प्रदेश में 163 डॉक्टर ड्यूटी से गायब, 162 की रिजॉइनिंग से पहले जांच की शर्त; एक को छूट!

इंदौर : अफसरों की मेहरबानी …?

मध्यप्रदेश में 163 डॉक्टर 2 से लेकर 20 साल से ड्यूटी से गायब हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 162 डॉक्टरों को जॉइनिंग का आखिरी मौका देने से पहले विभागीय जांच की शर्त रखी है। लेकिन इंदौर में 15 साल से गायब सिर्फ एक डॉक्टर के लिए सारे नियम शिथिल कर जॉइनिंग दे दी गई है। अकेले इस फैसले से ही सरकार को 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की चपत लगना तय है। यह फैसला नजीर बना तो भविष्य में ऐसे मामलों से सरकारी खजाने को कई करोड़ का नुकसान उठाना होगा।

दरअसल, वर्ष 2020 में कोविड के दौरान डॉक्टरों की कमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने लंबे समय से गायब 173 डॉक्टरों की सूची जारी की थी। सभी को अपनी पूर्व पदस्थापना स्थल पर जाॅइन करने काे कहा गया था। इसके बाद विभाग ने मई 2022 में अनधिकृत रूप से अनुपस्थित 162 डॉक्टरों की सूची जारी की। संबंधित जिला अधिकारियों को इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच का नोटिस भेजने के निर्देश दिए गए। जांच से संतुष्ट होने पर ही उन्हें जॉइनिंग देने या सिविल सेवा आचरण नियमों का पालन कर बर्खास्त करने के लिए कहा गया था। हालांकि दोनों ही सूची में 2007 से गायब डॉ. इजहार मुंशी का नाम नहीं है।

रिटायरमेंट तक करीब दो करोड़ की पात्रता, सालाना 12 लाख की पेंशन भी

15 साल से गायब रहे मुंशी की 6 साल की अवधि को बिना डीई किए सर्विस ब्रेक माना गया है। कानूनी जानकार इसे अधिकारियों द्वारा दी गई बड़ी राहत बता रहे हैं। इस नियम विरुद्ध आदेश से डॉ. मुंशी को रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के करीब 25 लाख, सरेंडर लीव, जीआईएस आदि के करीब 13 लाख मिलेंगे। 57 वर्षीय डॉ. मुंशी का सेवानिवृत्ति आयु (65 वर्ष) तक का वेतन भी लगभग डेढ़ करोड़ बनेगा। यही नहीं, उसके बाद वे सालाना लगभग 12 लाख की पेंशन के पात्र भी होंगे।

दो चार-साल से गायब डॉक्टर्स को राहत नहीं

  1. सीहोर जिले में पदस्थ रहे डॉ. संजीव रघुवंशी 2013 में नौकरी पर आए। वे अगस्त 2018 से अनधिकृत रूप से गायब थे। वर्ष 2021 में विभागीय जांच में हुई सिफारिश के बाद 7 जुलाई 2022 को बर्खास्त कर दिया गया।
  2. शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. रवींद्र सिंह बताते हैं उन्होंने साल 2020 में आदेश के मुताबिक मंदसौर में जॉइनिंग दी थी, लेकिन उन्हें पोस्टिंग ही नहीं दी गई। डॉ. मुंशी का मामला सामने आने के बाद उन्होंने एसीएस स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान व अपर आयुक्त सपना लोवंशी से मुलाकात भी की, लेकिन जॉइनिंग देने से मना कर दिया गया। मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर वाले राज्यों में शामिल है, ऐसे में एक शिशु रोग विशेषज्ञ को पोस्टिंग नहीं देना समझ से परे है।

क्या कहता है विभागीय आदेश और नियम

अपर संचालक स्वास्थ्य सपना लोवंशी ने मई 2022 में ही लंबे समय से अनुपस्थित चिकित्सकों की विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर बर्खास्त या उचित कारण पाए जाने पर जॉइनिंग करवाने के आदेश दिए थे। आदेश के मुताबिक ऐसे लोगों पर सिविल सेवा अधिनियम के अंतर्गत नियम 27 और 17-अ पेंशन नियम 1976 के प्रावधान लागू होंगे। अनुपस्थिति अवधि को सेवा व्यवधान (डाइजेनान) माना जाएगा।

50 डॉक्टर्स को जॉइनिंग दी जा सकती है
162 डॉक्टर जांच के दायरे में हैं। बिना डीई के किसी को जॉइनिंग नहीं दी जाएगी। जांच के बाद इसमें से लगभग 50 डॉक्टरों को जॉइनिंग दी जा सकती है।
-पी. सुदामा खाड़े, स्वास्थ्य आयुक्त

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