बाहुबलियों की कहानी- 5 …. विजय मिश्रा को कभी मुलायम बेटे की तरह मानते थे, आज पत्नी-बेटी रो-रो कर प्रचार कर रही हैं

भदोही जिले की एक सीट है ज्ञानपुर। विधायक हैं विजय मिश्रा। जितना क्षेत्र में रहते हैं उससे अधिक वक्त जेल में, लेकिन प्रभाव इतना कि किसी भी पार्टी से आ जाएं चुनाव जीत जाते हैं। 25 फरवरी को भदोही में भरे मंच पर बेटी रीमा मिश्रा और पत्नी रामलली मिश्रा रो पड़ीं। बोलीं, “अब हमारी इज्जत आपके हाथ में है।” आखिर ऐसी नौबत क्यों आ गई? आज के बाहुबली एपीसोड में बात विजय मिश्रा की। उनके अपराधों की और उन कहानियों की जिस पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है…

पेट्रोल पंप मालिक से विधायक तक
वाराणसी से करीब 50 किलोमीटर दूर एक गांव है धानापुर। 20 वर्ग किलोमीटर में कहीं भी पूछेंगे तो लोग सीधा सा रास्ता बता देंगे। कारण सिर्फ इतना कि यह गांव विजय मिश्रा का है। 1980 तक विजय मिश्रा राजनीति से दूर थे। पेट्रोल पंप और ट्रक चलवा रहे थे। यूपी के सीएम रहे कमलापति त्रिपाठी ने कहा, “विजय धंधा तो चलता रहेगा अब राजनीति में आ जाओ।” विजय ने बात मानी और राजनीति में आ गए।

राजनीति में आए और धमकी साथ लाए
90 के दशक में विजय पहली बार ब्लॉक प्रमुख बने। बताया जाता है इस चुनाव में उन्होंने जमकर पैसा लुटाया। जिसने वोट करने से मना किया उसे उठवा लिया गया। राजनीतिक महत्वकांक्षा बढ़ी और विजय मिश्रा की नजर जिला पंचायत के चुनाव पर चली गई। यहीं से विजय मिश्रा पर मुकदमे दर्ज होने शुरू हो गए।

रिश्तेदार की गाड़ियों को जबरन उठा ले जाने के मामले में विजय मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार किया और जेल में डाल दिया।
रिश्तेदार की गाड़ियों को जबरन उठा ले जाने के मामले में विजय मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार किया और जेल में डाल दिया।

मुलायम से मिले और खास बन गए
साल 2000 तक भदोही में जिला पंचायत अध्यक्ष शिव करण यादव हुआ करते थे। एकबार शिव करण ने मुलायम सिंह को गाली दे दी थी। मुलायम सिंह यादव से विजय मिश्रा की मुलाकात हुई तो मुलायम ने विजय से पूछा था कि “क्या तुम शिव करण को हरा पाओगे?” विजय ने हामी भर दी। मुलायम ने जिला पंचायत की तीन सीट विजय को सौंपी। विजय उम्मीद पर खरे उतरे और तीनों उम्मीदवारों को जिताकर अध्यक्ष के चुनाव में शिव करण को हरा दिया। पहला भरोसा जीतते ही विजय मुलायम के खास हो गए। इसका इनाम मिला 2002 में विधानसभा का टिकट।

मुलायम के खास होते ही विजय का प्रभाव ज्ञानपुर सीट के साथ-साथ हंडिया, भदोही और मिर्जापुर जिले तक पहुंच गया। 2002 में गोरखनाथ पांडे को हराकर पहली बार विधायक बने। साथ ही मिर्जापुर से कैलाश चौरसिया और हंडिया से महेश नारायण सिंह को चुनाव जितवा दिया। यहां से विजय की हनक बढ़ती गई। धमकीबाजी का स्तर हाई होता गया। केस पर केस लगते गए। ये संख्या 2005 तक बढ़ते-बढ़ते 20 पहुंच गई।

