JDU-BJP के बीच टूट की 5 वजहें …?
स्पीकर से नीतीश की भिड़ंत, अग्निपथ पर चुप्पी; 5 महीने से सुलग रही थी चिंगारी…
हर साल की तरह इस बार भी राबड़ी देवी के घर अप्रैल में इफ्तार पार्टी हुई। इसमें सीएम नीतीश कुमार की शिरकत ने सभी का ध्यान खींचा। वो पांच साल बाद राबड़ी देवी के घर ऐसी किसी पार्टी में पहुंचे थे। सुगबुगाहट शुरू हुई कि नीतीश एक बार फिर बीजेपी से नाता तोड़ सकते हैं। खैर, बात आई-गई हो गई, लेकिन बीजेपी-जेडीयू के बीच की चिंगारी सुलगती रही।
आज नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है। CM नीतीश कुमार ने मंगलवार शाम 4 बजे राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। नीतीश ने तुरंत ही नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। उन्होंने राज्यपाल को 160 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी।
हमने थोड़ा करीब से एनालिसिस किया तो बीजेपी-जेडीयू के बीच अनबन की 5 बड़ी वजहों का पता चला। ये वजहें इतनी बड़ी हैं कि बिहार की सियासत को उथल-पुथल कर रख दिया…
पहली वजह: सांसदों की संख्या के अनुपात में मंत्री पद JDU को नहीं मिलना
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के CM नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्रिमंडल में समान अनुपात में प्रतिनिधित्व चाहते हैं। इस समय बिहार में दोनों दलों के 16-16 लोकसभा सांसद हैं।
ऐसे में JDU चाहती है कि जितने मंत्री बिहार कोटे से केंद्र में BJP से बनाए गए हैं उतने ही जदयू से भी बनाया जाना चाहिए। जबकि, 2019 के बाद BJP के नेतृत्व वाली NDA सरकार में JDU को सिर्फ एक मंत्री पद ऑफर किया गया है।
यही वजह है कि रविवार को JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी कहा है कि जनता दल यूनाइटेड केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक बार फिर से शामिल नहीं होगी। साथ ही JDU ने आरसीपी सिंह की मदद से JDU को तोड़ने की साजिश का भी आरोप लगाया है।
अब नीतीश कुमार और उनकी पार्टी केंद्रीय मंत्रिमंडल में अनुपातिक प्रतिनिधित्व की बात कर रही है तो आसान भाषा में ग्राफिक्स के जरिए इसका मतलब भी समझ लीजिए…
दूसरी वजह: BJP कोटे से स्पीकर बने विजय कुमार सिन्हा और CM नीतीश के बीच तकरार
CM नीतीश कुमार BJP कोटे से विधानसभा स्पीकर बने विजय कुमार सिन्हा को काफी पसंद नहीं करते हैं। कई बार सदन के अंदर और बाहर नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच विवाद भी हुआ है। इसकी बानगी ये 2 घटनाएं हैं
पहली घटना: मार्च 2022 में CM नीतीश कुमार ने विधानसभा के अंदर ही स्पीकर पर नियम तोड़कर बिहार सरकार पर सवाल खड़ा करने का आरोप लगाया था।
दूसरी घटना: फरवरी 2022 में विजय सिन्हा ने उनके विधानसभा क्षेत्र लखीसराय में कोविड नियम तोड़ने के आरोप में BJP कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर जमकर हमला बोला था।
तीसरी वजह: अग्निपथ योजना के बाद संजय जायसवाल ने किया था JDU पर हमला
इसके अलावा BJP प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी अग्निपथ योजना लागू होने के बाद बिहार में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बाद नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा था, ‘सिर्फ भाजपा को टारगेट किया जा रहा है। इसे जल्द रोका जाए, नहीं तो फिर किसी के लिए ठीक नहीं होगा।’ यही वो वजह है जिसकी वजह से दोनों दलों के बीच सब कुछ सही नहीं चल रहा है।
चौथी वजह: BJP और JDU के बीच अलग-अलग पॉलिसी को लेकर मतभेद
BJP की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों में एक साथ चुनाव कराने की सोच रही है, जबकि JDU ने इसका खुलकर विरोध किया है। JDU ने कहा है कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की पॉलिसी प्रैक्टिकली सही नहीं है।’
यही नहीं अग्निपथ योजना पर भी JDU का स्टैंड BJP से अलग रहा है। जब बिहार में इस फैसले पर जमकर बवाल हो रहा था तब CM नीतीश कुमार ने इस मामले में चुप्पी साध ली थी। इसके अलावा कॉमन सिविल कोड जो BJP का कोर एजेंडा है, इसके मामले में भी JDU का रास्ता अलग है।
पांचवी वजह: BJP कोटे के मंत्रियों पर भी CM नीतीश चाहतें हैं कंट्रोल
रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनकी सरकार में BJP कोटे से बनने वाले मंत्रियों पर उनका कंट्रोल हो। यही नहीं CM नीतीश ये भी चाहते हैं कि इन मंत्रियों के सिलेक्शन में भी उनकी राय ली जाए, जबकि ऐसा नहीं हो रहा है। अमित शाह अपने पसंदीदा लोगों को बिना मुख्यमंत्री से राय लिए मंत्रिमंडल में शामिल कर ले रहे हैं।
पहले भी CM नीतीश ने BJP और BJP के बड़े नेताओं को दिया है झटका
NDA में भले ही JDU सबसे पुराना साथी हो लेकिन कई मौकों पर इसने BJP को कड़ा झटका दिया है। ऐसे ही तीन मौकों को हम यहां बताते हैं…
पहला मौका: जून 2010 की बात है। नरेंद्र मोदी BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने बिहार आए थे। नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी समेत BJP के कई बड़े नेताओं को अपनी तरफ से डिनर के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे कैंसिल कर दिया था। हालांकि, बाद में नीतीश कुमार ने इसके लिए BJP नेता सुशील मोदी को जिम्मेदार बताया था।
दूसरा मौका: 2014 लोकसभा चुनाव से पहले BJP नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी। इस वक्त NDA को सबसे ज्यादा JDU की जरूरत थी, लेकिन इसी समय नीतीश कुमार ने अपने 17 साल पुराने दोस्ती के रिश्ते को तोड़ने का फैसला लिया था।
तीसरा मौका: 2002 में गुजरात के गोधरा कांड के बाद नीतीश कुमार ने इस घटना के लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया था। इस वक्त भी नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली JDU केंद्र की NDA सरकार के साथ गठबंधन में थी।