इंदौर … ये है फर्जीवाड़े का ‘प्रकाश’ … 30-40 जमानतदारों की टीम, एक दिन के 700 रुपए देता था, हफ्ते में दो बार आता सबका टर्न, ताकि पहचान न ले कोई

साहब, हम तो हफ्ते में दो बार जमानत देने आते थे। जब भी नंबर आता तो प्रकाश पहले से फोन लगा देता। फिर हम कोर्ट में जाते। अपनी बारी आने पर खड़े हो जाते। सामने वाले की जमानत हो जाती। फिर प्रकाश हमें 700 रुपए दे देता था। साथ में चाय-नाश्ता फ्री। हमारे जैसे 30-40 लोगों से उसका संपर्क था। हर दिन नए चेहरे को लाता था, ताकि कोई पहचान न ले।

यह कहना है फर्जी जमानत देने के मामले में गिरफ्तार हुए आरोपी प्रकाश मालवीय का। क्राइम ब्रांच एडीशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर के अनुसार फर्जी जमानत केस में मुख्य आरोपी के आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा। अभी तीन आरोपी प्रकाश (60) पिता बलवंत मालवीय निवासी तराना उज्जैन, रमेश पिता गंगाराम बोडना निवासी रविदास नगर देवास और कैलाश पिता बद्रीप्रसाद प्रजापत निवासी भगतसिंह नगर को जेल भेज दिया है।

मुख्य आरोपी प्रकाश चावड़ा के भतीजे करण पिता दीपक चावड़ा का रिमांड लिया है। वह अभी ज्यादा कुछ बता नहीं रहा है। इसलिए टीम जेल में बंद सरगना प्रकाश चावड़ा को प्रोटेक्शन वारंट पर लाएगी। उसके बाद ही आगे की स्थिति साफ होगी। तब पता चलेगा कि उसने ये सभी दस्तावेज कहां से प्रिंट करवाए और कहां से सील बनवाई है।

कई जगह तो पूछते भी नहीं हैं नाम

प्रकाश मालवीय ने बताया कि हम तो अपना आधार कार्ड लेकर आते थे। सरगना यहां हमारे पासपोर्ट साइज फोटो फर्जी ऋण पुस्तिका में लगाकर हमें कागजों में जमीनों का मालिक बना देता था। फिर हमें सिर्फ जमानत देने वाले व्यक्ति का नाम याद करना होता था।

कई बार तो हमसे यह भी नहीं पूछा जाता था। लोग भी हमें ग्रामीण किसान समझ लेते थे। पूरी गैंग में कितने लोग हैं, कौन-कौन कहां से आता है, ये सब सरगना प्रकाश चावड़ा को पता है। उसके मोबाइल में सबके नंबर हैं। उसने ही अपने भतीजे करण को अभी कुछ माह पहले ही ये सब सिखाया था। प्रकाश चावड़ा के जेल जाने के बाद करण ही सबको संभाल रहा था।

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