MP यूजी काउंसिलिंग… एमबीबीएस की एक सीट पर दस दावेदार …. 24 मेडिकल कॉलेजों की 807 सीटों पर सेकंड राउंड में दाखिले के लिए 8635 छात्र दौड़ में शामिल

मप्र के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों पर दाखिले के यूजी काउंसिलिंग के दूसरा चरण की सीटों का आवंटन नौ मार्च को होगा। दूसरे चरण में प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 170 सीटों और 11 निजी मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस की 637 सीट्स पर एडमिशन के लिए सेकंड राउंड की मेरिट लिस्ट में 8637 स्टूडेंट्स को शामिल किया गया है। यानि प्रदेश के 24 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की एक सीट पर औसतन दस छात्र दावेदार होंगे।

नौ मार्च को होगा सीट आवंटन

चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) से जारी सूचना के मुताबिक नौ मार्च को सेकंड राउंड की अलॉटमेंट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद छात्रों को आवंटित कॉलेज में एडमिशन लेना होगा। दूसरे चरण के बाद खाली बची सीटों पर दाखिले के लिए मॉपअप राउंड और इसके बाद कॉलेज लेवल काउंसिलिंग की जाएगी। छात्रों द्वारा की गई च्वाइस फिलिंग में सर्वाधिक अंक वाले छात्र को मेरिट के आधार पर सबसे पहले दाखिला मिलेगा।

पहले राउंड के बाद बची सरकारी कॉलेज में सीटों की संख्या

मेडिकल कॉलेज सीटें
गजराराजा, ग्वालियर 7
एमजीएम इंदौर 53
एनएससीबी, जबलपुर 8
एसएस रीवा 13
बुंदेलखंड, सागर 9
मेडिकल कॉलेज रतलाम 12
एबीएमसी, विदिशा 12
मेडिकल कॉलेज दतिया 8
मेडिकल कॉलेज खंडवा 10
मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा 7
मेडिकल कॉलेज शहडोल 8
मेडिकल कॉलेज शिवपुरी 8
सरकारी मेडिकल कॉलेज 13 कुल सीटें 170

निजी मेडिकल कॉलेज में सेकंड राउंड के लिए बची सीट

पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल 75
एलएन मेडिकल कॉलेज भोपाल 78
चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल 18
अरविंदो मेडिकल कॉलेज इंदौर 71
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर 59
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज उज्जैन 13
महावीर मेडिकल कॉलेज भोपाल 35
सुखसागर मेडिकल कॉलेज जबलपुर 52
एलएन सेवाकुंज मेडिकल कॉलेज इंदौर 150
कुल निजी मेडिकल कॉलेज 11 सीटें 637

यूक्रेन में एमपी के डेढ़ सौ मेडिकल स्टूडेंट अब भी फंसे

रूस यूक्रेन युद्ध के बीच मप्र के चार सौ से ज्यादा मेडिकल स्टूडेंट्स फंसे हुए थे इनमें से 304 वापस आ चुके हैं लेकिन डेढ़ सौ छात्र अब भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। मप्र सहित देश के दूसरे राज्यों में मेडिकल की पढ़ाई में कॉम्पटीशन और फीस ज्यादा होने के कारण छात्र रूस, चीन, यूक्रेन, नेपाल, फिलीपींस सहित दूसरे देशों में डॉक्टर बनने जाते हैं।

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