वाकई MP गजब है…:कृषि मंत्री के गांव में बिजली जाती नहीं, ऊर्जा मंत्री के गांव में आती नहीं …

जानिए हम ऐसा क्यों कह रहे….

मध्य प्रदेश वाकई गजब है। प्रदेश में तापमान 45 डिग्री के पार चल रहा है। बिजली के हालात बुरे हैं। कृषि मंत्री कमल पटेल भले ही होशंगाबाद में बिजली को लेकर चिंतित दिख रहे थे, लेकिन हरदा जिले के उनके गांव को भरपूर लाइट मिल रही है। वहीं, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का गांव बिजली के लिए तरस रहा है। ‘लाइट दिला दो यार… वरना किसान हमको निपटा देगा…’ बिजली को लेकर ऊर्जा मंत्री को फोन पर ये दर्द कृषि मंत्री कमल पटेल ने सुनाया था। दैनिक भास्कर ने दोनों के ही गांवों के हालात जाने। हालात जुदा मिले।

सबसे पहले चलते हैं कृषि मंत्री कमल पटेल के बारंगा गांव
हरदा-खंडवा मार्ग पर पड़ता है बारंगा गांव। ये गांव प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का है। गांव में प्रवेश करते ही उनका आलीशान बंगला है। बंगले से लगी करीब 70 एकड़ जमीन है, जिस पर मंत्री का परिवार खेती-किसानी करता है। गांव में 300 मकान हैं। आबादी 1200। खेतों में सिंचाई के लिए 80% किसान कुएं और ट्यूबवेल पर निर्भर हैं। बाकी ऊपरी हिस्सों में नहरें हैं, जिनमें गेहूं की फसल तक पानी की सप्लाई होती है। इस गांव में दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने पूरी रात गुजारी।

बिजली तो भरपूर मिलती है, पर पानी कम
गांव के सरपंच प्रतिनिधि और किसान गजराज विश्नोई बताते हैं कि मंत्री के गांव में बिजली तो पर्याप्त मिलती है, लेकिन पानी की कमी है। जमीन में पानी तो है, लेकिन जलस्तर गिर गया है। पहले 200 फीट पर पानी था, अब 400 फीट से नीचे जा चुका है। मूंग की फसल के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिला। न ही नहरों से पानी छोड़ा गया।

मंत्री कमल पटेल के बंगले पर एक पल के लिए भी लाइट नहीं गई।
मंत्री कमल पटेल के बंगले पर एक पल के लिए भी लाइट नहीं गई।

बत्ती गुल तक नहीं हुई
भास्कर रिपोर्टर ने बारंगा में पूरी रात गुजारी। यहां रातभर में एक पल के लिए भी लाइट नहीं गई। ये एक दिन नहीं, बल्कि रोजाना ही ऐसा होता है। कांकरिया गांव के बिजली ग्रिड (पावर हाउस-सब स्टेशन) पर पहुंचे। यहां पता चला कि जब भी लोड शेड्यूल होता है, तब बारंगा को छोड़ दूसरे गांवों की सप्लाई बंद की जाती है। यदि गलती से कटौती हो भी जाए, तो मंत्री खटिया खड़ी कर देते हैं।

अफसर बोले- मूंग का रकबा ज्यादा, मंत्री खास नहीं
कांकरिया ग्रिड का संचालन मसनगांव स्थित मध्य क्षेत्र विद्युत मंडल के दफ्तर से होता है। यहां के कनिष्ठ यंत्री गणेशप्रसाद यादव ने बताया कि खेतों में मोटर पंप चलने के साथ घरों में कूलर-पंखे चलते हैं। लोड बढ़ने के कारण भोपाल स्तर से सप्लाई बंद हो जाती है। रही बात मंत्री कमल पटेल के गांव बारंगा में लाइट कटौती न होने की, तो हमारे लिए गांव खास नहीं। वहां मूंग का रकबा ज्यादा है।

गांव में मूंग की फसल भी की जा रही है। पानी के लिए ट्यूबवेल पर निर्भर हैं।
गांव में मूंग की फसल भी की जा रही है। पानी के लिए ट्यूबवेल पर निर्भर हैं।

अब चलते हैं ऊर्जा मंत्री के गांव मुरैना में
मुरैना जिले का नावली गांव। कहने को तो ये गांव ऊर्जा मंत्री प्रदुम्मन सिंह तोमर का है, लेकिन गांव में बिजली नाम मात्र के लिए मिलती है। दैनिक भास्कर रिपोर्टर गांव पहुंचा, तो गांववालों का कहना था- ‘साहब, मंत्री तो AC में सोय रहे, हम तो घसखोदा है, हमें नहीं मिल रही नेकऊ बिजली।’ गांव वाले कटौती से त्रस्त हैं। हालत ये हैं कि गर्मी के कारण लोग रात-रात भर सो नहीं पा रहे। गांववालों के मुताबिक यहां मात्र तीन से चार घंटे बिजली मिल पा रही है। इस कारण गांववाले मंत्री से बेहद खफा हैं।

बिजली के अभाव में लोगों को भीषण गर्मी में पेड़ की छांव में बैठना पड़ता है।
बिजली के अभाव में लोगों को भीषण गर्मी में पेड़ की छांव में बैठना पड़ता है।

रात-रातभर बिजली नहीं आती
गांव की बुजुर्ग महिला रामसखी ने बताया कि दिन में कई बार बिजली जाती है। कभी-कभी रात भर बिजली नहीं आती, जिससे परेशानी होती है। बिना बिजली के रात भर सो नहीं पाते। बच्चों की सबसे अधिक परेशानी है। गांव के किसानों ने बताया कि कृषि फीडर पर 10 घंटे बिजली देने का नियम है, लेकिन दो से तीन घंटे ही बिजली दी जा रही है। यही हाल रहा, तो फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। बता दें कि आबादी फीडर पर 24 घंटे और कृषि फीडर पर 10 घंटे सप्लाई का आदेश है।

मंत्री के चाचा बैजनाथ सिंह बोले- आती है बिजली
जब दैनिक भास्कर की टीम ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के घर पहुंची, तो वहां उनके चाचा बैजनाथ सिंह तोमर मौजूद थे। जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि यहां बिजली पर्याप्त मात्रा में मिलती है, लेकिन इन दिनों ज्यादा कटौती हो रही है। थरा विद्युत वितरण केन्द्र पर मौजूद बिजली कर्मचारी ने बताया कि ऊपर से ही कटौती के आदेश हैं।

गांव में कुटीर की छांव में भी लोग बैठते हैं। बिजली स्टेशन पर ऊपर से ही कटौती के आदेश हैं।
गांव में कुटीर की छांव में भी लोग बैठते हैं। बिजली स्टेशन पर ऊपर से ही कटौती के आदेश हैं।

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