युवाओं से वादा कर भूल गई शिवराज सरकार?:बिहार-छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी में लोकल कैंडिडेंट्स को ही मौका; जानिए MP का नियम…

अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। शिवराज सरकार का फोकस युवाओं पर है। एमपी में 18 से 39 साल के युवाओं की संख्या 2.75 करोड़ है। अगस्त 2020 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की सरकारी नौकरियों में यहां के युवाओं को ही प्राथमिकता देने का ऐलान किया था, लेकिन सरकारी नौकरी के जो भी विज्ञापन निकल रहे हैं, उनमें प्रदेश के युवाओं को प्राथमिकता देने का कोई जिक्र नहीं है। विज्ञापन ऑल इंडिया लेवल पर निकाले जा रहे हैं। जाहिर है, इससे प्रदेश के युवाओं का हक मारा जा रहा है। छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड और हाल ही में हरियाणा सरकार ने अपने प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए अलग-अलग प्रावधान किए हैं।

मुख्यमंत्री ने क्या कहा था? युवाओं की मांग क्या है? दूसरे राज्यों और मध्यप्रदेश में क्या स्थिति है? कहां पेंच फंस रहा है, आइए सबसे पहले ये जानते हैं…

CM ने क्या कहा था ?
CM ने 15 अगस्त 2020 को घोषणा करते हुए कहा था- प्रदेश में सरकारी नौकरियों में मध्यप्रदेश के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। जब नौकरियों के अवसरों का अभाव है, ऐसे में राज्य के युवाओं की चिंता करना हमारा कर्तव्य है। भर्तियों के लिए अभियान चलाया जाएगा। प्राइवेट सेक्टर्स में रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे। स्टूडेंट्स को एमपी बोर्ड की 10वीं व 12वीं की अंकसूची के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।’

18 अगस्त 2020 को VIDEO भी जारी किया था
18 अगस्त 2020 को CM ने VIDEO जारी कर कहा था- मध्यप्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है। मध्यप्रदेश की सरकारी नौकरियां अब केवल प्रदेश के बच्चों को दी जाएंगी। इसके लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के संसाधन मध्यप्रदेश के बच्चों के लिए।

क्या है युवाओं की मांग?
भाजपा और कांग्रेस दोनों दल अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं, लेकिन CM शिवराज की ये बात बेरोजगार युवा नहीं भूले हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने जो कहा था, उसे तत्काल लागू करना चाहिए। राज्य प्रशासनिक सेवा के पद भले ही सभी के लिए ओपन रखें, लेकिन अन्य पदों पर सरकार स्थानीय बेरोजगारों को अवसर दे। CM ने जब यह घोषणा की थी, तब प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव का माहौल था। कमलनाथ सरकार गिरने के बाद अक्टूबर 2020 में 28 सीट पर उपचुनाव होने थे।

कहां फंस रहा पेंच?
प्रदेश में सरकारी नौकरी पाने के लिए रोजगार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, लेकिन बाहरी राज्य के युवा भी मध्यप्रदेश में नौकरी की चाह में मध्यप्रदेश के किसी भी जिले से रोजगार पंजीयन करा लेते हैं। इसके आधार पर वे यहां की भर्ती के लिए योग्य हो जाते हैं। हमारे यहां स्थिति यह है कि रजिस्ट्रेशन करने वाले का सत्यापन तक नहीं किया जाता। यदि किसी ने भोपाल जिले से पंजीयन कराया, तो संबंधित व्यक्ति भोपाल का ही है या बाहर का? इसे जांचने के लिए मैकेनिज्म नहीं है, जबकि पड़ोसी राज्य की ही बात करें तो छत्तीसगढ़ में आवेदक के दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन किया जाता है।

