मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल में सिंधिया का मुकाबला करने के लिए दिग्विजय सिंह को किया आगे
कांग्रेस के चिंतन शिविर का मप्र में भी दिखेगा असर, क्षेत्रवार मोर्चा संभालेंगे बड़े नेता ….
बढ़ेगी युवा चेहरों की भागीदारी, संगठन सहित चुनावी जिम्मेदारियां भी सौंपी जाएगी
भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों समेत भाजपा में चले जाने के बाद से ग्वालियर-चंबल में मजबूत मौजूदगी कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है। पार्टी में माना जाता था कि पूरे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में दो तरह की कांग्रेस थी, एक महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस और दूसरी राजा यानी दिग्विजय सिंह की कांग्रेस। अब इस क्षेत्र में पार्टी में ज्यादातर कार्यकर्ता दिग्विजय समर्थक ही बचे हैं। यही वजह है कि पार्टी इस क्षेत्र में सिंधिया का मुकाबला करने के लिए दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह को आगे बढ़ा रही है। उनके साथ युवा चेहरा के रूप में दिनेश गुर्जर को आगे बढ़ाने के संकेत हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति को साधने के लिए पार्टी फूलसिंह बरैया का उपयोग कर सकती है।
कांग्रेस का फोकस मप्र पर भी
उदयपुर में कांग्रेस के अखिल भारतीय चिंतन शिविर का असर मध्य प्रदेश में भी दिखेगा। संगठन और चुनावी जिम्मेदारियों में युवाओं की भागीदारी का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इस लिहाज से संगठन में बदलाव के भी संकेत हैं। पार्टी ने 2023 के विस और 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान जिन 10 राज्यों पर फोकस किया है, उसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। चूंकि मप्र में कांग्रेस के सामने अलग तरह की चुनौतियां हैं, तो इनसे पार पाने के लिए रोडमैप भी अलग तरीके से तैयार की जा रही है। इसके तहत प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में प्रभारियों को तैनात किया जाएगा। इनमें युवा चेहरों को तरजीह देने के संकेत हैं। कांग्रेस ने प्रदेश स्तर पर चुनाव अभियान समिति के गठन की भी तैयारी कर रही है। इसमें ज्यादा से ज्यादा नेताओं को समायोजित किया जाएगा।
मालवा में सक्रिय हुए अरुण यादव
पार्टी ने फिलहाल जो खाका खींचा है, उसमें मालवा-निमाड़ में कांग्रेस की कमान अरुण यादव को सौंपने की तैयारी है। यादव कांग्रेस में एकमात्र युवा चेहरा हैं। यादव ने चिंतन शिविर से लौटने के साथ ही मालवांचल में अपना प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया है। वे कमल नाथ सहित अन्य दिग्गजों के साथ न लौटकर मंदसौर-नीमच रतलाम होते हुए गृहक्षेत्र लौट रहे हैं। इस दौरान उन्हांने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात का कार्यक्रम रखा है। ताकि उनमें उत्साह का संचार हो सके। यहां यादव के साथ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया और विक्रांत भूरिया को जोड़ा जा रहा है।
महाकोशल-विंध्य में अजय व तन्खा
महाकोशल-विंध्य क्षेत्र में अजय सिंह और विवेक तन्खा के साथ आदिवासी नेता के रूप में ओंकार सिंह मरकाम को आगे बढ़ाने की तैयारी है। मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ भी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मध्य भारत में पचौरी को तवज्जो
मध्य भारत के बड़ेे नेता सुरेश पचौरी को मप्र चुनाव अभियान समिति की कमान भी दी जा सकती है। उनके साथ कुछ युवा चेहरे जोड़े जा सकते हैं। संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर भी नए चेहरे लाए जा सकते हैं। खासतौर से कार्यकर्ताओं की शिकायत के चलते उपाध्यक्ष (संगठन) के पद पर भी नया चेहरा लाया जा सकता है।
इनका कहना है
कांग्रेस का चिंतन शिविर भविष्य की संभावनाओं से सराबोर रहा है। उसके तहत लिए गए निर्णयों में मप्र भी शामिल होगा। जिसके सकारात्मक परिणाम सत्ता के निर्माण में सहयोगी होंगे।
केके मिश्रा महासचिव (मीडिया) मप्र कांग्रेस