MP के सबसे बड़े सियासी ड्रामे की कहानी ..

शुरुआत में क्यों फेल हुई भाजपा की तख्तापलट मुहिम, विधायक रामबाई ने होटल में क्यों तानी बंदूक?

20 मार्च 2020… मध्यप्रदेश की सियासत का वह दिन, जब 15 साल बाद सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस सरकार 15 महीने बाद ही गिर गई। कमलनाथ इस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद बीएसपी व निर्दलियों की बैसाखी से चल रही सरकार अल्पमत में आ गई। कमलनाथ सरकार के तख्तापलट की क्या-क्या कड़ियां थीं? 2 साल पूरे होने पर हम आपको मध्यप्रदेश के उस सबसे बड़े सियासी ड्रामे की कहानी सिलसिलेवार बताएंगे, साथ में होंगे कई चौंकाने वाले खुलासे भी; आज पढ़िए पार्ट-1…

2-3 मार्च 2020 की दरमियानी रात, भोपाल से गुरुग्राम तक BJP का ‘ऑपरेशन लोटस’

2-3 मार्च की दरमियानी रात। इस दिन कमलनाथ सरकार गिराने का ट्रेलर रिलीज हुआ। जगह थी गुरुग्राम से सटी मानेसर स्थित आईटीसी ग्रैंड भारत होटल। MP के नंबर प्लेट वाली कई गाड़ियां उस रात यहां एक के बाद एक पहुंचने लगती हैं। सपा विधायक राजेश शुक्ला (बबलू), बसपा के संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस के ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रघुराज कंसाना, हरदीप सिंह, बिसाहूलाल सिंह और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा। भाजपा के अरविंद भदौरिया, नरोत्तम मिश्रा और रामपाल सिंह पहले से होटल में मौजूद थे। इधर, बसपा से निष्कासित विधायक राम बाई को लेकर भूपेंद्र सिंह BJP नेता के चार्टर्ड प्लेन से भोपाल से दिल्ली पहुंचते हैं।

इसी बीच जानकारी लीक हो गई कि निर्दलीय और कांग्रेस के कुछ विधायकों का दिल्ली में मूवमेंट हुआ है। एक विधायक का करीबी फोन पर किसी को बता देता है कि हम दिल्ली आए हुए। यह जानकारी कांग्रेस तक भी पहुंच जाती है। इसके बाद तो दिग्विजय सिंह से लेकर कमलनाथ और जीतू पटवारी से लेकर जयवर्धन सिंह तक सुपर एक्टिव हो जाते हैं।

रात करीब 12 बजे मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन होटल पहुंच जाते हैं। करीब दो घंटे के हाई प्रोफाइल ड्रामे के बाद ये विधायक रामबाई और तीन कांग्रेस विधायक ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव को लेकर लौटने में कामयाब हो जाते हैं। रघुराज कंसाना, हरदीप सिंह, बिसाहूलाल सिंह, राजेश शुक्ला, संजीव सिंह कुशवाह और सुरेंद्र सिंह 4 मार्च को दोपहर बाद होटल से निकलते हैं, लेकिन भोपाल नहीं पहुंचते। भाजपाई इन्हें बेंगलुरु लेकर पहुंचे। यहां कर्नाटक में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को इन विधायकों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया। इन्हें बेंगलुरु के प्रेस्टीज पालम मेडोज में रखा गया।

रामबाई का खुलासा– उस रात दिग्विजय सिंह नहीं आए थे होटल

अब तक यही कहा जा रहा था कि होटल में उस रात जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी के साथ दिग्विजय सिंह भी विधायकों को लेने पहुंचे थे, लेकिन दैनिक भास्कर से बातचीत में राम बाई खुलासा करते हुए कहती है- ‘दिग्विजय सिंह उस रात होटल नहीं आए थे। केवल जीतू और जयवर्धन ही थे। उस रात जमकर मारपीट हुई और मेरे बैग की छीना-झपटी भी। मैं इतना गुस्सा गई थी कि गनमैन की राइफल छीनकर कह दिया था कि किसी ने ज्यादा तीन-पांच किया तो फायर कर दूंगी…।’

‘ऑपरेशन लोटस’: विधायक रामबाई के गनमैन की गलती ने फेल किया

सब कुछ भाजपा के प्लान के मुताबिक चल रहा था। विधायक रामबाई के गनमैन की गलती से भाजपा का पूरा ऑपरेशन फेल हो गया। इस विधायक के गनमैन ने भोपाल में दिल्ली रवाना होते समय अपने नजदीकी को फोन किया और इसी फोन से दिल्ली में विधायकों के एकत्रित होने की खबर लीक हो गई। कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस फेल करने का अच्छा वक्त मिल गया। कांग्रेस नेताओं ने ‘बचाव’ अभियान शुरू किया और रात करीब 2 बजे दोनों नेता विधायक रामबाई के साथ होटल से बाहर आते हुए दिखे।

