भोपाल : 75% पर्ची नहीं बंटीं, लिस्ट से 22% नाम गायब; ये सियासी दलों की लापरवाही या सिस्टम की चूक…

BJP के 1.75 लाख पन्ना प्रमुख, फिर भी वोटिंग घटी …?

मध्यप्रदेश में 7 साल बाद हुए नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में 11 नगर निगम समेत 133 निकायों में मतदान हो चुका है। अगला मतदान अब 13 जुलाई को होना है। वोटिंग के दिन वोटर लिस्ट से नाम गायब होने, मतदान केंद्र बदलने और मतदाता पर्ची नहीं बांटे जाने पर जमकर बवाल हुआ। वोटर भटकते रहे। BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) लापता थे। वोटर की समस्या दूर करने के लिए बनाए गए सभी नेटवर्क सिस्टम फेल रहे। इस वजह से मात्र 50% मतदान हुआ। इसके लिए BJP ने राज्य निर्वाचन आयोग को दोषी बताया, तो कांग्रेस ने BJP की चाल कहा। भास्कर ने जब इसकी पड़ताल की, तो सामने आया कि BLO ने 75% पर्चियां बांटी ही नहीं। यही नहीं, वोटर लिस्ट में करीब 22% नाम भी नहीं हैं।

इस चुनाव में प्रशासनिक चूक के अलावा राजनीतिक दलों की लापरवाही भी उजागर हो गई। BJP ने दावा किया था कि प्रदेश में 1 लाख 75 हजार बूथों पर पन्ना प्रमुख तैनात किए गए हैं। ये कार्यकर्ता 3 महीने से सक्रिय थे, जो घर-घर दस्तक देंगे। इन्हें वोटर लिस्ट के आधार पर यह जिम्मेदारी थी। इसके लिए ‘त्रिदेव’ फॉर्मूला बनाया गया था। एक बूथ अध्यक्ष, महामंत्री व BLA (बूथ लेवल एजेंट्स) को ये जिम्मेदारी दी गई थी। क्या ये फेल हो गया? पार्टी की रीढ़ कहे जाने वाले इन कार्यकर्ताओं ने वोटर लिस्ट की गड़बड़ी को क्यों नहीं पकड़ा?

सभी जिलों में हुई शिकायतें

पोलिंग बूथों पर रखी वोटर लिस्ट से नाम गायब होने और मतदान केंद्र बदले जाने की शिकायतें लगभग सभी जिलों में हुई। इसके बाद सबसे पहले सत्ताधारी दल BJP ने राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। उसका आरोप है कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के कारण वोटर्स को भटकना पड़ा, क्योंकि वोटिंग कम होने का सबसे बड़ा झटका BJP को ही लगता दिख रहा है। दरअसल, BJP ने अपना वोट बैंक 10% बढ़ाने के लिए घर-घर दस्तक देने के लिए ‘बूथ जीतो-चुनाव जीतो’ अभियान चलाया था।

BJP ने वोटर लिस्ट से नाम गायब होने व मतदाता पर्ची नहीं बांटे जाने की जांच करने के लिए आयोग को ज्ञापन सौंपा है। अब आयोग ने इसकी जांच के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं, लेकिन आयोग ने भी राजनीतिक दलों पर सवाल उठाया है। आयोग के एक अफसर के मुताबिक फाइनल वोटर लिस्ट जारी होने से पहले राजनीतिक दलों को कॉपी दी जाती है, तब आपत्ति क्यों नहीं की गई?

उन्होंने कहा- जब वोटर लिस्ट का प्रारूप सामने लाते हैं, तब स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होती है। इसमें राजनीतिक दल की तरफ से वोटर लिस्ट प्रभारी आते हैं। उन्हें इसकी कॉपी दी जाती है, ताकि गड़बड़ी पर उसे सुधारा जा सके। वे आपत्ति दर्ज कराते हैं। उनका शत-प्रतिशत निराकरण करने के बाद ही फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाती है। हालांकि, निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने तर्क दिया है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर आखिरी वक्त पर केंद्रीय कर्मचारियों को हटाना पड़ा था। इस वजह से नए कर्मचारी लाने पड़े, उनसे चूक हो सकती है।

एक पन्ने में 30 नाम, 5 को मिली जिम्मेदारी

BJP पन्ना प्रमुखों को सक्रिय करने की बात करती है। पार्टी का दावा है कि वोटर लिस्ट के प्रत्येक पन्ने में एक बूथ के 30 नाम होते हैं, जिनमें से उस पन्ने से 5 सक्रिय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई। इनके पास वोटर्स की जानकारी रहती है। बताया जा रहा है कि यूपी के विधानसभा चुनाव में इसी फॉर्मूले ने ही BJP को फिर से सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन मप्र में निकाय चुनाव में यह सिस्टम फेल होता दिखाई दिया।

वार्ड दफ्तरों में पड़े रहे बंडल

भोपाल में घटे मतदान प्रतिशत की बड़ी वजह वोटर पर्ची का न बंटना माना जा रहा है। आरोप अब इलाके के BLO पर लगाए जा रहे हैं, जिन्हें SDM स्तर पर पर्ची बांटने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पर्चियां क्यों नहीं बंटी और इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है। इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए जिला प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक 2160 BLO पर बूथवार मतदाता पर्ची बांटने की जिम्मेदारी थी। आरोप है कि उन्होंने मतदाता पर्ची ले तो ली, लेकिन इनमें से 25 से 30 % ने ही पर्ची बांटी। चुनाव के दो दिन पहले मामला गर्माया, तो बड़ी संख्या में मतदाता पर्ची उठाकर नगर निगम के वार्ड दफ्तरों में दे दी गई।

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