इंदौर से जुड़ी स्वर कोकिला की यादें …लता जी का घर है, यह सोचकर मुंहमांगी कीमत पर खरीदा था, फिर इसे सुरों के मंदिर की तरह पूजने लगे
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार की सुबह 92 साल में निधन हो गया। उनका जन्म इंदौर में हुआ था, इसलिए इंदौर में उनके स्वास्थ्य की कामना की जा रही थी। अब शहरवासी उन्हें श्रद्धांजलि देने के साथ उनके बचपन की यादों को ताजा कर रहे हैं।
28 सितंबर 1929 को लता मंगेशकर का जन्म इंदौर के सिख मोहल्ले में हुआ था। उनके का नाम दीनानाथ और मां का नाम शेवंती था। इंदौर जिला अदालत से लगी गली में लता जी की नानी का घर था, यहीं से उनकी संगीत शिक्षा शुरू हुई थी। इसके बाद वे सात साल की उम्र में महाराष्ट्र चली गईं।
लता मंगेशकर के इंदौर से जाने के कुछ समय बाद उनके घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीदा था। यह घर अभी मेहता परिवार के पास है। यहां रहने वाले नितिन मेहता और स्नेहल मेहता बताते हैं, उन्हें जब पता चला कि इसी इसी घर में लता जी का जन्म हुआ था तो उन्होंने इसे मुंहमांगी कीमत पर खरीद लिया। इसके बाद उन्होंने घर का कायाकल्प करवाया। उन्होंने दुकान के एक हिस्से में लताजी का म्यूरल बनवाया है। लता के छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर भी यहां आ चुके हैं। वे इस घर को सुरों के मंदिर की तरह पूजा करते हैं। इस तरह लता जी का इंदौर वाला घर चार बार बिका। वर्तमान में मेहता परिवार ने घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोल लिया है।
आवाज को सुरीला बनाने खाती थी मिर्च
गायकी में कॅरियर शुरू करते वक्त किसी ने लता जी से कह दिया था कि मिर्च खाने से आवाज ज्यादा सुरीली होती है, इसलिए अपनी आवाज को और सुरीली और मीठा बनाने के लिए वो रोज ढेर सारी हरी मिर्च खाती थीं। खासकर तीखी कोल्हापुरी मिर्च।
लता जी अपनी आवाज की फिटनेस के लिए बबल गम भी चबाती थीं। लता को जलेबी कुछ ज्यादा ही पसंद थी। इतना ही नहीं, उन्हें इंदौर के सराफा की खाऊ गली के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बडे़ बहुत पसंद थे। चाट गली और सराफा में उनका आना-जाना लगा रहता था।
ताई ने कहा था- लता जी आपकी बोली में ही छाई है गाने जैसी मधुरता
लता मंगेशकर के इंदौर से लाखों प्रशंसक हैं। इनमें पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी हैं। 2019 में लोकसभा स्पीकर रहते हुए महाजन ने लता जी के जन्मदिन पर उनके मुंबई स्थित निवास पर जाकर बधाई दी थी। दोनों के बीच उस दौरान आधा घंटा बातचीत हुई थी।
तब लता जी ने महाजन से कहा था कि आप लोकसभा का संचालन बेहद प्रभावी तरीके से करती हैं। चर्चा के दौरान ताई ने लता जी से कहा था, आपसे बात करते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई गाना सुन रही हूं। आपकी बोली में गाने जैसी मधुरता है। इसी दौरान हृदयनाथ मंगेशकर के साथ इंदौर की भी चर्चा हुई थी। लता जी ने खास तौर पर इंदौर के खान-पान और सराफा का जिक्र किया था। महाजन ने मुंबई में ही लता जी की बहन मीना खड़ीकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘मोठी तिची सावली’ का विमोचन भी किया था।
भय्यू महाराज के आश्रम में भी आई थीं लताजी
लता मंगेशकर का संत स्व. भय्यू महाराज से भी आत्मीय रिश्ता था। इंदौर स्थित सूर्योदय आश्रम के पुराने सेवादारों के मुताबिक लता जी महाराज द्वारा गरीबों के हितों में किए गए कामों व महाराष्ट्र में उनके आश्रमों में संचालित गतिविधियों को लेकर काफी प्रभावित थी। त्योहारों, जन्म दिवस व खास मौकों पर भय्यू महाराज से उनकी कई बार फोन पर बातें भी हुई। 1990 के दशक में एक बार लता जी महाराज के इंदौर आश्रम पर आई थी और करीब आधा घंटा रही।