निषाद आरक्षण को अब बस केंद्र की हां की जरूरत:बड़ा खतरा ये कि निषाद को राजी करने में बाकी अनुसूचित जातियां न भड़क जाएं

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर निषाद आरक्षण का मुद्दा उठ रहा है। बीते तीन दशक से निषाद समाज को ओबीसी से अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने की मांग की जा रही है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद मझहर समाज में आने वाले 17 उपजातियों को अनुसूचित में शामिल कराने की मांग की है। इस पर योगी सरकार ने केन्द्र को पत्र लिखकर सुझाव मांगा है। विपक्ष की राजनीतिक पार्टियां इस मामले को जुमला बताते हुए केवल राजनीतिक कदम बता रहे है। वहीं सत्तारुढ़ दल को यह डर भी सता रहा है कि, पहले से अनुसूचित जाति में शामिल जातियां इससे नाराज न हो जाएं।  ………… ने इस पूरे मामले को लेकर पड़ताल की आखिर यह आरक्षण आज से लागू होता तो किस राजनीतिक पार्टियों को इसका लाभ मिलेगा।

गृहमंत्री अमित शाह की रैली में निषाद समाज के लिए आरक्षण की घोषणा न होने से नाराज निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इस पर भाजपा ने विचार तो शुरू कर दिया है, लेकिन उसे एक खतरा यह भी सता रहा है कि कहीं बाकी अनुसूचित जातियां भड़क न जाएं। वहीं, निषाद समाज ने भाजपा को ही नहीं बल्कि सभी दलों को यह साफतौर पर संदेश दे दिया है कि निषाद समाज का साथ चाहिए, तो आरक्षण दिलाना ही होगा।

उधर, चुनावी माहौल को भांपते हुए योगी सरकार ने केंद्र सरकार के जनगणना आयुक्त कार्यालय को संजय निषाद का पत्र भेजकर सुझाव मांगा है कि कैसे मझवार की 17 उपजातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिया जा सकता है?

निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।
निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

पत्र में लिखा- आरक्षण नहीं तो वोट नहीं
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में संजय निषाद ने कहा है कि 2022 में भाजपा को सरकार बनानी है तो निषाद समाज का ख्याल रखना होगा। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि जब गृहमंत्री शाह रैली को संबोधित कर रहे थे, तो हमारे लोग हाथ हिला रहे थे कि आरक्षण नहीं तो वोट नहीं। तब मैंने उनको मना किया। कुछ लोग तो भाजपा के साथ रहने से मना भी कर रहे हैं।

अखिलेश भी लिख चुके हैं पत्र
2016 में अखिलेश यादव ने निषाद समाज की 17 जातियों को लेकर तत्कालीन मोदी सरकार से पत्र लिखकर मांग की थी। तब निषाद पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव से निषाद पार्टी का भाजपा से साथ हो गया। उस वक्त संजय निषाद ने कहा था कि निषादों के आरक्षण को राजनीतिक दलों ने जटिल बना दिया है। 70 सालों में जो नहीं हुआ वो अब होगा। सांसद प्रवीण निषाद ने कहा था कि हमने लगातार संसद में निषादों के मुद्दे को उठाया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आश्वासन दिया था कि सब मुद्दे हल कर देंगे। उन्होंने दावा किया था कि 2022 के चुनाव से पहले ही आरक्षण का मुद्दा हल हो जाएगा।

मायावती का कहना- 17 से 21 % हो एससी का आरक्षण
निषाद समाज की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति से हटवाने का मायावती ने दबाव बनाया था। इन 17 जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, वाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुआरा शामिल हैं। मायावती ने इन जातियों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर आरक्षण देने के प्रमाण पत्र देने पर रोक लगवा दी थी। मांग की थी कि यह तब लागू किया जाए जब अनुसूचित के लोगों के लिए आरक्षण 17 से 21 प्रतिशत कर दिया जाए।

पूर्वांचल की 160 विधानसभा सीटों पर असरदार

  • 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने निषादों का साथ लेकर बड़ा फायदा लिया था।
  • गोरखपुर की नौ विधानसभा सीटों पर करीब 5 लाख से ज्यादा निषाद वोटर।
  • देवरिया विधानसभा की सात सीटें हैं। रुद्रपुर विधानसभा सीट निषाद बाहुल्य है। यहां करीब एक लाख निषाद मतदाता हैं।
  • देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में करीब 25 हजार वोटर हैं।
  • संतकबीरनगर की 3 विधानसभा सीटों में मेंहदावल सीट निषाद बाहुल्य है। यहां करीब 80 हजार निषाद मतदाता हैं।
  • सिद्धार्थनगर विधानसभा की पांच सीटें हैं। बांसी विधानसभा क्षेत्र में निषाद मतदाता 25 हजार मतदाता हैं।
  • महराजगंज में 5 विधानसभा सीटें हैं। पनियरा विधानसभा क्षेत्र में करीब 60 हजार निषाद मतदाता हैं।
  • कुशीनगर में 7 विधानसभा सीटें हैं। खड्डा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 28 हजार, तमकुहीराज में 27 हजार, फाजिलनगर में 17 हजार, हाटा में 14 हजार और रामकोला में 18 हजार निषाद मतदाता हैं।
  • बस्ती में 5 विधानसभा सीटें हैं। महादेवा और कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्रों में करीब 20 और 25 हजार निषाद मतदाता हैं।

बसपा बोली – निषाद हमारे साथ
बहुजन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता फैजान खान का कहना है कि निषाद समाज की बात करने वाले नेता जब एमएलसी बन रहे थे, तब उन्होंने भाजपा के समर्थन में एमएलसी पद कैसे स्वीकार कर लिया। लखनऊ में आयोजित रैली में अमित शाह ने एक बार भी आरक्षण को लेकर बात नहीं की। रैली फ्लॉप थी। वहां आए निषाद कह रहे थे कि हम सबके साथ धोखा हुआ है। भाजपा ढोंग कर रही है कि निषाद समाज को दलित की सूची में शामिल किया जाएगा। बहुजन समाज पार्टी के साथ निषाद समाज था और रहेगा।

सपा बोली- भाजपा दिखावा कर रही
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज का कहना है कि 2016 में अखिलेश यादव की सरकार में केंद्र को पत्र लिखकर निषाद समाज की उप जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल किए जाने के लिए पत्र लिखा था। विधानसभा में प्रस्ताव तक पारित किया गया था। केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ने आरक्षण में आनाकानी की। भाजपा तो या आरक्षण लागू करना ही नहीं चाहती है। अगर लागू करना चाहती तो 2016 में ही लागू कर देते।

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