अब FSDA के हवाले हुई शराब की दुकानें … यूपी में शराब दुकानदारों को लेना होगा खाद्य विभाग से लाइसेंस, बिक्री के अनुसार जमा होगी फीस

यूपी में अब शराब की दुकान चलाने के लिए खाद्य विभाग (FSDA) से भी लाइसेंस लेना होगा। 2022 -23 की शुरुआत के बाद शासन ने इसके लिए निर्देश जारी किये गए हैं। इस आदेश के साथ ही अब शराब भी दैनिक जीवन में खाने -पीने के सामान की श्रेणी में आ गई है। एडीएम सिटी आगरा अंजनी कुमार के अनुसार दुकानदारों को बिक्री के अनुसार टैक्स भी खाद्य विभाग को देना पड़ेगा। लाइसेंस न लेने वाले दुकानदार बिक्री नहीं कर पाएंगे।

यूपी सरकार ने शराब बेचने के लिए विभाग का लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया है। शासन द्वारा सभी जिले के जिलाधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गयी है। अब स्थानीय प्रशासन द्वारा इस प्रक्रिया को सरल और सुचारु बनाये जाने की योजना बनाई जा रही है। स्थानीय स्तर से यह प्रक्रिया ऑनलाइन करवाने पर भी विचार किया जा रहा है।

एडीएम सिटी आगरा अंजनी कुमार के अनुसार शराब की दुकान चलने वालों के लिए लाइसेंस की फीस उनकी बिक्री के अनुसार होगी। ये बिक्री का लगभग 0 .01 प्रतिशत होगा। सरकार के इस आदेश के बाद शराब दुकानदारों को लिखापढ़ी की परेशानी नजर आ रही है। शराब विक्रेताओं का कहना है कि यह नियम और अधिक दिक्कत देने वाला है। दुकानदारी के रिकार्ड के अनुसार टैक्स बहुत कम है पर लिखापढ़ी काफी बढ़ जायेगी।

शराब की दुकान चलने वालों के लिए लाइसेंस की फीस उनकी बिक्री के अनुसार होगी।
शराब की दुकान चलने वालों के लिए लाइसेंस की फीस उनकी बिक्री के अनुसार होगी।

आबकारी विभाग ने कहा-आदेश मिलते ही होगी कार्रवाई
मामले में जिला आबकारी अधिकारी आगरा नीलेश पालिया का कहना है कि अभी उन्हें शासन का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है ,जैसे ही प्रशासन द्वारा आदेश मिलेगा तो तकाल दुकानों को नोटिस दिया जाएगा। आगरा में वर्तमान में देशी ,अंग्रेजी ,बियर और मॉडलशॉप व् बार मिलाकर कुल 830 दुकानें हैं ,प्रदेश का अनुमान लगाया जाये तो 40 से 50 हजार दुकानें होंगी।

राजस्व में वृद्धि के साथ सुरक्षा का भी ख्याल
बीते वर्ष शराब ठेकों में नकली और जहरीली शराब बिकने के मामले सामने आये थे और 200 से अधिक लोगों भी हुई थी। इसके चलते सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। एक्सपर्ट्स का मानना है की इस फैसले से दुकानदारों और उनके कर्मचारियों में थोड़ा भय बढ़ेगा और दुकानों पर खाद्यविभाग की टीम भी जांच कर सकेगी। इससे बेईमानी करने वालों में कमी आएगी। इसके साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होगी।

बीते वर्ष शराब ठेकों में नकली और जहरीली शराब बिकने के मामले सामने आये थे और 200 से अधिक लोगों भी हुई थी।
बीते वर्ष शराब ठेकों में नकली और जहरीली शराब बिकने के मामले सामने आये थे और 200 से अधिक लोगों भी हुई थी।

कोरोना में बढ़ा 258 % राजस्व

बीते 5 सालों में दो साल लोग कोविड महामारी से जूझे और आर्थिक परेशानियों की बात भी सामने आई ,इसके बाद भी अखिलेश सरकार के मुकाबले 258 % राजस्व की वृद्धि हुई थी। 2017 में 1400 की बिक्री 2021 -22 तक 36 हजार 208 करोड़ 48 लाख रुपये तक पहुंच गयी।

इस वर्ष यह आंकड़ा 41 हजार करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इस बार अंग्रेजी शराब के मूल्य में प्रति पौव्वा दस रुपए की वृद्धि हुई है और देशी शराब के पौव्वे में 5 रुपये कम किये गए हैं।

अंग्रेजी शराब के मूल्य में प्रति पौव्वा दस रुपए की वृद्धि हुई है और देशी शराब के पौव्वे में 5 रुपये कम किये गए हैं। (फाइल फोटो)
अंग्रेजी शराब के मूल्य में प्रति पौव्वा दस रुपए की वृद्धि हुई है और देशी शराब के पौव्वे में 5 रुपये कम किये गए हैं। (फाइल फोटो)

हर सरकार देती है बढ़ावा
योगी सरकार बनने के बाद शराब की दुकानों के एलॉटमेंट बढ़ा दिए गए। 2017-18 वित्तीय वर्ष के बाद अब तक 2076 नई दुकानों को लाइसेंस दिया गया। ये लाइसेंस देशी शराब, विदेशी शराब, बीयर शॉप और मॉडल शॉप को दिए जाते हैं। इसके पहले की अखिलेश यादव की सरकार के पांच साल में शराब की 2,566 नई दुकानों को लाइसेंस मिला था।

इस दौरान राज्य सरकार का राजस्व 22,377 करोड़ रुपए से बढ़कर 24,943 करोड़ हो गया था। यानी इसमें करीब 11.5% की बढ़त हुई थी। उनके पहले की बसपा प्रमुख मायावती की सरकार में 3,621 नई शराब की दुकानों को लाइसेंस दिया गया था।

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