ग्वालियर … पिछले कुछ सालों में शहर में बढ़ा महिला हिंसा का ग्राफ, काबू नहीं हो रहे अपराध
महिला सुरक्षा पुलिस के लिए बड़ा टास्क बन चुका है। उसके लिए घर में अंदर महिलाओं की सुरक्षा चुनौती साबित हो रही है। जनसुनवाई से लेकर महिला थाने में उन पीडि़ताओं की भीड़ है, जिन पर अपनों ने…
ग्वालियर. महिला सुरक्षा पुलिस के लिए बड़ा टास्क बन चुका है। उसके लिए घर में अंदर महिलाओं की सुरक्षा चुनौती साबित हो रही है। जनसुनवाई से लेकर महिला थाने में उन पीडि़ताओं की भीड़ है, जिन पर अपनों ने जुल्म किया है। इसे कैसे काबू किया जाए। इसको लेकर पुलिस मुख्यालय स्तर पर मंथन हो रहा है। हालांकि इससे पहले भी कई प्लान बनाए गए। लेकिन हर बार सिर्फ नाम बदला गया। उनकी तासीर वही रही। अब ऊर्जा डेस्क से पुलिस को उम्मीद हैं। इस प्लान पर महकमा खासा पैसा भी खर्च कर रहा है। यह समय बताएगा कि महिलाओं की सुरक्षा का नया प्लान कितना कारगर साबित होगा।
घर के अंदर महिलाओं के साथ क्राइम ग्राफ में हर साल इजाफा हो रहा है। पिछले 4 साल में 1955 महिला घर में हिंसा की चपेट में आई हैं। इनमें ज्यादातर की परेशानी है, पुलिस से शिकायत के बाद भी उनकी परेशानी खत्म नहीं हुई है। बल्कि इंसाफ मांगने की कोशिश ने उन पर जुल्म करने वालों की खुन्नस और बढ़ाई है। इस साल 641 महिलाओं ने घर में हिंसा की शिकायत की है, इस हिसाब से हर महीने करीब 53 महिलाओं को घर में टॉर्चर किया जा रहा है। यह गिनती सिर्फ उन महिलाओं की है जिन्होंने शिकायत करने की हिम्मत की है। चुपचाप हिंसा का शिकार होने वाली पीडि़ताओं की गिनती इससे ज्यादा होगी।
चिंता की बात यह है ग्राफ साल दर साल बढ़ रहा है। परामर्श के जरिए इसे रोकने की कोशिश भी पूरी तरह कारगर नहीं है। महिला अपराधों की विवेचक कहते हैं, शिकायत करने वाली महिलाएं पुलिस से मदद चाहती है, इसमें आरोपी उनके परिजन ही होते हैं। परामर्श में दोनों पक्ष की अंदरूनी बातें भी खुलती हैं। इनमें ज्यादातर अहंकार की वजह से यह बर्दाश्त नहीं करते उनकी खामियां पुलिस के सामने आएं।
घर के अंदर महिलाओं के साथ क्राइम ग्राफ में हर साल इजाफा हो रहा है। पिछले 4 साल में 1955 महिला घर में हिंसा की चपेट में आई हैं। इनमें ज्यादातर की परेशानी है, पुलिस से शिकायत के बाद भी उनकी परेशानी खत्म नहीं हुई है। बल्कि इंसाफ मांगने की कोशिश ने उन पर जुल्म करने वालों की खुन्नस और बढ़ाई है। इस साल 641 महिलाओं ने घर में हिंसा की शिकायत की है, इस हिसाब से हर महीने करीब 53 महिलाओं को घर में टॉर्चर किया जा रहा है। यह गिनती सिर्फ उन महिलाओं की है जिन्होंने शिकायत करने की हिम्मत की है। चुपचाप हिंसा का शिकार होने वाली पीडि़ताओं की गिनती इससे ज्यादा होगी।
चिंता की बात यह है ग्राफ साल दर साल बढ़ रहा है। परामर्श के जरिए इसे रोकने की कोशिश भी पूरी तरह कारगर नहीं है। महिला अपराधों की विवेचक कहते हैं, शिकायत करने वाली महिलाएं पुलिस से मदद चाहती है, इसमें आरोपी उनके परिजन ही होते हैं। परामर्श में दोनों पक्ष की अंदरूनी बातें भी खुलती हैं। इनमें ज्यादातर अहंकार की वजह से यह बर्दाश्त नहीं करते उनकी खामियां पुलिस के सामने आएं।
