आयुर्वेदिक लाइफस्टाइल ….. बाजरी की खिचड़ी से खत्म होगी पीरियड्स की प्रॉब्लम्स, जवां दिखने के लिए इसकी रोटी पर घी लगाकर खाएं
- ब्लीडिंग पाइल्स की समस्या है, तो इसे अधिक मात्रा में नहीं खाएं।
- जिन महिलाओं को पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होती है, वह भी इसे कम मात्रा में लें।
- बाजरी को अच्छी तरह पका कर खाएं, वरना किडनी या गॉल ब्लडर में स्टोन हो सकता है।
ठंड के दिनों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में बाजरे की रोटी को बैंगन के भर्ते, लहसुन की लाल- हरी चटनी और गुड़ के साथ खाया जाता है। इन राज्यों में ढाबे से लेकर रेस्टोरेंट तक यह ट्रेडिशनल फूड इसी अंदाज में परोसा जाता है। बाजरा भी दो तरह का होता है। छोटे आकार का और मीठे स्वाद वाले को बाजरी कहते हैं। बाजरी कम मात्रा में होता है।

कफ को खुरच-खुरच कर निकालने का काम करती है बाजरी
बाजरी फिर से फूड ट्रेंड बन गया है। इसकी वजह यह है कि बाजरी ग्लूटन फ्री फूड है। कई बार डायटीशियन इसकी रोटी खाने को कहते हैं क्योंकि यह आसानी से पचती है। हालांकि वे इसके ऊपर मक्खन या घी लगाने को मना करते हैं जबकि बाजरी की रोटी बिना घी लगाकर खाने से पित्त बढ़ने का खतरा रहता है।
बाजरी से बने फूड आइटम शरीर में ड्राईनेस बढ़ाते हैं इसलिए बाजरी की रोटी खाते समय उसमें गाय का देसी घी जरूर लगाएं। यह रोटी गरम तासीर की होने के कारण कफ को खुरच-खुरचकर शरीर से बाहर निकालती है।

ठंड में ही क्यों बनती है बाजरी की रोटी
बाजरी की रोटी ठंडे के दिनों में ही खाई जाती है। यह शरीर को गरम रखने का काम करती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर्स, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, फॉलिक एसिड, विटामिन बी और जिंक जैसे अहम तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। बाजरी ओमेगा-3 फैटी एसिड का भी अच्छा स्रोत है।
बाजरे की राब यानी सुपर ड्रिंक
बाजरी की राब एक तरह की ड्रिंक हैं। इसे घी में भूनने के बाद पानी डालकर पकाया जाता है।
विधि : कड़ाही में एक बड़ा चम्मच घी ले लें। इसमें सोंठ और अजवायन डालें। इसके बाद इसमें 5 से 6 चम्मच बाजरी का आटा डालकर खुशबू आने तक भूनें।

इस बीच एक पतीले में पानी गरम करें। इस पानी में केमिकल फ्री गुड़ और चुटकी भर नमक डालें। भुनने की खुशबू आते ही गरम पानी डालकर सूप की तरह तैयार करें। इसका ख्याल रखें कि गांठें न बनें। यह दिखने में बिहार और यूपी में पिये जाने वाले चने के सत्तू के शरबत की तरह होता है लेकिन सत्तू को ठंडे पानी में घोला जाता है जबकि राब बनाने के लिए बाजरी के आटे में गरम पानी मिलाया जाता है।

लड़कियों के लिए बड़े काम का राब
- पीसीओडी या पीसीओएस की प्रॉब्लम से जूझ रही लड़कियों के लिए भी यह राब फायदेमंद होती है।
- पीरियड्स रेगुलर नहीं होने पर इस ड्रिंक को पी सकते हैं।
- प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बाजरे की राब को सुपरफूड माना गया है। इसे पीने पर गर्भ में पल रहा शिशु कभी भी कुपोषण का शिकार नहीं होगा।
- लड़कियों में खून की कमी होने पर भी यह ड्रिंक फायदा पहुंचाएगी।

बाजरी की खिचड़ी और रोटी के फायदे गिनते रह जाएंगे
- बाजरी को चावल या मूंग दाल के साथ मिलाकर बनाई गई खिचड़ी भी गर्भवती महिलाओं को खिलाएं। इसमें सफेद मक्खन या घी डालकर ही खाएं। इससे शरीर में अधिक गरमी नहीं होगी।
- छह-आठ महीने के बाद शिशु को भी पीसी हुई बाजरी की खिचड़ी दें। यह चावल की खिचड़ी से ज्यादा अच्छी साबित होगी।
- गेहूं की चपाती में इनसॉल्यूबल फाइबर नहीं होता इससे वजन बढ़ता है जबकि बाजरे की रोटी में यह भरपूर पाया जाता है। फिट दिखना चाहती हैं, तो गेहूं की चपाती की जगह बाजरे की रोटी खाएं।

लाइफस्टाइल डिसीज से रखेगा दूर
- इसे खाने से खून की चर्बी खत्म होती है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल और ट्राई-ग्लिसरायड्स को कंट्रोल करता है।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड, पोटाशियम, मैग्नीशियम और फाइबर के कारण यह रक्त वाहनियों को विस्फारित(फैलाना) करती हैं। उनमें फैट नहीं जमता और ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है, हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका कम होती है।

जिद्दी बच्चों को दें इसके लड्डू
- बाजरे की रोटी, एक साल पुराना केमिकल फ्री गुड़ और गाय का घी को आपस में मिलाकर चूरा बना लें। इसका लड्डू बनाकर बच्चों को दें। खाने को लेकर नखरा करने वाले बच्चों को ऐसे लड्डू खिलाने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती।

बाजरी खाने से बोनस में मिलती है ब्यूटी
- बाजरे में बायोटीन और राइबोफ्लेविन अच्छी मात्रा में होते हैं। विटामिन बी और फॉलिक एसिड होने के कारण यह ‘खालित्य’ और ‘पालित्य’ को भी रोकती है। खालित्य का मतलब होता है बालों का झड़ना और पालित्य का मतलब होता है बालों का पकना।

बाजरी त्वचा की पुरानी कोशिकाओं को हटाने और नई कोशिकाओं को बनाने का काम करती है। इससे त्वचा चमकती है, जिसे नेचुरल ग्लो बना रहता है।
- इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होता है। इस कारण इसे एंटी एजिंग टॉनिक भी माना जाता है।
- इसकी 30 ग्राम मात्रा को रोजाना भोजन में शामिल करने से ब्रेस्ट और कोलोन कैंसर की आशंका में 50%की कमी आती है