पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों को अब जेल नहीं, सिर्फ जुर्माना लगेगा

केंद्र सरकार के 36 साल पुराने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में सरकार संशोधन करने जा रही है। इस एक्ट का उल्लंघन करने पर अब तक 5 साल की सजा और 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसमें संशोधन कर सरकार अब केवल जुर्माने का ही प्रावधान करने जा रही है। एक्ट का ड्राफ्ट जारी किया गया है। सरकार ने इस पर दावे-आपत्तियां भी बुलाई हैं। इन दावे-आपत्तियों का निराकरण करने के बाद संशोधित एक्ट जारी कर दिया जाएगा।

पर्यावरण बचाने के लिए 19 नवंबर 1986 को यह एक्ट जारी किया गया था। दरअसल, केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय को अनेक स्टेक होल्डर से एक्ट में संशोधन किए जाने को लेकर इनपुट मिल रहे थे। इन इनपुट के आधार पर मंत्रालय ने एक्ट में संशोधन की रूपरेखा तैयार की थी।

इंडस्ट्री, कारखानों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित रखने, इन्हें जल स्रोतों में छोड़ने से रोकने, कारखानों में ही प्रदूषण का निपटारा किए जाने को लेकर अधिनियम बनाया गया। प्रदूषण फैलाने वाले, उससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सजा और भारी जुर्माने की व्यवस्था की गई थी। वहीं, प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों, इंडस्ट्री को भी अनुमति मुश्किल से मिल पाती थी।

संशोधित एक्ट… समय पर पैसा नहीं भरा तो दोगुना और अपराध दोहराने पर 5 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान

संशोधित एक्ट में जुर्माना और बढ़ा दिया गया है। एक्ट के तहत कोई इंडस्ट्री, कारखाना संचालक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और समय पर दंड का भुगतान नहीं करता है तो जुर्माने के साथ दोगुना राशि भरना पड़ सकती है। वहीं, अपराध दोहराने पर 5 करोड़ रु. तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। मंत्रालय हर साल नए एक्ट के तहत दी गई सजा का ऑडिट करेगा, नए वित्तीय वर्ष से पहले जुर्माने की कुल राशि और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी सार्वजनिक करेगा।

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