डॉक्टर्स को फरमान; रिजल्ट समय पर आए, इसलिए मेडिकल टीचर रोज 100 कॉपी जांचें, मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के संचालक का कुतर्क वाला आदेश

मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के संचालक डॉ. जितेन शुक्ला के एक फरमान ने डॉक्टरों में हड़कंप पैदा कर दिया है। उन्होंने 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा है कि एमबीबीएस का रिजल्ट समय पर जारी हो, इसके लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज के एक टीचर को एक दिन में 100 स्टूडेंट्स की कॉपी जांचने का काम दें।

ये आदेश भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, विदिशा, सागर, खंडवा, शहडोल, शिवपुरी, रतलाम, रीवा, दतिया और छिंदवाड़ा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन को भेजा गया है। साथ ही इसका सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। संचालक के इस अव्यवहारिक आदेश से डॉक्टर परेशान हैं, क्योंकि वे सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं।

इन आठ घंटों में वे कॉपियां जांचना संभव नहीं है, क्योंकि इसी दौरान डॉक्टरों को मरीजों को भी देखना पड़ता है। लेकिन संचालक के इस अव्यवहारिक आदेश का असर जल्दबाजी में कॉपी जांचने के चलते रिजल्ट पर भी दिखाई देगा। इस ऑर्डर को लेकर जब संचालक से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ देर बाद ऑर्डर की कॉपी उनके वॉट्सएप पर भेजी तो इसका भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

सवाल इसलिए, क्योंकि… एक कॉपी की ठीक से जांच में 25 मिनट लगते हैं, इस हिसाब से 100 कॉपी में लगेंगे 41 घंटे, जबकि दिन सिर्फ 24 घंटे का होता है

10 से 15 कॉपी ही जांच सकेंगे, वजह- दिनभर व्यस्तता, रात में ही कुछ घंटे का समय मिलेगा

  • शाम चार बजे के बाद कई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस भी करते हैं। इस दौरान भी कॉपियों की जांच हो पाना मुश्किल है।
  • घर लौटने के बाद या रात 10 बजे के बाद जब कॉपियों की जांच शुरू होती है तो चार घंटे में कुछ कॉपी चैक हो पाती हैं।
  • एक टीचर्स ने बताया कि एक कॉपी की ईमानदारी से जांच में कम से कम 20 से 25 मिनट लगते ही हैं। इस हिसाब से 10 कॉपी जांचने में करीब 4 घंटे 10 मिनट लगेंगे। इस दौरान नंबर भी देना होता है। इसके बाद ही अगली कॉपी शो होती है।
  • आदेश का पालन होता है तो एक 25 मिनट प्रति कॉपी के हिसाब से 100 कॉपियों की जांच करने में करीब 2500 मिनट यानी 41 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा।
  • मेडिकल टीचर्स की माने तो सुबह 8 से 4 बजे तक मेडिकल की पढ़ाई का समय फिक्स है। इसमें ओपीडी और बेड साइड टीचिंग का समय भी शामिल है।

यदि 8 घंटे की ड्यूटी में कॉपी जांचें तो भी प्रति कॉपी 4.8 मिनट मिलेंगे
मेडिकल कॉलेजों के टीचर्स को अस्पताल की ड्यूटी के साथ कॉपी जांचने का काम भी करना है। सुबह 8 से शाम चार बजे यानी 8 घंटे की ड्यूटी में टीचर्स को 480 मिनट मिलेंगे। अगर टीचर्स लगातार 100 कॉपियां भी जांचता है तो उसे हर कॉपी के लिए 4.8 मिनट ही मिलेंगे। ऐसे में कॉपी सही से चैक होंगी या नहीं, इसका पर सवाल खड़े हो सकते हैं।

यूनिवर्सिटी पर सवाल… परीक्षा कराने और रिजल्ट की जिम्मेदारी इसी पर
ऐसा बहुत कम हुआ है कि यूनिवर्सिटी के काम में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा महकमे ने हस्तक्षेप किया हो। परीक्षा करवाने और रिजल्ट की जिम्मेदारी सीधे तौर पर यूनिवर्सिटी प्रशासन की होती है। एक्सपर्ट बताते हैं कि आदेश यूनिवर्सिटी की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। सरकार को दखल इसीलिए भी करना पड़ा, क्योंकि विवि काम सही से नहीं कर रहा।

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