रोजगार पंजीयन क्या होता है?
कोई व्यक्ति जब अपने आपको रोजगार पोर्टल या रोजगार मेले में रजिस्टर करता है, तो यह प्रक्रिया रोजगार पंजीयन कहलाती है। इसमें रजिस्टर करने के बाद नियोक्ता पंजीकृत व्यक्ति की योग्यता के अनुसार उनका चयन कर उन्हें नौकरी प्रदान करता है। जब रजिस्टर्ड व्यक्ति को नौकरी प्रदान की जाती है तो उससे पहले उसे एक प्रमाणपत्र दिया जाता है। इसमें रजिस्ट्रेशन नंबर दिया हुआ होता है। नौकरी के लिए यह एक अहम दस्तावेज होता है।

अभी कहां नौकरियां?
मप्र में हाल में शिक्षक और जेल प्रहरी की भर्ती हुई। 6 हजार पदों के लिए आरक्षक भर्ती चल रही है। राज्य सरकार 5 हजार आरक्षक और 3 हजार पटवारी सहित अन्य भर्तियां निकालने की घोषणा कर चुकी है। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड PEB द्वारा ग्रुप-3 उपयंत्री, मानचित्रकार व अन्य समकक्ष पदों के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा-2022 का नोटिस जारी हो चुका है। इसके अलावा पीईबी द्वारा अन्य भर्ती परीक्षाएं भी इसी साल प्रस्तावित हैं।

दूसरे राज्‍यों में क्‍या व्‍यवस्‍था?
छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्य मूल निवासी को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देते हैं। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ ने सितंबर 2021 में पुलिस विभाग के तहत सूबेदार, उप निरीक्षक संवर्ग तथा प्लाटून कमांडर के 975 पदों के लिए भर्ती निकाली। विज्ञापन के अनुसार छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना जरूरी है। कुछ राज्यों ने तो कैंडिडेट के मूल निवासी की शर्त लागू कर रखी है। इसके अलावा, कुछ राज्यों ने सरकारी सर्विस के लिए स्थानीय शिक्षा को अनिवार्य किया है। ऐसे में मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवा दूसरे राज्य से बाहर हो जाते हैं।

बिहार में नौकरी के लिए बिहार का निवासी होना जरूरी
बिहार लोक सेवा आयोग ने शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक के 40,506 पद पर भर्ती निकाली। इसमें भारतीय नागरिक तथा बिहार राज्य के निवासी होना अनिवार्य किया गया है।

उत्तराखंड में नौकरी के लिए लोकल स्कूल्स से 10th-12th पास होना जरूरी
उत्तराखंड सरकार के अधीनस्थ उत्तराखंड सेवा चयन आयोग ने जनवरी 2022 में उप निरीक्षक नागरिक पुलिस, उप निरीक्षक अभिसूचना के 43 पदों सहित अन्य पदों पर भर्ती निकाली। विज्ञापन के अनुसार समूह ‘ग’ यानी तृतीय श्रेणी के पदों पर सीधी भर्ती भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए वही अभ्यर्थी पात्र होगा, जिसने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट उत्तराखंड में किया हो।

हिमाचल प्रदेश में मूल निवासी होना जरूरी
हिमाचल प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने सितंबर 2021 में आरक्षी पद के लिए भर्ती सूचना जारी की। इसके अनुसार उम्मीदवार का हिमाचल प्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी है।

झारखंड में स्थानीय स्कूल से 10वीं पास होना अनिवार्य
झारखंड सरकार ने जनवरी 2022 में उत्पाद सिपाही, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तहत झारखंड उत्पाद सिपाही सेवा संवर्ग के लिए 583 पदों की वैकेंसी निकाली। अनिवार्य योग्यता के अतिरिक्त कैंडिडेट्स को मैट्रिक/10वीं कक्षा झारखंड राज्य में अवस्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। अभ्यर्थी को स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा एवं परिवेश का ज्ञान होना अनिवार्य होगा।

छत्तीसगढ़ में भी मूल निवासी को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है।
छत्तीसगढ़ में भी मूल निवासी को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है।

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