Bhind .. पूर्णा नर्सिंग होम सील … महिला डॉक्टर ने डॉक्टर पति से सुबह पहुंचाया इस्तीफा, दोपहर में सीएमएचओ ने सील किया सास का नर्सिंग होम

  • सरकारी डॉक्टर अंशू मिश्रा पर ड्यूटी से गैरहाजिर रहकर नर्सिंग होम में प्रैक्टिस करने का आरोप…..

शहर की लश्कर रोड पर संचालित पूर्णा नर्सिंग होम को प्रशासन ने सील कर दिया है। साथ ही उनका रजिस्ट्रेशन एवं लायसेंस भी निरस्त कर दिया है। नर्सिंग होम संचालक डॉ. ऊषा मिश्रा पर आरोप है कि वे शासकीय चिकित्सक डॉ. अंशू मिश्रा की सेवाएं ले रही थीं जो कि एक्ट के मंशानुरुप नहीं हैं। डॉ. अंशू मिश्रा और उनके पति डॉ. प्रतीक मिश्रा जिला अस्पताल में पदस्थ हैं। यह दोनों पूर्णा नर्सिंग होम की संचालक डॉ. ऊषा मिश्रा की बहू-बेटे हैं। शुक्रवार को सीएमएचओ डॉ. अजीत मिश्रा के नेतृत्व में प्रशासन की टीम पूर्णा नर्सिंग होम पर पहुंची और उसकी ओपीडी को सील कर दिया।

साथ ही उनके नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन और लायसेंस को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई से पहले शुक्रवार की सुबह डॉ. अंशू मिश्रा ने डॉ. प्रतीक मिश्रा के हाथों अपना इस्तीफा जिला अस्पताल पहुंचाया था लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उनका इस्तीफा तो मंजूर नहीं हुआ, पर दोपहर के समय प्रशासन की टीम उनकी सास डॉ. ऊषा मिश्रा के नर्सिंग होम पर कार्रवाई करने जरूर पहुंच गई।

शिकायत मिलने पर सीएमएचओ के नेतृत्व में पहुंची टीम ने की कार्रवाई

दर्ज डॉक्टरों की सूची में सिर्फ डॉ. ऊषा मिलीं मौजूद
पूर्णा नर्सिंग होम का निरीक्षण करने गए दल के अनुसार मौके पर मिले मरीजों एवं उनके परिजन के कथनों के अनुसार पूर्णा नर्सिंग होम में डॉ. अंशू के सेवाएं देने की पुष्टि होती है लेकिन एक्ट के अनुसार पंजीयन में दर्ज डॉक्टरों की सूची में से मौके पर केवल डॉ. ऊषा मिश्रा ही उपस्थित मिलीं। अन्य किसी भी डाक्टर की उपस्थिति एवं उपचार संबंधी कोई दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए। ऐसे में सीएमएचओ डॉ. अजीत मिश्रा ने पूर्णा नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन और लायसेंस निरस्त कर हुए उसकी ओपीडी को सील कर दिया है।

जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ के तीनों पद रिक्त
जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ के तीन पद हैं। वर्तमान समय में सभी पद खाली पड़े हुए हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल में मेडीकल ऑफिसर के 24 पद हैं, जिसके विरुद्ध 28 मेडिकल ऑफिसर वर्तमान में पदस्थ हैं। बावजूद जिला अस्पताल में डॉक्टर की कमी बनी हुई है।

3 साल से अस्पताल नहीं आ रहीं डॉ. अंशू, दो बार दिया इस्तीफा
बताया जा रहा है कि डॉ. अंशू मिश्रा पिछले तीन सालों से जिला अस्पताल में नहीं आ रही हैं। वर्ष 2018 में पहली बार उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देने की पेशकश की थी लेकिन तत्कालीन कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी की समझाइश के बाद उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया था। डॉ. अंशू मिश्रा के अनुसार वर्ष 2019 में उन्होंने पुनः इस्तीफा दे दिया लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ।

इस्तीफा भोपाल भेजा
डॉ. अंशू मिश्रा का इस्तीफा सुबह प्राप्त हुआ था, जिसे भोपाल की ओर बढ़ा दिया गया है। वे पिछले काफी समय से नहीं आ रही थीं। कार्रवाई किस आधार पर हुई, इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
-डॉ. अनिल गोयल, सिविल सर्जन,

समझ से परे कार्रवाई

मैं पहले भी दो बार इस्तीफा दे चुकी हूं, मुझे जिला अस्पताल में नौकरी नहीं करना है। आज भी मैंने सुबह अपना इस्तीफा पुनः भेज दिया था। इसके बाद इस तरह की कार्रवाई का औचित्य समझ नहीं आता।
– डॉ अंशू मिश्रा, चिकित्सक

टीम के आते ओपीडी छोड़कर चली गई डॉ. अंशू
शुक्रवार की दोपहर सीएमएचओ डॉ. अजीत मिश्रा, तहसीलदार ममता शाक्य, नोडल अधिकारी डॉ. आरएन राजौरिया, डॉ. इंदौरिया, पटवारी धर्मेंद्र सिंह की टीम पूर्णा नर्सिंग होम पर पहुंची तो ओपीडी में इलाज कराने आईं रूबी यादव पत्नी अमित यादव निवासी विला, निशा कुशवाह पत्नी लोकेंद्र सिंह कुशवाह निवासी अकोड़ा से जब टीम के लोगों ने कथन लिए तो उन्होंने बताया कि वे डॉ. अंशू मिश्रा को दिखाने के लिए आई हैं। टीम के अनुसार उनके पहुंचते ही डॉ. अंशू ओपीडी से उठकर चली गईं।

ओपीडी में डॉ. अंशू मिश्रा के मरीज देखने का समय सोमवार, बुधवार और शुक्रवार अंकित था। वहीं नर्सिंग होम में भर्ती मरीज दीपांजलि पत्नी विकास निवासी ग्राम पांडरी, सुमन पत्नी राधेश्याम निवासी जनजारीपुरा, सोली पत्नी रत्नेश निवासी रमा और कंचन पत्नी सुदेश निवासी कचोंगरा के बयान लेने और केस सीट से पता चला कि उनका ऑपरेशन और इलाज डॉ. अंशू मिश्रा कर रही हैं।

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