शहर इंदौर : रोज 50 करोड़ का कारोबार करने वाले मार्केट में पुरुष गया टॉयलेट तो महिला करती है वेट ….?

नंबर वन स्वच्छ शहर इंदौर में एक टॉयलेट! ….?

इंदौर यानी मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी… इतना ही नहीं, यह शहर एक और तमगे के लिए मशहूर है, वह है पांच बार स्वच्छता में नंबर वन रहने का। यहां 7 साल बाद एक बार फिर से चुनावी शोर चारों ओर गूंज रहा है। गली से पार्षद कैंडिडेट की गाड़ी गुजरी नहीं… महापौर प्रत्याशी का लाउडस्पीकर बजने लगता है। प्रत्याशी आते हैं, हाथ जोड़कर वोट मांगते हैं, लेकिन समस्याओं पर कोई बात करने को तैयार नहीं है, हां लोक-लुभावन वादे जरूर किए जा रहे हैं।

ऐसे में ……? की टीम विधानसभा-4 में आने वाले बाजार में पहुंची और वहां की समस्याओं को जाना…

इंदौर का सराफा बाजार। यहां रोजाना 50 करोड़ का कारोबार होता है। यह बाजार दिन-रात सजा रहता है, लेकिन इसकी सजावट के पीछे कई कमियां भी हैं। उनमें से एक हैं संकरी गलियां और टॉयलेट। हालांकि यह रोड स्मार्ट रोड बन चुकी है, लेकिन आधे घंटे बारिश हो जाए तो दुकानदारों को दिनभर आराम हो जाता है, कारण सड़क पर भरा पानी। पानी के कारण ग्राहक दुकान तक पहुंच ही नहीं पाते।

इसी से जुड़ा है, शक्कर बाजार, कपड़ा बाजार, मरोठिया बाजार। शक्कर बाजार महिलाओं के सामान के लिए मशहूर है। यहां साड़ी, लहंगे से लेकर अन्य सभी प्रकार के कपड़े मिलते हैं। इन बाजारों में प्रतिदिन पांच हजार से ज्यादा ग्राहक खरीदारी करने आते हैं। इनमें से 70 फीसदी संख्या महिलाओं की होती है।

शक्कर बाजार में जो एक टॉयलेट है, उसकी भी हालत जर्जर है।
शक्कर बाजार में जो एक टॉयलेट है, उसकी भी हालत जर्जर है।

1 टॉयलेट, महिला, पुरुष दोनों करते हैं यूज
यह विधानसभा क्षेत्र विधायक और पूर्व महापौर मालिनी गौड़ का है। उनके कार्यकाल में ही इंदौर स्वच्छता में नंबर वन बना। लगातार पांच बार से यह तमगा मिलता चला आ रहा है। इंदौर ने विकास के कई आयाम गढ़े, लेकिन 150 से ज्यादा दुकानों वाले शक्कर बाजार में आज भी महिलाओं के लिए एक अलग टॉयलेट नहीं बन पाया। हालत यह है कि यहां एक जो टॉयलेट है, उसे ही महिला-पुरुष दोनों यूज करते हैं। पुरुष गया तो महिला वेट करती है, महिला गई तो पुरुष।

शक्कर बाजार में रोजाना 5 हजार से ज्यादा लोग खरीदारी करने आते हैं।
शक्कर बाजार में रोजाना 5 हजार से ज्यादा लोग खरीदारी करने आते हैं।

लोग बोले- चुनाव के बाद कौन याद रखता है

  • व्यापारी अमित सोनी का कहना है कि रोजाना पार्टी नेता और प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए आ रहे हैं, लेकिन समस्या को सुनना तो दूर सिर्फ हाथ जोड़ आगे निकाल जाते हैं। सिर्फ चुनाव में सड़क पानी की बातें करते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं है।
  • कपड़ा व्यापारी राजेश कुमार का कहना है कि समस्या पर कोई बात नहीं करता, लेकिन वोट मांगने सब आ जाते हैं। सभी रोजाना प्रचार के लिए आ रहे हैं, इनके वादे भी चुनावी ही हैं। चुनाव होने के साथ ही सब भूल जाएंगे, फिर हम तो दूर ये बाजार भी उन्हें शायद ही याद रहे।
  • महिला दुकान संचालक मनीषा जैन का कहना है कि जो शौचालय हैं, वे गंदे होने के साथ काफी दूरी पर हैं। ऐसे में महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामान करना पड़ता है। यहां की रोड तो स्मार्ट सिटी की तर्ज पर बनी है, लेकिन व्यवस्था उस हिसाब से नहीं है। वादे तो हर चुनाव के पहले होते हैं, लेकिन कितने पूरे होंगे, उसे लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
  • सराफा अध्यक्ष अनिल राका का कहना है कि 150 साला पुराना बाजार है, लेकिन सार्वजनिक शौचालय सराफा में एक भी नहीं है। इस बार महापौर के लिए दोनों ओर से युवा प्रत्याशियों को उतारा गया है, हो सकता है वे हमारी समस्याओं को समझें और उसे दूर करने की कोशिश करें।
बाजार में अभी कई जगह पर काम चल रहा है।
बाजार में अभी कई जगह पर काम चल रहा है।

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