रंग बदलते क्यों दिख रहे ब्यूरोक्रेट्स …..

दलालों के झगड़े में किसकी हार-जीत; हिंदी विश्वविद्यालय को हिंदी से ही परहेज…..

विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का वक्त है, लेकिन सरकार चलाने वाले अफसरों के हाव-भाव अभी से बदले हुए दिख रहे हैं। ‘सरकार’ के कोर ग्रुप में शामिल इन अफसरों की कार्य प्रणाली बदली-बदली देखकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। संगठन में हुए एक बड़े बदलाव के बाद से ऐसा हुआ है। इसका असर यह हुआ कि मंत्रालय की चौथी मंजिल से मंत्रियों के पास फोन जाने लगे हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। दो मंत्रियों के पास कॉल पहुंचा कि आपकी अनुशंसा पर काम हो गया है। यही नहीं, अफसर ने मंत्रीजी से हालचाल भी पूछा। इससे मंत्रीजी भी आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि इससे पहले कभी कॉल नहीं आया।

बता दें कि दोनों मंत्री केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। ब्यूरोक्रेट्स के बीच इसे लेकर भी बेचैनी देखी जा रही है कि आखिर होने क्या वाला है? कुछ न कुछ होगा तो जरूर, लेकिन होगा कब? उसका स्वरूप और दायरा कैसा होगा?

दरअसल, बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की संघ में वापसी के बाद ये सवाल पूछे जाने लगे हैं कि बदलाव की आंधी तो नहीं आएगी? यदि आ गई, तो इसमें किस-किस की कुर्सी छिनेगी या बदल जाएगी? सवाल के जवाब अभी आने बाकी हैं।

मंत्री के बंगले में दलालों का झगड़ा
एक मंत्री के बंगले पर दो दलाल आपस में झगड़ लिए। मामला एक अन्य विभाग के काम से संबंधित था। जिसे कराने का कॉन्ट्रैक्ट मंत्रीजी के पीए ने ले लिया था, लेकिन जिस विभाग को काम करना था, वहां फाइल अटका दी गई। दरअसल, एक कंपनी ने दो लोगों को काम कराने की जिम्मेदारी दी थी। एक ने मंत्री के पीए को जरिया बनाया, तो दूसरे ने मंत्री के करीबी रिश्तेदार को। बस यहीं से बवाल मच गया। दोनों दलालों के बीच झगड़ा इसलिए हुआ क्योंकि मंत्री के रिश्तेदार को पता चल गया कि पीए ने सौदा कर लिया है। इस पर उन्होंने विभाग के अफसरों को मंत्री की तरफ से अपना परिचय देकर फाइल रुकवा दी। अब देखना है कि दलालों के झगड़े में जीतेगा कौन? मंत्री का पीए या रिश्तेदार।

नेताजी के पर कतरने की शुरुआत
कांग्रेस के एक नेता विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी लाइन से हटकर बयान देकर अलग-थलग पड़ गए थे। घटनाक्रम के एक महीने बाद उनके पर करतने शुरू कर दिए गए हैं। हाल में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के निवास पर वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि अगला चुनाव तो कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। सुना है कि इस नेता से ना तो कोई सुझाव लिया गया और ना ही सहमति ली गई। बैठक के फैसले की जानकारी मीडिया को देने के लिए भी उनके साथ एक पूर्व मंत्री को भेज दिया। इससे पहले इस तरह की बैठक के बाद मीडिया बीफ्रिंग नेताजी करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने पर संगठन के वरिष्ठ नेता ने टिप्पणी की- नेताजी ज्यादा ऊपर उड़ने की कोशिश कर रहे थे, अब उनके पर करतने की शुरुआत हो गई है।

लाइसेंस पर साढ़ेसाती का ग्रहण
प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 30 लाख पार हो चुकी है। सरकार की कोशिश बेरोजगारी दूर करने के साथ नौकरी देने के बजाय युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने की है। लिहाजा, स्टार्टअप स्कीम चलाई जा रही है। इसके तहत सिक्योरिटी एजेंसी खोलने के कई आवेदन सरकार के पास पहुंचे हैं। सरकार लाइसेंस देती है, लेकिन एक मंत्री के ऑफिस से फाइल आगे ही नहीं बढ़ रही है। आवेदक को साढ़े सात का फिगर बताया जा रहा है। सुना है कि इस साढ़ेसाती के ग्रहण से फाइल को मुक्त करने के लिए बात ‘सरकार’ तक पहुंचा दी गई है।

हिंदी विश्वविद्यालय का विज्ञापन अंग्रेजी में अटल बिहारी विश्वविद्यालय अपनी कार्यप्रणाली के लिए सुर्खियों में रहता है। इस बार तो कमाल ही हो गया। विश्वविद्यालय ने 18 प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। जो अंग्रेजी में है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर मीम्स बनाए जा रहे हैं। खास बात यह है कि सरकार तकनीकी और मेडिकल की हिंदी में पढ़ाई का विकल्प खोलकर वाहवाही लूट रही है।

वहीं, हिंदी विश्वविद्यालय ही इससे परहेज कर रहा है। सुना है कि विज्ञापन अंग्रेजी में इसलिए जारी किया, ताकि दक्षिण भारत के प्रतिभागी इसमें शामिल हो सकें। इस पर एक बीजेपी नेता ने कहा- एक तरफ सरकार नौकरी में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने का प्रचार कर रही है। वहीं, अफसर पलीता लगाने में लगे हैं।

और अंत में…

ट्रेन में सफर, ना बाबा ना…
सरकार ने तय किया है कि तीर्थ दर्शन यात्रा अब नए स्वरूप में शुरू की जाएगी। पहली यात्रा का खाका तैयार कर लिया गया है। इसके मुताबिक शिवराज की पूरी कैबिनेट इस धार्मिक यात्रा में जाएगी, लेकिन एक महिला मंत्री ने इस यात्रा में जाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि ट्रेन में लंबा सफर करने में उन्हें परेशानी होती है। यह वही मंत्री हैं, जिन्होंने भोपाल से पचमढ़ी बस में जाने से इनकार कर दिया था।

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