खेलने की उम्र में खिला रहीं बेटियां ….. छोटी बच्चियां जिनके हाथों में है स्वाद, बेकिंग में कर रहीं कमाल और पढ़ाई के साथ कमाई

उम्र सिर्फ एक नंबर है। अगर आपके पास आइडिया है तो उसके दम पर नाम कमाया जा सकता है। आज 12-13 साल के बच्चे यंग आंत्रप्रेन्योर बन रहे हैं। उनके पास आइडियाज हैं और उन्हें इंप्लीमेंट करने में उनके पेरेंट्स उनकी मदद कर रहे हैं। यहां हम आपको ऐसे ही दो यंग आंत्रप्रेन्योर्स से मिलवा रहे हैं जिनकी उम्र मात्र 13 साल है। ये दोनों बच्चियां बेकिंग करती हैं और पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी कर रही हैं।
11 साल की उम्र में बेकिंग को बनाया फुल टाइम शौक
जयपुर की रहने वाली निया मेहता ने 11 साल की उम्र में अपनी मां से बेल्जियन चॉकलेट बनाना सीखा और फिर देखा मास्टर शेफ ऑस्ट्रेलिया। इन्हीं सब बातों ने बेकिंग को फुल टाइम शौक की शक्ल दी और आया आइडिया कि क्यों न इस शौक को सीरियसली अपनाया जाए। निया कहती हैं कि मेरा ये शौक इतना सीरियस हो गया कि पेरेंट्स को लगा कि मैं इस काम को ज्यादा एंजॉय करती हूं। जब मैं 12 साल की थी तब मां ने मेरे इस शौक को ‘स्वीट टूथ बाय निया’ का नाम देकर ब्रांड में बदल दिया। आज मैं कह सकती हूं कि यह मेरा सक्सेसफुल स्टार्टअप है। धीरे-धीरे यूट्यूब की मदद से मैंने आइसिंग और केक को आकर्षक बनाना सीखा।

निया के लिए बेकिंग तनाव कम करने का काम करती है।
निया के लिए बेकिंग तनाव कम करने का काम करती है।

स्ट्रेस बस्टर थेरेपी है बेकिंग : निया
निया के मुताबिक, ‘बेकिंग मेरे लिए स्ट्रेस बस्टर थेरेपी की तरह है। मैं जब इसे करती हूं तो सबकुछ भूल जाती हूं और अपने काम में रम जाती हूं। मुझे रेसिपीज के साथ एक्सपेरिमेंट करना और अपने दम पर कुछ अलग क्रिएट करने में मजा आता है। मैंने मम्मी-पापा की 20वीं वेडिंग एनीवर्सरी पर पूरे पांच तरह के केक बनाए। इसमें एक लेमन केक, टू टियर फ्रूट कॉकटेल केक, ओरियो और हेजलनट क्रीम कपकेक, डबल फज चॉकलेट केक और फ्रॉस्टेड वेनिला केक शामिल थे। ये सब मेरे लिए इसलिए मायने रखता है, क्योंकि अपने पेरेंट्स के उस खास दिन को मैं कुछ बेहतर बना पाई।
फेस्टिव सीजन में की 40 हजार तक की कमाई
निया अभी नौंवीं क्लास में हैं और फ्री टाइम में बेकिंग करती हैं। वे कहती हैं कि फेस्टिव सीजन में ज्यादा कमाई हो जाती है। बीती दिवाली पर इंडिया में अलग-अलग जगहों से ऑर्डर आए। इस दौरान मैंने चॉकलेट और केक के करीब 40 बॉक्स बेचे, जिनसे 40 हजार रुपए की कमाई हुई। फेस्टिव सीजन के अलावा बाकी दिनों में करीब सात से आठ हजार रुपए हर माह कमाई हो जाती है।

निया शादी सीजन से लेकर बर्थडे केक तक बनाती हैं।
निया शादी सीजन से लेकर बर्थडे केक तक बनाती हैं।

सोशल मीडिया पर करती हैं प्रमोट
निया का अब लिंक्डिन और इंस्टाग्राम प्रोफाइल भी है। वे कहती हैं, ‘मैं अपने काम को सोशल मीडिया पर भी प्रमोट करती रहती हूं। कुछ लोग केक के अलावा चॉकलेट भी ऑर्डर करते हैं। मेरा चॉकलेट, वेनिला और फ्रूट केक सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है।’
वहीं, दिल्ली की रहने वाली 13 साल की पिया दत्ता गुप्ता कहती हैं कि उन्हें बेकरी शॉप पर तरह-तरह के केक बहुत पसंद आते थे। पिया चार साल की उम्र में ही मौज-मस्ती के लिए बेकिंग करने लगी थीं, लेकिन आठ साल की होने तक बेकिंग को लेकर बहुत सीरियस हो गईं। पिया कहती हैं कि सेल्फ मोटिवेशन के लिए की गई शुरुआत ने उन्हें बहुत अच्छा महसूस कराया।

पिया बेकिंग में शुगर का कम इस्तेमाल करती हैं।
पिया बेकिंग में शुगर का कम इस्तेमाल करती हैं।

पहली कमाई को कर दिया डोनेट
दिल्ली की रहने वाली पिया ने बेकिंग से पहली कमाई करीब 4 हजार रुपए हुई, लेकिन उन्होंने उस कमाई को अपने पास नहीं रखा। सारी कमाई डॉग्स की एक ऑर्गनाइजेशन को डोनेट कर दी। पिया कहती हैं कि उन्हें जानवरों से बहुत प्यार है, इसलिए पहली कमाई उन्हें ही भेज दी। यही नहीं पिया ने अपने पैट डॉग ‘टैफी’ के लिए भी केक बनाया है और इस बात का ध्यान रखा कि केक में मीठा न हो, इसलिए उस केक में गाजर और कीमा का उपयोग किया। पिया बेकिंग में शुगर कंट्रोल में रखती हैं ताकि शुगर इंटेक कम हो।

पिया कुकीज, स्पॉन्ज केक, लेयर्स केक, एक्लेयर्स और कप केक भी बनाती हैं।
पिया कुकीज, स्पॉन्ज केक, लेयर्स केक, एक्लेयर्स और कप केक भी बनाती हैं।

पिया कहती हैं, ‘लॉकडाउन में मैंने कई सारी नई बेकिंग रेसिपीज सीखीं। अब मैं कुकीज, स्पॉन्ज केक, लेयर्स केक, एक्लेयर्स, कपकेक भी बनाती हूं। मैं कोशिश करती हूं कि मेरी रेसिपीज में शुगर कम हो ताकि लोग हेल्दी रहें। मैं इसी लाइन में आगे बढ़ना चाहती हूं। यूट्यूब से भी बेकिंग की टेक्नीक्स सीखने की कोशिश करती हूं और स्किल को आगे बढ़ाने के लिए बेकिंग पर बुक्स भी पढ़ती हूं। आज घर में मेरा अलग से किचन है जहां मैं सिर्फ बेकिंग करती हूं।’ बेकिंग करना पिया को रिलैक्स करता है। वे अब बेबी शावर से लेकर बर्थडे केक तक सप्लाई करती हैं। इन बच्चियों या कहें यंग आंत्रप्रेन्योर के शौक को इनके पेरेंट्स ने समझा और उनका साथ दिया। अगर आपके बच्चों में भी ऐसा कोई शौक है तो उसे सही दिशा में डेवलेप करने में उनकी मदद करें। क्या मालूम कल ये ही बच्चे बड़े बिजनेस टाइकून बन जाएं।

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