पिछले कुछ सालों में शहर में बढ़ा महिला हिंसा का ग्राफ, काबू नहीं हो रहे अपराध
सुरक्षा की इतनी योजना, फिर क्यों बढ़ रहा ग्राफ
पुलिस के सामने बड़ा सवाल है, महिलाओं की सुरक्षा के लिए 6 से वीकेयर फार यू, महिला हेल्पलाइन, निर्भया और ऊर्जा डेस्क सहित 6 से ज्यादा योजनाएं संचालित हैं। उसके बावजूद महिलाओं के साथ क्राइम ग्राफ खासकर घरेलू हिंसा की वारदातों पर कसावट क्यों नहीं हो रही है, जबकि इन अपराधों में आरोपी भी पेशेवर या आदतन अपराधी नहीं होते।
पुलिस के सामने बड़ा सवाल है, महिलाओं की सुरक्षा के लिए 6 से वीकेयर फार यू, महिला हेल्पलाइन, निर्भया और ऊर्जा डेस्क सहित 6 से ज्यादा योजनाएं संचालित हैं। उसके बावजूद महिलाओं के साथ क्राइम ग्राफ खासकर घरेलू हिंसा की वारदातों पर कसावट क्यों नहीं हो रही है, जबकि इन अपराधों में आरोपी भी पेशेवर या आदतन अपराधी नहीं होते।
इस तरह प्लान, कारगर नहीं
महिलाओं को घर और बाहर सुरक्षित रखने के लिए वी केयर फॉर यू, वीमेन सेफ्टी ऐप, महिला हेल्पलाइन, निर्भया मोबाइल, महिला थाना पुलिस, जिला स्तर पर परिवार परामर्श केन्द्र के अलावा अब ऊर्जा डेस्क है। प्रदेश स्तर पर पुलिस ऊर्जा डेस्क को वीमेन क्राइम पर काबू के लिए कारगर बता रही है। थाना स्तर पर इस डेस्क को सिर्फ महिलाओं के लिए शुरू किया गया है। लेकिन उसके बावजूद महिलाओं के साथ अपराध का ग्राफ काबू नहीं है। पुलिस अफसर भी मानते हैं, प्रदेश स्तर घरेलू हिंसा में ग्वालियर आगे हैं।
महिलाओं को घर और बाहर सुरक्षित रखने के लिए वी केयर फॉर यू, वीमेन सेफ्टी ऐप, महिला हेल्पलाइन, निर्भया मोबाइल, महिला थाना पुलिस, जिला स्तर पर परिवार परामर्श केन्द्र के अलावा अब ऊर्जा डेस्क है। प्रदेश स्तर पर पुलिस ऊर्जा डेस्क को वीमेन क्राइम पर काबू के लिए कारगर बता रही है। थाना स्तर पर इस डेस्क को सिर्फ महिलाओं के लिए शुरू किया गया है। लेकिन उसके बावजूद महिलाओं के साथ अपराध का ग्राफ काबू नहीं है। पुलिस अफसर भी मानते हैं, प्रदेश स्तर घरेलू हिंसा में ग्वालियर आगे हैं।
परिवार को टूटने से बचाना मकसद
पिछले वर्षों में घरेलू हिंसा बढ़ी हैं, इसके लिए घरेलू हिंसा अधिनियम है। इसमें महिलाओं के साथ हिंसा के अलावा बुजुर्ग माता पिता, बच्चों के साथ प्रताडना पर भी कार्रवाई होती है। ऐसे अपराधों पर काबू के लिए पुलिस अपराध पंजीबद्ध करने से पहले पीडित की परिवार के सदस्यों से काउंसलिंग कराती है। जिले में कोतवाली, महिला थाना और पुलिस कंट्रोल रूम में काउंसलिंग कराई जा रही है। किसी केस पर कार्रवाई से पहले काउंसलिंग के तीन चरण रखे जाते हैं।
पिछले वर्षों में घरेलू हिंसा बढ़ी हैं, इसके लिए घरेलू हिंसा अधिनियम है। इसमें महिलाओं के साथ हिंसा के अलावा बुजुर्ग माता पिता, बच्चों के साथ प्रताडना पर भी कार्रवाई होती है। ऐसे अपराधों पर काबू के लिए पुलिस अपराध पंजीबद्ध करने से पहले पीडित की परिवार के सदस्यों से काउंसलिंग कराती है। जिले में कोतवाली, महिला थाना और पुलिस कंट्रोल रूम में काउंसलिंग कराई जा रही है। किसी केस पर कार्रवाई से पहले काउंसलिंग के तीन चरण रखे जाते हैं।
नागेन्द्र सिंह सीएसपी महिला अपराध और ग्वालियर सर्किल