ग्वालियर : कम वोटिंग से सियासी टेंशन …? ग्वालियर में 49.3% मतदान, प्रदेश में सबसे कम
7 साल बाद शहर सरकार चुनने का मौका मिला…
प्रदेश में नगर सरकार के लिए बुधवार को पहले चरण में ग्वालियर के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उत्साह देखने को मिला वहीं नगर निगम सीमा के 66 वार्डों में मतदाताओं ने उदासीनता दिखाई। यही कारण रहा कि ग्वालियर शहर में सिर्फ 49.3% वोटिंग हुई, जबकि जिले में कुल 52.7% मतदान हुआ है। वहीं शहर सरकार के चुनाव के पहले चरण ने सियासी दलों काे गुणा-भाग करने पर मजबूर कर दिया है।
उम्मीद थी कि मानसून रुका रहा तो वोटर घरों से निकलेंगे, लेकिन प्रदेश के 11 नगर निगमों में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में काफी घट गया। सिंगरौली में तो 12.28% तक मतदान कम हुआ। प्रदेश में 133 निकायों के चुनावों में 61% तक वोटिंग हुई। वहीं ग्वालियर में हुई कम वोटिंग के बाद प्रदेश भाजपा की ओर से मतदान का समय बढ़ाने का अनुरोध चुनाव आयोग से किया गया, लेकिन समय नहीं बढ़ा।
कांग्रेस-भाजपा की ओर से कहा गया था कि विधायक-सांसद एक्टिव रहें, लेकिन कई जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रों में वोटिंग कम हुई है। कम वोटिंग से परिणाम विपरीत हुए तो वे विधायक व सांसद निशाने पर होंगे। आयोग के पास करीब 40 शिकायतें पहुंचीं, जिनमें मतदाता सूची में नाम नहीं होने से लेकर विवाद, लड़ाई-झगड़े का जिक्र है। वहीं भास्कर द्वारा जारी किए गए नंबर पर 240 शिकायतें आईं। 14 जिलों में वोटिंग देर शाम तक जारी रही।
7 साल बाद लोगों को शहर सरकार चुनने का मौका मिला, लेकिन हजारों लोग वोट नहीं डाल सके। ज्यादातर को पर्ची नहीं मिली। कई के वोटर लिस्ट से नाम गायब थे। कई वोटर तो अपना नाम ढूंढने के लिए एक बूथ से दूसरे बूथ पर चक्कर लगाते रहे। नतीजा नगर निगम क्षेत्र में 49.3% वोट पड़े, जो प्रदेश में सबसे कम रहे। यह बीते चुनाव से भी 8.7% कम रहा।
वोटिंग कम होने के 4 कारण
1. जिस वार्ड में रहते हैं या पिछले चुनाव में जिस बूथ पर वोट डाला था, उसकी वोटर लिस्ट में नाम न होना। इससे करीब 30 हजार मतदाता वोट नहीं डाल सके।
2. मतदाता पर्ची का वितरण हर घर तक नहीं होने के कारण हजारों मतदाता वोट डालने ही नहीं गए।
3. दोपहर में कुछ क्षेत्रों में बारिश की वजह से भी मतदान प्रभावित हुआ।
4. ईवीएम के खराब होने की वजह से 31 पोलिंग पर मतदान पर असर पड़ा।
100 साल की नारायणी ने बिना कुछ खाए डाला वोट
आरआई सेंटर पर करौली मंदिर महंत की पत्नी नारायणी ने पुत्र राजकुमार के साथ आकर वोट डाला। राजकुमार का कहना था कि मां की उम्र 100 साल है। उन्होंने बिना कुछ खाए पीए सबसे पहले आकर मतदान किया।
ग्वालियर में सबसे कम और ज्यादा वोटिंग
0 वार्ड 61 के 6 मतदान केंद्रों पर एक भी वोट नहीं डाला गया। यहां ज्यादातर सैन्य परिवारों के वोट हैं।
93.89% पोलिंग केंद्र क्रमांक 1093 शासकीय प्राथमिक केंद्र जहांगीर पुर में 655 में से 615 मतदाताओं ने मतदान किया।
गड़बड़ी: शिकायत के बाद बदलीं 31 ईवीएम
ईवीएम में खराबी की शिकायतें अफसरों के पास पहुंचीं। शाम 6 बजे तैयार रिपोर्ट के मुताबिक कुल 18 मशीनें मॉकपोल के दौरान बदली गईं। इनमें 6 कंट्रोल यूनिट थीं और 12 बैलेट यूनिट। मतदान प्रारंभ होने के बाद 13 मशीनें अलग-अलग केंद्रों पर खराबी के कारण बदली गईं। इनमेंं 5 कंट्रोल यूनिट थीं और 8 बैलेट यूनिट।
भाजपा का सवाल.. आयोग बताए, जिम्मेदार कौन है?
नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण में भारी संख्या में लोगों को मतदाता पर्चियां नहीं मिली और एक परिवार के वोट कई मतदान केंद्रों पर विभाजित कर दिए गए। कई लोग वोट ही नहीं डाल पाए। चुनाव आयोग बताए, इसके लिए जिम्मेदार कौन है?– लोकेंद्र पाराशर, मीडिया प्रभारी, भाजपा
आयोग का सीधा जवाब… एक दिन पहले ही पता कर लेना चाहिए मतदान केंद्र, नाम नहीं था तो पहले बताते
मतदान केंद्र बदलने के सवाल पर राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि सबको अपना मतदान केंद्र एक दिन पहले पता कर लेना चाहिए। नाम कटने पर सिंह का कहना है कि जिनके नाम नहीं थे और उन्होंने समय रहते बताया तो हमने उनका नाम जोड़ा है।