माया लहर में भी साइकिल की रफ्तार न रुकी
2007 में बसपा की सरकार बनी, लेकिन विजय के ‘विजय’ का रोक न सकी। 2009 में भदोही सीट पर उपचुनाव था। बसपा ने गोरखनाथ पांडे को प्रत्याशी बनाया। बसपा के 30 मंत्री डेरा जमाए हुए थे। मायावती को पता था कि पूरे जिले में विजय का दबदबा है इसलिए उन्हें अपने पाले में करने के लिए संदेश भेजा पर उन्होंने ठुकरा दिया। ये बात मायावती को खटक गई।

विजय मिश्रा का प्रभाव न सिर्फ ज्ञानपुर बल्कि भदोही की तीनों सीटों पर हो गया। नतीजा ये रहा कि 2012 तक वह जिसे चाहते थे वह जीत जाता था।
विजय मिश्रा का प्रभाव न सिर्फ ज्ञानपुर बल्कि भदोही की तीनों सीटों पर हो गया। नतीजा ये रहा कि 2012 तक वह जिसे चाहते थे वह जीत जाता था।

मेरी पत्नी रामलली के सिंदूर का वास्ता, बचा लीजिए
मायावती ने विजय मिश्रा को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को भेज दिया। विजय को खबर लग गई। मुलायम सिंह वहीं एक सभा कर रहे थे। विजय मंच पर पहुंच गए। दोनों हाथ जोड़कर मुलायम सिंह के सामने खड़े हो गए। कहा, “आपको मेरी पत्नी रामलली के सिंदूर का वास्ता, मुझे बचा लीजिए” मुलायम सिंह ने कहा, “जिसकी हिम्मत हो पकड़कर दिखा दे हमें।” इतना कहने के बाद मुलायम ने विजय को हेलीकॉप्टर में बैठाया और उड़ गए। पुलिस देखती रह गई।

नंदी पर रिमोट बम से हमला
12 जुलाई 2010, बसपा सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ सुबह अपने घर से करीब 1 किलोमीटर दूर रोज की तरह पूजा करने गए थे। मंदिर पहुंचे और गाड़ी से उतरे ही थे कि स्कूटी में रखे बम को रिमोट से उड़ा दिया गया। धुएं का गुबार उठा। धुआं छटा तो इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार विजय प्रताप सिंह, राकेश मालवीय और मंत्री के गनर की लाश पड़ी थी। नंदी का पेट फट गया, आंते बाहर आ गई। हथेली के चीथड़े उड़ गए। नंदी किसी तरह से भागकर पड़ोसी के घर में घुसे। दूसरा ड्राइवर आया और सीधे रास्ते के बजाय गाड़ी को शहर का चक्कर लगाते हुए एसआरएन पहुंचे। आठ दिन तक नंदी को होश नहीं रहा।

नंदगोपाल गुप्ता उस वक्त बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। ये फोटो हमें नंदी समर्थक ट्वीटर हैंडल पर मिली।
नंदगोपाल गुप्ता उस वक्त बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। ये फोटो हमें नंदी समर्थक ट्वीटर हैंडल पर मिली।

नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता ने विजय मिश्रा, ब्लॉक प्रमुख दिलीप मिश्रा समेत दो अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने गिरफ्तारी शुरू की। दिलीप मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। विजय मिश्रा फरार हो गए। सात महीने तक विजय का कुछ पता नहीं चला। वह गेरुआ वस्त्र पहनकर कर्नाटक, कोलकाता और मुंबई में घूमते रहे। पुलिस ने इनाम की राशि 20 हजार से 50 हजार और फिर सीधे ढाई लाख रुपए घोषित कर दी। 8 फरवरी 2011 को एसटीएफ ने विजय को दिल्ली के हौजखास से गिरफ्तार कर लिया।

विजय ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दाढ़ी-मूछ बढ़ा ली। उसे पहचानना बेहद मुश्किल हो गया था।
विजय ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दाढ़ी-मूछ बढ़ा ली। उसे पहचानना बेहद मुश्किल हो गया था।

गिरफ्तारी के बाद उस वक्त के एडीजी बृजलाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया कि विजय मिश्रा पर साजिश रचने, हत्या और हत्या के प्रयास सहित कुल 62 आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि विजय मिश्रा के बुलाने पर राजेश पायलट नाम का शख्स प्रयागराज आया और उसने बम का इंतजाम किया।

