चुनाव पर पंचायत खत्म … नगरीय निकाय, पंचायत चुनावों की अधिसूचना 24 मई तक, 30 जून से पहले वोटिंग और रिजल्ट

  • 2020 से रुके थे 314 निकायों और 22966 पंचायतों के चुनाव, अब डेढ़ महीने में होंगे
  • सिर्फ चुनावों की तारीखों का ऐलान किया जाना है, जबकि पंचायतों का अभी आरक्षण कराया जाना बाकी

राज्य निर्वाचन आयोग 24 मई तक नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी करेगा और दोनों चुनावों की वोटिंग और रिजल्ट 30 तक घोषित कर दिए जाएंगे। इसमें पहले नगरीय निकाय चुनाव पहले और बाद में पंचायत चुनाव कराए जाने की तैयारी है। इसकी वजह निकाय चुनावों का परिसीमन और आरक्षण दोनों कराए जा चुके हैं। इसलिए सिर्फ चुनावों की तारीखों का ऐलान किया जाना है, जबकि पंचायतों का अभी आरक्षण कराया जाना बाकी है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने मंगलवार को नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर मैराथन बैठकें ली। सुबह आयोग के अफसरों की इंटनरल मीटिंग हुई और उसके बाद दोपहर में पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव और आयुक्त आलोक सिंह के साथ बैठक कर पंचायत चुनावों के परिसीमन की अधिसूचना जारी कर तत्काल आरक्षण कराए जाने को कहा है। शाम को नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह को नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने को लेकर चर्चा की।

राज्य निर्वाचन आयोग गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टरों से मीटिंग कर 30 जून तक किन तारीखों में करवाए जा सकते हैं। इस बारे में फैसला लेगा। शाम को प्रदेश में चुनाव कराए जाने के मद्देनजर कानून व्यवस्था की तैयारी को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा और डीजीपी सुधीर सक्सेना के साथ चर्चा होगी। शाम को कंट्रोलर गवर्नमेंट प्रेस को बुलाया है। आयोग की दो चरणों में 321 नगरीय निकायों में भोपाल, इंदौर, ग्वालिर, जबलपुर समेत सभी 16 नगर निगमों के चुनाव होना है। वहीं तीन चरणों में त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव कराए जाना है, जिनमें 22985 ग्राम पंचायतों के 364309 वार्डों, 313 जनपद पंचायतों के 6771 सदस्यों, और जिला पंचायतों के 875 सदस्यों का चुनाव कराए जाना है। दोनों चुनावों में 4.50 करोड़ वोटर भाग लेंगे।

मप्र में ओबीसी पॉलिटिक्स… सामान्य सीट पर 54 ओबीसी विधायक; कांग्रेस के 28, भाजपा के 26

प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी माहौल गरम है, लेकिन विधानसभा चुनाव में ओबीसी के लिए अलग आरक्षण नहीं है। इसके बाद भी प्रदेश की सामान्य 148 सीटों में से 65 से ज्यादा सीटों पर ओबीसी प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं।

  1. वर्तमान में विधानसभा में 54 विधायक ओबीसी के है। सभी सामान्य वर्ग की सीट पर चुनाव लड़कर ही जीते है।
  2. इन 54 में कांग्रेस के 28 और भाजपा के 26 ओबीसी विधायक हैं। यह आंकड़ा हर चुनाव में घटता-बढ़ता रहा है।
  3. 230 विधानसभा सीट में अजा की 35 और अजजा की 47 सीटें आरक्षित है। इसके अलावा सामान्य सीट 148 है।
  4. सामान्य वर्ग से 94 विधायक जीत पाए हैं। अगर सामान्य सीट पर 148 के हिसाब से दर निकाली जाए तो ये 36% होगी।

एक्शन में आयोग… 54000 ईवीएम; पंच-सरपंच के चुनाव बैलेट से कराने पर विचार

आयोग के पास चुनाव कराए जाने के लिए 54 हजार ईवीएम और 1.50 लाख कंट्रोल यूनिट हैं। ईवीएम से नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव कराए जाते हैं तो इसमें देरी हो सकती है। इसलिए पंचायतों में पंच और सरपंच के साथ ही जनपद सदस्यों की वोटिंग बैलेट पेपर से कराए जाने पर विचार किया जा रहा है, जबकि ईवीएम से नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने की तैयारी है।

  • एक दिन पहले-सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पार्टियां सामान्य सीटों पर भी ओबीसी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाना चाहती हैं तो क्यों न वो सामान्य सीटाें पर भी बिना आरक्षण के ओबीसी उम्मीदवारों को खड़ा कर दें
  • अगले दिन- कांग्रेस बोली- हम निकाय चुनाव में 27% ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देंगे तो बीजेपी ने कहा- हम 27% से भी ज्यादा को देंगे

ओबीसी को 27% से ज्यादा टिकट देंगे। अगर योग्य उम्मीदवार हुए तो उससे ज्यादा टिकट देंगे। ओबीसी चुनाव आरक्षण के बिना नहीं कराए जाने का संकल्प लिया था। कांग्रेस की वजह से सुप्रीम कोर्ट में मामला उलझ गया।

– वीडी शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

हम निकाय चुनाव में 27% टिकट ओबीसी को देंगे। भाजपा सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए 2 साल में कोई प्रयास नहीं किया, कोई कानून नहीं लाए। संविधान में संशोधन हो सकता था कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिले।

-कमलनाथ, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

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