सात साल में 10 हजार लोगों को उपलब्ध कराया रक्त, शहर के युवा हर चार माह में कर रहे रक्तदान

भिंड। जिले के युवाओं में रक्तदान को लेकर हाल के वर्षो काफी उत्साह दिख रहा है। ये युवा अनमोल जिंदगी को बचाने के लिए तत्पर रहते हैं। ब्लड बैंक खुलने के बाद से यह उत्साह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। बता दें कि शहर के संजीवनी रक्तदान संगठन के सदस्य पिछले सात साल से निःस्वार्थ इस कार्य को करने में जुटे हुए हैं। बीते इन सालों में

जिले के युवाओं में रक्तदान को लेकर हाल के वर्षो काफी उत्साह दिख रहा है। ये युवा अनमोल जिंदगी को बचाने के लिए तत्पर रहते हैं। ब्लड बैंक खुलने के बाद से यह उत्साह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। बता दें कि शहर के संजीवनी रक्तदान संगठन के सदस्य पिछले सात साल से निःस्वार्थ इस कार्य को करने में जुटे हुए हैं। बीते इन सालों में संगठन के सदस्यों के द्वारा 10 हजार मरीजों को रक्त उपलब्ध कराकर उनकी जान बचाई जा चुकी है। वहीं संगठन के कुछ ऐसे लोग हैं, जोकि हर तीन या चार माह में रक्तदान करते हैं।

हमारे किए गए रक्तदान से किसी की जिंदगी बच सकती है। रक्तदान का कितना महत्व है इसका अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई नजदीकी व्यक्ति जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा होता है। पिछले सात साल से संजीवनी संगठन के सदस्य जिला अस्पताल की ब्लड बैंक के माध्यम से लोगों को रक्त उपलब्ध करने में जुटे हैं। संजीवनी रक्तदान संगठन के संयोजक बबलू सिंधी ने बताया कि वर्ष 2015 में हमारे संगठन की शुरुआत हुई थी। आज हमारे संगठन में 200 से अधिक युवक और युवतियां सक्रिय रूप से रक्तदान करने के लिए तैयार रहते हैं। रक्तदान करने में महिलाएं और युवतियां भी पीछे नहीं हैं। अक्सर देखा जाता है कि महिलाओं में खून की कमी ज्यादा होती है। हमारे संगठन में कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जिनका हीमोग्लोबिन कम है। लेकिन उनके रक्तदान करने के उत्साह को देखते हुए। जब भी अस्पताल में किसी बच्चे को रक्त की जरूरत पड़ती है तो ऐसी महिलाओं को बुलाया जाता है, क्योंकि बच्चे को एक बार में 100 एमल रक्त चढ़ता है। जबकि बड़ों को 350 एमएल। ऐसे में बच्चों को रक्त देने के लिए महिलाओं को बुलाया जाता है।

रक्त की कमी के चलते अब रेफर नहीं होते मरीजः
संजीवनी संगठन के संयोजक बबलू सिंधी ने बताया कि जिला अस्पताल में बल्ड बैंक न होने की वजह से पहले रक्त की कमी के चलते मरीजों को ग्वालियर रेफर कर दिया जाता था। इस समस्या को देखते हुए अस्पताल में ब्लड़ बैंक की शुरुआत की गई। आज रक्त की जरूरत होने पर किसी भी मरीज को ग्वालियर रेफर नहीं किया जाता, क्योंकि संगठन के सदस्य न केवल स्वयं रक्तदान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, बल्कि दूसरों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं। संगठन के सदस्यों ने एक वॉट्सएप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में जिलेभर के युवाओं को जोड़ा गया है।

यह हर तीन माह बात करते हैं रक्तदानः
शहर के 42 वर्षीय संदीप तायल 49 बार, 40 वर्षीय पंकज मेहरोत्रा 42 बार, 45 पंकज जैन 44 बार, दीपक चावला 30 बार, 45 वर्षीय मोनू यादव 30 बार, 35 वर्षीय सपोले शर्मा 30 बार, 45 वर्षीय विकास जैन 40 बार, 37 वर्षीय राहुल सिंह कुशवाह 30 बार, बबूले सिंधी 20 बार सहित ऐसे 20 लोग हैं, जोकि हर तीन माह बाद रक्तदान करते हैं।

सक्रिय महिला रक्तदाताः
सुनीता सोनी, वर्षा जैन, रानी जैन, रश्मि भदौरिया, संगीता तोमर, राहदा सेठ स्टाफ नर्स, रेखा जैन, श्वेता सक्सेना, दीप्ती चौधरी, डॉ ब्रजवाला, रानू किरार, रोमा शर्मा, मनु शर्मा, जानवी समाधिया, अंजू गुप्ता सहित करीब 100 महिलाएं व युवतियां सक्रिय रक्तदाता हैं। जोकि रक्तदान करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं।

रक्तदााताओं का सम्मान आजः
आज विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर जिला अस्पताल परिसर में 40 से अधिक बार रक्तदान करने वाले रक्तदाताओं का सम्मान किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले महिला दिवस पर संजीवनी रक्तदान संगठन के द्वारा रक्तदान करने वाली महिलाओं का सम्मान किया गया है।
-आज युवा बढ़चढ़कर रक्तदान कर रहे हैं। ऐसे में मरीजों के स्वजन को रक्त के लिए परेशान नहीं होना पड़ता। हम सभी लोगों को भी रक्तदान करने का संकल्प लेना चाहिए, क्योकि इससे बड़ा कोई दान नहीं सकता।

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