इस जगह मीडिया भी पहुंच चुका था, इस तरह उस वक्त तक का BJP का पूरा खेल बिगड़ने लगा। तब दिग्विजय सिंह भी दिल्ली में थे। इस बीच होटल में पुलिस तैनात कर दी गई। दिग्विजय सिंह होटल नहीं गए और ना ही यह पता चल पा रहा था कि होटल के कमरों में और कौन विधायक हैं। उन्होंने चतुराई दिखाते हुए रामबाई की दिल्ली में पढ़ रही बेटी को होटल भेजा और अपडेट लिया। इस दौरान जो विधायक BJP के संपर्क में थे, वे भी इसी होटल में थे। उस रात तक बेंगलुरु कोई नहीं गया था।

भाजपा किसी भी सूरत में ऑपरेशन लोटस फेल होने नहीं देना चाहती थी

बीजेपी हाईकमान ने ऑपरेशन लोटस में शर्त रखी थी कि किसी भी सूरत में यह फेल नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के सक्रिय होने के बाद यह कमजोर हो गया। 5 मार्च को नरोत्तम समेत दूसरे नेता दिल्ली से भोपाल के लिए रवाना हो गए, लेकिन शिवराज सिंह चौहान को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने दिल्ली बुला लिया। इधर, बेंगलुरु से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से फोन पर बात की और उन्हें भरोसा दिलाया था कि हम सब आपके साथ हैं। इन विधायकों की 4-5 मार्च को बीजेपी के बड़े नेताओं से मीटिंग होनी थी।

6 मार्च को पहला इस्तीफा… विधायक हरदीप सिंह डंग का

मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज विधायक हरदीप सिंह डंग ने 6 मार्च को अचानक इस्तीफा दे दिया। वे भी गायब हुए कांग्रेस विधायकों में शामिल थे, वे न तो सिंधिया समर्थक थे, ना ही कमलनाथ-दिग्विजय गुट के थे। ऐसे में न काम होते थे, न सुनवाई। यही वजह है कि BJP ने उनसे अलग से संपर्क किया और सिंधिया लॉबी के विधायकों की ‘सेफ लैंडिंग’ हाेने तक स्ट्रेटेजी के तहत हरदीप सिंह से सबसे पहले इस्तीफा दिलवाया।

डंग के इस्तीफे के बाद कमलनाथ एक्टिव हुए। कांग्रेस के सभी विधायकों को भोपाल बुलाया गया और सभी को राजधानी नहीं छोड़ने के निर्देश दिए गए। इस बीच कांग्रेस ने देर रात जद्दोजहद करके 6 विधायकों की वापसी करा दी, लेकिन 5 विधायक गायब रहे। इन विधायकों में हरदीप सिंह डंग, रघुराज सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा शामिल थे।

ऑपरेशन लोटस सिंधिया पर कैसे शिफ्ट हुआ

भाजपा को कमलनाथ सरकार गिराने के लिए केवल सात विधायक चाहिए थे। इसके लिए भाजपा ने मध्यप्रदेश ने कुछ अलग-थलग पड़े कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों पर डोरे डाले। यह किसी से नहीं छुपा था कि कमलनाथ विधायकों के दबाव में कतई नहीं आते थे। चाहे काम अटके या विधायक बयानबाजी करते रहे। उपेक्षित-असंतुष्ट ये विधायक 2 मार्च की रात गुरुग्राम ले जाए गए थे, लेकिन यहां भांडा फूट गया।

किरकिरी होते देख BJP के केंद्रीय विंग ने मिशन अपने हाथ में लिया और प्लान B पर काम शुरू किया। इसके मुख्य बने किरदार ज्योतिरादित्य सिंधिया। उनकी उनके मित्र और BJP के वरिष्ठ नेता जफर इस्लाम ने हाईकमान से मीटिंग कराई। इसके बाद कमलनाथ सरकार को गिराने का ड्रामा एक बार फिर शुरू हुआ।

सीरीज की दूसरी कड़ी में कल हम बताएंगे 7 मार्च 2020 को कमलनाथ हाईकमान की बात मान लेते तो सरकार बच सकती थी, पर उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया…

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