ग्वालियर : कम मतदान के मायने …? 3 चुनाव में पहला ऐसा, जब वोटिंग 50 फीसदी से कम, नजदीकी रह सकता है हार-जीत का अंतर

शहर की पिछड़ी बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्र के वार्डों में मतदान का प्रतिशत अधिक रहा है, जबकि पॉश कॉलोनियों में मतदान का प्रतिशत काफी कम है। जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में नजदीकी मुकाबला रहता है। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों का हारजीत का अंतर कम होने के कारण परिणाम कुछ भी हो सकते हैं।

निकाय चुनाव को लेकर पिछले डेढ़ दशक में यह पहला मौका था, जब सुबह से ही लोगों में उत्साह नहीं था। हालांकि महापौर और पार्षद पद के प्रत्याशियों ने पिछले दो सप्ताह से प्रचार के जरिए शहर में चुनाव का माहौल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन इसका असर मतदान के दिन दिखाई नहीं दिया।

महापौर चुनाव में किस वर्ष कितने फीसदी वोटिंग
2009: 57%, 2014: 58%, 2022: 49.3%

भाजपा-कांग्रेस के अपने-अपने दावे

भाजपा के वाेटर ने विपरीत परिस्थिति होने के बाद भी मतदान किया है। प्रशासन द्वारा पर्चियां न बांटने और मतदाता सूची में गड़बड़ी किए जाने के बाद भी हमारा वोटर वोट डालकर आया है। इसका फायदा हमें चुनाव में मिलेगा।-कमल माखीजानी, जिलाध्यक्ष भाजपा

सरकार के प्रति उदासीनता और मतदाता सूचियों में गड़बड़ी तथा पर्चियां न बंटने के कारण मतदान का प्रतिशत कम रहा है। हालांकि दलित और पिछड़ी बस्तियों में लाइन लगाकर वोटिंग हुई है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा।
-डॉ. देवेंद्र शर्मा, जिलाध्यक्ष कांग्रेस

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