सी-वोटर के फाउंडर का इंटरव्यू ….चुनावों पर बोले- लोगों को लगा कांग्रेस को वोट दिया तो बेकार जाएगा, भाजपा को हिंदुत्ववादी वोटों की गलतफहमी

पांच राज्यों के चुनावों में प्रो-इनकम्बेंसी परिणाम आए हैं, जो इंडियन पॉलिटिक्स में नया ट्रेंड बन रहा है। ये मानना है चुनावी विश्लेषक और एग्जिट पोल कराने वाली संस्था सी-वोटर (C-voter) के फाउंडर यशवंत देशमुख का। दैनिक भास्कर से विशेष इंटरव्यू में यशवंत ने पांच राज्यों के चुनाव परिणाम, भाजपा का हिंदुत्व एजेंडा, महिलाओं के चुनाव में बढ़ते योगदान और कांग्रेस की वर्तमान स्थिति और भविष्य को लेकर बात की।

पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश…

Q . गवर्नेंस और हिंदुत्व, क्या ज्यादा बड़ा कारण रहा BJP की सफलता के पीछे?
A . 
देखिए, ये वोट हिंदुत्व को नहीं मिला है। हां, ये सही है कि बीजेपी के वोटर्स का एक हिस्सा है, जिसे हिंदुत्व की राजनीति पसंद है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इतना साफ है कि लोगों ने राशन पर वोट दिया है, शौचालय बनने पर वोट दिया। उनके खाते में जो कैश ट्रांसफर हुए, उसके लिए वोट दिए।

महिलाओं ने सुरक्षा के मुद्दे पर वोट दिया है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर अपराध तब होते हैं, जब वे शौच के लिए बाहर जाती हैं। टॉयलेट केवल सैनिटेशन और हाइजीन का इश्यू नहीं है, सुरक्षा का भी मुद्दा है। हिंदुत्व के अलावा बीजेपी को इन मुद्दों पर ग़रीबों और महिलाओं से वोट मिला है और ऐसा सिर्फ बीजेपी के साथ नहीं है।

जनवरी में सी-वोटर का ‘मूड ऑफ द नेशन पोल’ आया था। उसमें देश के सभी मुख्यमंत्रियों की रैंकिंग है और टॉप 10 में BJP का केवल एक मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा। नौ मुख्यमंत्री विपक्ष के हैं तो उनकी सफलता के पीछे भी गवर्नेंस और लास्ट माइल सर्विस डिलीवरी ही है।

 

Q. चुनाव परिणाम में महिलाओं के वोट का कितना असर रहा?
A.
 बीजेपी की जीत में महिला वोट का बहुत योगदान रहा। हर चुनाव में ये योगदान बढ़ रहा है और जहां बीजेपी के अलावा भी कोई जीत रहा है, उनको भी महिलाओं का वोट ही जिता रहा है। महिलाएं ही हैं जो अरविंद केजरीवाल को पंजाब में जितवा रही हैं, महिलाएं ही हैं जिन्होंने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में स्टालिन को जिताया। उत्तर प्रदेश में तो अंत के तीन चरणों में महिलाओं ने पुरुषों से 10-10% ज्यादा वोट किया। महिलाओं ने मुद्दों पर वोट दिया तो कब तक उसे आप हिंदू-मुसलमान के नजरिए से तौलते रहेंगे। मैं ये नहीं कह रहा कि बीजेपी हिंदू-मुसलमान नहीं करती। उनमें आत्मविश्वास की इतनी कमी थी कि इस चुनाव में भी हिंदू-मुसलमान, बुलडोजर…सब किया। जितनी गलतफहमी बाकी विपक्ष को है, उससे कहीं बड़ी गलतफहमी बीजेपी के नेताओं को है कि उन्हें हिंदुत्व पर वोट मिला।

Q. महिलाओं का यदि इतना योगदान था तो कांग्रेस का कैंपेन, जो प्रियंका गांधी के नेतृत्व में केवल महिला सुरक्षा पर केंद्रित था, क्यों नहीं चल पाया?
A .
 प्रियंका ने बहुत अच्छा कैंपेन किया और अखिलेश से दस गुना ज़्यादा मेहनत की, लेकिन उसका फायदा कांग्रेस को नहीं मिला, क्योंकि कांग्रेस को लोग एक सीरियस कंटेंडर की तरह नहीं देख रहे थे। लोगों को लगा कि कांग्रेस को वोट देने से वोट बेकार हो जाएगा।

Q. क्या आप भारत में विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस के बिना होता हुआ देखते हैं?
A .
 कांग्रेस के बिना बीजेपी को चुनौती नहीं दी जा सकती। अभी गई-गुजरी हालत में भी कांग्रेस के पास देश का 20% वोट है, मतलब हर पांचवां वोट उनको मिल रहा है और ये एक बहुत बड़ा नंबर है। बिना कांग्रेस को केंद्र में रखे विपक्ष की कोई तैयारी नहीं हो सकती, लेकिन उतना ही ये भी सही है कि राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी को आगे रखकर अब आप विपक्ष नहीं चला सकते। कांग्रेस को ये समझना होगा कि ऐसा नहीं है की गांधी परिवार के बिना कांग्रेस चल नहीं सकती। जितना भारी वोट शेयर सोनिया गांधी के नेतृत्व में 2009 में कांग्रेस को मिला था, उससे ज़्यादा पीवी नरसिम्हा राव 1996 के चुनाव में लेकर आए थे। पांच साल सरकार चलाने के बाद। जितने वोट सोनिया गांधी के नेतृत्व में 2004 में आए थे, उतने ही सीताराम केसरी 1998 में ले आए थे। बिना गांधी परिवार कांग्रेस सरवाइव नहीं कर सकती, इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं है। कांग्रेस की हालत ये है कि हमारे पास एक बहुत शानदार बस है, लेकिन चाहे एक्सीडेंट पर एक्सीडेंट करता रहे, चलाएगा तो उसे हमारा लड़का ही। आपको मोदी और अमित शाह को हराना है तो उनसे ज़्यादा मेहनत करनी होगी।

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