कानपुर पुलिस कमिश्नर चुनाव लड़ेंगे…
IPS असीम अरुण ने अमित शाह से बात कर ज्वाइन की पार्टी; कन्नौज से लड़ सकते हैं चुनाव….
कानपुर पुलिस कमिश्नर IPS असीम अरुण भाजपा में शामिल हो गए हैं। शनिवार दोपहर मुख्यमंत्री योगी ने अचानक कानपुर से उन्हें लखनऊ बुलाया। पूरी स्क्रिप्ट पहले से लिखी हुई थी। बताया जा रहा है कि बस गृहमंत्री अमित शाह से फोन पर बात करने के बाद असीम अरुण ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। असीम अरुण ने नौकरी से VRS (वालंटियर रिटायरमेंट स्कीम) के लिए आवेदन कर दिया है। भाजपा ने असीम अरुण को शामिल कराकर चुनाव से पहले दलित कार्ड खेला है। अरुण कन्नौज के पैतृक निवासी हैं। उनको कन्नौज सदर से प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना है।
फेसबुक में IPS असीम अरुण का पत्र भी राजनीतिक
आईपीएस असीम अरुण ने फेसबुक पोस्ट की है। इसमें उन्होंने जो लिखा है उसके भी कई मायने हैं। उन्होंने लिखा है- मैंने वीआरएस के लिए आवेदन किया है। क्योंकि अब राष्ट्र और समाज की सेवा नए रुप में करना चाहता हूं। मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि योगी आदित्यनाथ ने मुझे भाजपा की सदस्यता के योग्य समझा। मैं प्रधानमंत्री की पहल को सार्थक बनाने का प्रयास करूंगा।
मैं कोशिश करूंगा कि गांधी द्वारा दिए गए तिलिस्म कि सबसे कमजोर और गरीब व्यक्ति के हितार्थ कार्य करूं। आईपीएस की नौकरी और यह सब सम्मान बाबा साहब अंबेडकर द्वारा अवसर की समानता के लिए रचित व्यवस्था के कारण ही संभव है। मैं उनके उच्च आदर्शों का अनुसरण करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति एवं सभी वर्गों के भाइयों और बहनों के सम्मान, सुरक्षा और उत्थान के लिए काम करूंगा।
1994 बैच के अधिकारी हैं असीम
1994 बैच के आईपीएस अधिकारी असीम अरुण का जन्म 3 अक्टूबर, 1970 को कन्नौज में हुआ था। उनके पिता श्रीराम अरुण भी IPS ऑफिसर थे। वह यूपी के डीजीपी भी रहे हैं। उनकी मां शशि अरुण जानी-मानी लेखिका और समाजसेविका हैं। असीम ने अपनी शुरुआती शिक्षा लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल से हासिल की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की।
IPS असीम अरुण कन्नौज की तिर्वा विधानसभा के खैरनगर के रहने वाले हैं। इसलिए यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह इसी क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। प्रदेश के कई जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके
कन्नौज सदर सीट की राजनितिक पृष्ठभूमि
कन्नौज सदर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां से 1977 में जनता पार्टी के बिहारी लाल, 1980 में कांग्रेस के राम बख्श, 1989 में जनता दल के कल्याण सिंह दोहरे, 1991 से 1996 तक इस भाजपा के बनवारी लाल दोहरे विधायक रहे हैं।
सदर सीट जीतने को खेला बड़ा दांव
कन्नौज सदर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में भी सपा ने अनिल दोहरे पर ही भरोसा जताया था, लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी व पूर्व विधायक बनवारी लाल दोहरे ने कड़ी टक्कर दी। अनिल दोहरे नजदीकी मुकाबले में करीब ढाई हजार वोट के अंतर से जीतने में सफल रहे। बसपा के अनुराग सिंह तीसरे और भारतीय सुभाष सेना के कृपा राम चौथे स्थान पर रहे थे। भाजपा को उम्मीद है कि अब वह असीम अरुण को इस सीट से उतारकर कन्नौज की इस सीट पर भी जीत हासिल कर सकती है।
दलित और ब्राह्मण के गठजोड़ से बाजी मारने की जुगत
कन्नौज सदर विधानसभा सीट पर सवा चार लाख से अधिक मतदाता हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की तादाद अधिक है। लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों के मतदाता भी चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार वह दलित अफसर को उतार कर मैदान में बाजी मार लेंगे।