चंबल में सिंधिया-तोमर पर भारी पड़े कमलनाथ-गोविंद सिंह …?

रीवा में CM शिवराज और वीडी शर्मा ने पूरी ताकत झोंकी फिर भी हारे; जानें वजह….

नगर निगम के दूसरे चरण के चुनाव में दो बड़े उलटफेर हुए हैं। कटनी में बीजेपी की बागी निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति सूरी जीत गई हैं। यहां बीजेपी की उम्मीदवार ज्योति दीक्षित की हार पूर्व मंत्री संजय पाठक के लिए बड़ा झटका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां पूरी ताकत झोंकी थी, बावजूद इसके बीजेपी ने यह सीट गंवा दी। दूसरे चरण में बीजेपी-कांग्रेस को 2-2 महापौर सीट मिली हैं। जबकि एक सीट पर बीजेपी की बागी निर्दलीय ने कब्जा किया है। पहले चरण में 7 महापौर सीट BJP ने जीतीं थी जबकि कांग्रेस को 3 व एक आप आदमी पार्टी के खाते में गई थीं।

मुरैना में मीना चुनाव हार गई हैं। यहां से कांग्रेस की शारदा सोलंकी महापौर बन गई हैं। मुरैना केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है। यहां सिंधिया ने भी पूरी ताकत लगाई थी, बावजूद इसके बीजेपी को हार का मुंह देखन पड़ा। रीवा में 24 साल बाद कांग्रेस का सूखा खत्म हुआ है। यहां कांग्रेस के अजय मिश्रा ने बीजेपी के प्रबोध व्यास को हरा कर चौका दिया है। उन्हें ‘बाबा’ के नाम से जाना जाता है। रतलाम और देवास में बीजेपी महापौर की कुर्सी बचाने में कामयाब रही। रतलाम में बीजेपी के प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस के मयंक जाट और देवास में बीजेपी की गीता अग्रवाल ने कांग्रेस की विनोदिनी व्यास को हराया।

पढ़िए, दूसरे चरण के 5 नगर निगम में जीत-हार का एनालिसिस –

रीवा: पूर्व मंत्री शुक्ला चाहते थे व्यंकेश को मिले टिकट, संगठन नहीं माना

पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला विंध्य के बड़े नेता हैं। वे चाहते थे कि महापौर का टिकट व्यंकेश पांडे को दिया जाए, लेकिन संगठन ने प्रबोध व्यास को मैदान में उतारा था। तब शुक्ला ने पार्टी को संदेश दे दिया था कि यदि वे (वीडी शर्मा ) अपने प्रत्याशी को जिताने की गारंटी लेते हैं, तो उन्हें आपत्ति नहीं है। उम्मीदवार के चयन को लेकर शुक्ला के समर्थकों की नाराजगी चुनाव के दौरान देखी गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने यहां पूरी ताकत झोंक दी थी, बावजूद इसके बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, शुक्ला के गृह वार्ड क्रमांक 23 में भी बीजेपी हार गई है।

कटनी: पूर्व मंत्री समर्थक रेत कारोबारी की पत्नी हारी

बीजेपी ने कटनी में सक्रिय कार्यकर्ता प्रीति सूरी की बजाय रेत कारोबारी विनय दीक्षित की पत्नी ज्योति को टिकट दिया था। उन्हें पूर्व मंत्री संजय पाठक का करीबी माना जाता है। जबकि यहां से बीजेपी विधायक संदीप जायसवाल चाहते थे कि प्रीति सूरी को उम्मीदवार बनाया जाए। बताया जाता है कि पाठक ने ज्योति को जिताने की गारंटी ली थी। बता दें कि कटनी का एक हिस्सा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र में आता है। लिहाजा उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार के लिए पूरी ताकत झोंकी थी। बावजूद इसके कांटे के मुकाबले में ज्योति को बागी प्रीति ने पछाड़ दिया है।

रतलाम में बीजेपी का कब्जा, भूरिया पिता-पुत्र को झटका

रतलाम में बीजेपी महापौर की कुर्सी बचाने में कामयाब रही। यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत को बड़ा झटका लगा है। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार मयंक जाट को टिकट देने की पैरवी विक्रांत ने की थी। लेकिन वे बीजेपी के प्रहलाद पटेल से हार गए। बीजेपी के लिए आदिवासी बेल्ट में यह जीत मायने रखती है। बीजेपी ने इस सीट की जिम्मेदारी चेतन कश्यप को दी थी।

मुरैना में शिवराज, तोमर-सिंधिया पर भारी पड़े कमलनाथ-गोविंद सिंह

मुरैना में हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। ग्वालियर-चंबल इलाके में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव ज्यादा है, इसलिए बीजेपी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी थी। बावजूद इसके कांग्रेस ने इस शहर में महापौर की कुर्सी पर कब्जा कर लिया है। बीजेपी की मीना मुकेश जाटव को कांग्रेस की शारदा सोलंकी (पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र सोलंकी पत्नी) ने हार दिया है। मुकेश को तोमर का करीबी माना जाता है। बता दें कि सीएम शिवराज के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कमान संभाल रखी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी प्रचार किया था। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कमलनाथ प्रचार करने पहुंचे थे। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और पूर्वमंत्री जयवर्धन सिंह ने भी प्रचार किया था।

देवास: गीता अग्रवाल को मिला राजघराने की सेवा का फल

देवास में बीजेपी की गीता अग्रवाल ने महापौर का चुनाव जीत लिया है। उन्हें विधायक गायत्री पवार का समर्थक माना जाता है। गीता ने कांग्रेस की प्रदेश सचिव विनोदिनी व्यास को हराया है। यह पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के लिए झटके से कम नहीं है। जानकार मानते हैं कि गीता को अब तक कोई राजनैतिक पद नहीं मिल पाया था, लेकिन अब उन्हें महापौर की टिकट मिला था। कहा जा रहा है कि गीता को तुकोजीराव राजघराने की सेवा का फल मिला है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *