मिलावटी शराब बनाने वाले रैकेट का खुलासा …कानपुर आउटर पुलिस ने छापेमारी कर 1.25 करोड़ के ब्रांडेड कंपनियों के नकली क्यूआर कोड, ढक्कन, रैपर और मशीनें की बरामद

कानपुर आईजी रेंज प्रशांत कुमार की टीम ने ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर मिलावटी शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले रैपर, क्यूआर कोड, ढक्कन और लेबल समेत अन्य तीन ट्रक माल दिल्ली से बरामद किया है। नकली माल बनाने की फैक्ट्री चलाने वाले तीन आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है। बरामद माल की कीमत करीब सवा करोड़ रुपए बताई जा रही है। दिल्ली की दो फैक्ट्रियों में यह माल बनाया जा रहा था और कानपुर से लेकर यूपी के दर्जनों जिलों समेत पांच से ज्यादा राज्यों में मिलावटी शराब बनाने का माल सप्लाई किया जा रहा था। पुलिस जल्द ही मिलावटी शराब बनाने वाले सिंडीकेट का भी खुलासा करेगी।

कानपुर-दिल्ली से सात राज्यों में सप्लाई हो रही थी मिलावटी शराब

आईजी रेंज कानपुर प्रशांत कुमार ने अपने दफ्तर में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कानपुर आउटर साढ़ थाने की पुलिस ने फरार चल रहे हत्यारोपी कानपुर देहात बिनगवां निवासी संजय यादव को गिरफ्तार किया था। दबिश के दौरान उसके घर से भारी मात्रा में मिलावटी शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले नामी कंपनियों के क्यूआर कोड, लेबल, ढक्कन समेत अन्य माल बरामद किया था।

जांच में पता चला कि वह मिलावटी शराब बनाने वाले लोगों को ब्रांडेड कंपनियों के नकली क्यूआर कोड, ढक्कन, लेबल समेत अन्य माल सप्लाई करता है। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर दिल्ली में छापेमारी करके पंजाबी बस्ती घाटी रोड थाना क्षेत्र आनंद पर्वत निवासी वीरेंद्र कुमार राय, शास्त्री नगर दिल्ली निवासी मुकेश कुमार मित्तल और शास्त्री नगर दिल्ली निवासी अशोक कुमार को छापेमारी करके गिरफ्तार कर लिया।

लग्जरी बसों से सप्लाई होता था क्यूआर कोड और ढक्कन

पूछताछ में दोनों ने बताया कि वीरेंद्र और मुकेश मित्तल पार्टनर हैं। शालीमार बाग में अंग्रेजी और देशी शराब के नामी ब्रांडों का डुप्लीकेट माल तैयार किया जाता है। ट्रांसपोर्ट और लग्जरी बसों से यूपी के कानपुर, हमीरपुर, गोरखपुर, वाराणसी और फतेहपुर समेत एक दर्जन जिलों में सप्लाई किया जाता था। इसके साथ ही यूपी के अलावा पांडुचेरी, बंगलुरू, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान और एमपी समेत कई राज्यों में भी नकली शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले क्यूआर कोड से लेकर अन्य माल सप्लाई किया जाता था।

अशोक कुमार चौहान ने बताया कि मुकेश मित्तल और वीरेंद्र के साथ वह भी पार्टनरशिप में काम करता था, लेकिन मौजूदा समय में उसने भी सरांय रोहेल्ला दिल्ली में नामी कंपनियों की शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले क्यूआर कोड, ढक्कन और रैपर बनाने का काम शुरू कर दिया था। इन डिस्टलरी के नाम पर तैयार किया जाता था फर्जी क्यूआर कोड

पुलिस ने तीनों फैक्ट्रियों से 41 बोरे देशी शराब के ढक्कन जो कि लार्ड्स गाजीपुर डिस्टेलरी और उत्तराखंड आबकारी व एसबीपीआईएल व काल्स डिस्टेलरी का डुप्लीकेट माल बरामद हुआ। इसके साथ ही 18 बोरों में ब्लंडर प्राइड, मैक डावल, फस्ट च्वाइस और आरएस के ढक्कन बरामद हुए।

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