Gwalior… दूसरे राज्यों की लापरवाही हमारी मुसीबत; किराएदारों का नहीं हो पा रहा सत्यापन, ऐसे में कई कर जाते हैं वारदात

दूसरे राज्यों से आकर शहर में रहने वालों (कर्मचारी और अन्य लोग) के बारे में उनके राज्य से जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में कुछ अपराधी किस्म के लोग भी यहां आकर रहने लगते हैं और वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। इतना ही नहीं शहर में माहौल बिगड़ने का भी खतरा रहता है।

इन्हीं सब कारणों को देखते हुए शहर में किराए पर आकर रहने वाले, शहर के विभिन्न संस्थान में नौकरी करने वाले लोगों का सत्यापन करने की प्रक्रिया 7 साल पहले शुरू की गई थी। लेकिन पिछले एक साल से देश के 15 राज्यों की पुलिस ऐसे लोगों का सत्यापन नहीं कर रही है। इतना ही नहीं 7 राज्याें ने तो आजतक एक की भी जानकारी नहीं दी है। ऐसे में अपराधिक किस्म के लोग अपनी पहचान छिपाकर शहर में वारदातों को अंजाम भी दे सकते हैं।

केस 1 पेइंग गेस्ट बनकर आईं दो युवतियाें ने की चोरी

3 माह पहले पटेल नगर में एक कारोबारी के यहां पर पेइंग गेस्ट बनकर आईं दो युवतियां चोरी की वारदात को अंजाम देकर फरार हो गई थीं। इनमें से एक युवती को दिल्ली में पकड़ा गया था। इसने बताया कि वह हरियाणा की रहने वाली हैं। दूसरी युवती को अब तक नहीं पकड़ा जा सका है।

केस 2 किराए पर रह रहा युवक पत्नी की हत्या कर फरार

महाराजपुरा के दीनदयाल नगर में दंपति किराए पर रह रहे थे। किराएदार दंपति ने अपने मूल स्थान की जानकारी मकान मालिक को नहीं दी थी। बाद में पत्नी की हत्या कर पति फरार हो गया था। किराएदार की जानकारी न होने से लंबे समय तक पुलिस इस मामले में उलझी रही थी।

यह की गई थी व्यवस्था

शहर में अन्य राज्य के लोगों द्वारा अपराधिक वारदातों को अंजाम दिए जाने की घटनाओं के बाद 7 साल पहले अगस्त 2014 में शहर में रहने वाले किराएदारों तथा कर्मचारियों के पुलिस सत्यापन की व्यवस्था शुरू की गई थी। इसके लिए एसपी ऑफिस में आईटी सेल का गठन किया गया था। इस सेल में किराएदारों और शहर के विभिन्न संस्थानों में नौकरी करने वाले लोगों की जानकारी इकट्‌ठी की जाने लगी थी।

इसमें ऐसे लोगों की जानकारी एक फॉर्मेट पर मांगी जाती थी, इसमें किराएदार या नौकरी पेशा के दो फोटो तथा आधार कार्ड की फोटो कॉपी भी जमा कराई जाती थी। यहां जमा कराए जाने वाले दस्तावेजों को किराएदार तथा कर्मचारियों के मूल थाना क्षेत्र में भेजा जाता था, यहां से इनके द्वारा दी गई जानकारी का सत्यापन भी किया जाता था। अगर ऐसे लोगों के खिलाफ मूल निवास के थाना क्षेत्र में कोई अपराधिक वारदात रिकॉर्ड होती थी तो उसकी जानकारी भी मिल जाती थी।

दूसरे राज्यों में पुलिस अफसराें को पत्र लिखकर समन्वय बनाएंगे

दस्तावेज सत्यापन होकर आने की गति धीमी है, जिन राज्यों से सत्यापन होकर नहीं आ रहे हैं, उन राज्यों में पुलिस अफसराें को पत्र लिखकर समन्वय बनाया जाएगा। -अमित सांघी, एसपी, ग्वालियर

7 राज्यों ने शहर में रहने वाले किराएदारों की नहीं दी एक की भी जानकारी

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