्फ खब्बू तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने विधायक खब्बू तिवारी, फूल चंद्र यादव और कृपा निधान तिवारी को दोषी करार देते हुए जेल की सजा सुनाई थी. लिहाजा इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने विधानसभा को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा और गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी विधायकी को रद्द कर दिया है.
जानिए क्या है नियम
नियमों के मुताबिक अगर विधायक को किसी भी मामले में दो साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो फिर उसकी सजा की तारीख से उसकी सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है. इसके लिए चुनाव आयोग राज्य विधानसभा को पत्र लिखता है उसी आधार पर विधायक की विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया जाता है.