ग्वालियर में लाइसेंसी हथियार 33 हजार के पार, प्रदेश में सबसे ज्यादा; हर सप्ताह 80-90 आवेदन पहुंचते हैं कलेक्ट्रेट
लाइसेंसी हथियार के मामले में ग्वालियर जिले ने दस्यु प्रभावित रहे भिंड-मुरैना जिलों को पीछे छोड़ दिया है। आज हालात यह हैं कि ग्वालियर में लाइसेंसी हथियार 33 हजार 700 तक पहुंच गए हैं। यह संख्या प्रदेश के 52 जिलों में सर्वाधिक है। भिंड में कुल हथियारों की संख्या 24 हजार जबकि मुरैना में 29 हजार 700 तक पहुंच चुकी है।
वहीं राजधानी में लगभग तिहाई 12029 लाइसेंसी हथियार हैं। हथियारों के क्रेज का अंदाजा इसी से लगता है कि कलेक्टर व एडीएम से मिलने वाला हर तीसरा व्यक्ति लाइसेंस की फरियाद ही करता है। सिर्फ कलेक्ट्रेट में ही इन दिनों 1100 आवेदन लंबित हैं। वहीं पुलिस के अलग-अलग दफ्तरों में 3700 आवेदन अभी प्रक्रिया में हैं। इसके बाद भी आवेदनों की रफ्तार थमी नहीं है। हर सप्ताह 80-90 आवेदक हथियार लाइसेंस के नए आवेदन लेकर कलेक्टर के पास पहुंचते हैं। वर्तमान में जो 33 हजार 700 लाइसेंस हैं उनमें 1 हजार 580 पिस्टल-रिवाल्वर हैं।
हथियार विक्रेता अशोक अग्रवाल ने बताया कि हर साल हथियारों की बिक्री में 20 फीसदी तक इजाफा हो रहा है। हथियार के शौकीन शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में हैं। इन दिनों सर्वाधिक बिक्री और डिमांड 315 बोर राइफल की है। इसकी कीमत में भी सर्वाधिक 20 फीसदी तक वृद्धि हुई है।
कलेक्टर और कमिश्नर पर भी लाइसेंसी हथियार
लाइसेंंसी हथियार का शौक सिर्फ आम लोग या जन प्रतिनिधियों को ही नहीं है, अफसर और उनकी पत्नियों को भी है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह व निगम आयुक्त किशोर कन्याल के नाम भी पिस्टल-रिवाल्वर का लाइसेंस है। लाइसेंसी हथियार रखने वाले अफसरों की सूची में एसडीएम सीबी प्रसाद, अनिल बनवारिया, अशोक चौहान, प्रदीप सिंह तोमर सहित कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। कलेक्टर कार्यालय से केंद्रीय व राज्य मंत्री के अलावा सांसद-विधायकों के नाम भी पूर्व में लाइसेंस जारी हुए हैं।
ग्वालियर प्रदेश के अन्य जिलोंं से काफी आगे
हथियार लाइसेंस के मामले में ग्वालियर जिला प्रदेश के अन्य जिलोंं से काफी आगे है। ग्वालियर जिला नंबर एक पर है। यहां 33700 लाइसेंस हैं। इसके बाद भी मांग में कोई कमी नहीं आ रही है। पिछले दो सप्ताह में 650 आवेदन इसी कारण निरस्त किए गए हैं। नए लाइसेंस अब और जांच के बाद व आवेदक की मांग के आधार पर ही जारी किए जाएंगे।-इच्छित गढ़पाले, एडीएम