इतने अपराधों के बाद भी मुलायम सिंह का प्रेम कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में बंद विजय को 2012 के चुनाव में फिर से उतारा। विजय ने बसपा को 37,674 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया। सपा की सरकार बनी तो विजय बाहर आ गए, लेकिन अखिलेश से उनकी न जमी और उन्होंने 2017 के चुनाव में विजय मिश्रा का टिकट काट दिया।

बीबीसी से बात करते हुए विजय ने कहा था, नेताजी को जब तक विजय मिश्रा से काम था तब तक हम बाहुबली नहीं थे, लेकिन जब काम खत्म हो गया तो हम अचानक बाहुबली हो गए। अगर हम बाहुबली ही होते तो इन्होंने 2012 में टिकट क्यों दिया? 2014 में मेरी बेटी को लोकसभा का टिकट क्यों दिया? 2016 में मेरी पत्नी को एमएलसी का टिकट क्यों दिया?

अखिलेश यादव ने 2016 में विजय मिश्रा की पत्नी रामलली को एमएलसी बनाया था।
अखिलेश यादव ने 2016 में विजय मिश्रा की पत्नी रामलली को एमएलसी बनाया था।

2017 में जीते तो पार्टी ने ही निलंबित कर दिया
2017 के चुनाव विजय मिश्रा निषाद पार्टी से चुनाव लड़े और बीजेपी के महेंद्र कुमार बिंद को 20,230 वोटों से हरा दिया। विजय मिश्रा जिस पार्टी से जीते उसी के पदाधिकारियों के खिलाफ हो गए। नतीजा ये हुआ कि पार्टी के खिलाफ काम करने की वजह से निलंबित कर दिए गए।

मैं ब्राह्मण हूं मेरा एनकाउंटर हो जाएगा
2017 में योगी आदित्यनाथ सीएम बने तो विजय मिश्रा कहते थे, “महाराज जी काम तो ठीक कर रहे हैं, लेकिन उनके अफसर सही नहीं है।” 2019 के बाद विजय भाजपा के पूरी तरह खिलाफ हो गए। कारण ये था कि विजय के ही एक धनापुर कौलापुर के रिश्तेदार कृष्ण मोहन तिवारी ने मामला दर्ज करवाते हुए कहा, “विधायक विजय मिश्रा और उनके करीबी डरा-धमकाकर 13 ट्रक-डंपर उठा ले गए। विजय की बेटी रीमा और सीमा के कहने पर उन्हें अलग-अलग जगहों पर छिपा दिया गया। दो के फर्जी कागज भी इन लोगों ने बनवा लिए थे।”

गाड़ी नहीं पलटनी चाहिए
योगी सरकार ने इस शिकायत के बाद विजय की फजीहत कर दी। सरकार ने विधायक के प्रयागराज के अल्लापुर में स्थित घर पर बुलडोजर चलवा दिया। भतीजे प्रकाश चंद्र मिश्र और विकास चंद्र मिश्र के घर भी कुर्क करवा दिए। विजय फरार हुए तो पुलिस दूसरे राज्यों में तालाश करने पहुंच गई। 14 अगस्त 2020 को एमपी के आगर में पकड़ लिया गया। पुलिस ले आने लगी तो बेटियों ने कहा, बाकी सब तो कानून तय करेगा, लेकिन गाड़ी नहीं पलटनी चाहिए। बेटियों ने यह बात विकास दुबे के मामले को देखते हुए कही थी।

इस वक्त क्या हाल
विजय मिश्रा फिर से चुनाव मैदान में हैं। इस बार सपा या निषाद पार्टी से नहीं बल्कि प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस पार्टी का जन्म भदोही में ही हुआ। पार्टी के अध्यक्ष प्रेमचंद बिंद यहीं के हैं। फिलहाल विजय मिश्रा आगरा की जेल में बंद हैं। पत्नी रामलली और बेटियां चुनाव प्रचार कर रही हैं। मंच से रोने लगती हैं। मांग के सिंदूर की लाज रखने की बात कहती हैं, परिवार के लिए जीवन-मरण की बात कहती हैं। अब जनता पर इन बातों का असर पड़ेगा या नहीं ये 10 मार्च को पता चलेगा।

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