ग्वालियर में स्कूलों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं …?
निरीक्षण कमेटियों की आपत्ति के बाद भी ध्यान नहीं…?
ग्वालियर में स्कूलों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं, निरीक्षण कमेटियों की आपत्ति के बाद भी ध्यान नहीं
जबलपुर के हास्पिटल में आग लगने से हुई कई लोगों की मौत के बाद शासन और प्रशासन स्कूलो को लेकर गंभीर नहीं हुआ है।
ग्वालियर. जबलपुर के हास्पिटल में आग लगने से हुई कई लोगों की मौत के बाद शासन और प्रशासन स्कूलो को लेकर गंभीर नहीं हुआ है। सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। प्राइवेट स्कूलों में मान्यता निरीक्षण के दौरान जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा गठित कमेटियों द्वारा सुरक्षा मानकों को देखा जाता है। इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा यह पड़ताल नहीं की जाती है कि स्कूलों में जो सुरक्षा मानक वह सही है या नहीं। सरकारी स्कूलों की बात करें तो सुरक्षा के इंतजामों की व्यवस्था करना शासन का काम है। स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा जरूरी है। सुरक्षा उपकरणों के लिए शासन द्वारा जो फंड उपलब्ध कराया जाता है, उसके हिसाब से इंतजाम भी किए जाते हैं, यह इंतजाम सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं। जिले में 1500 सरकारी और 1700 प्राइवेट स्कूल हैं जिले में 1541 सरकारी और लगभग 1700 प्राइवेट स्कूल (मिडिल, हाईस्कूल हायरसेकंडरी) हैं। इन स्कूलों का जब कमेटियां निरीक्षण करती है तब यह कमियां सामने आती हैं। अग्नीशमक यंत्र नहीं रहते हैं। शहर में शकरी गलियों में स्कूल संचालित हैं।
प्राइवेट स्कूलों की बात करें तो नामी-गिरामी स्कूलों में अनिशमन यंत्रों की व्यवस्था अच्छी है मगर छोटे स्कूलों में सुरक्षा इंतजाम भी दिखाने के लिए किए हैं। सरकारी स्कूलों में अग्निशमन यंत्र लगे जरूर हैं, लेकि स्कूल के हिसाब से नाकाफी हैं, कई स्कूलों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। अग्निशमन यंत्रों का इस्तेमाल करना नहीं आता सरकारी स्कूल के प्राचार्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में आग लगने की स्थिति में उस पर काबू पाने के लिए अग्निशमन यंत्र लगाए तो हैं मगर हकीकत यह है कि अगर आग लग जाते तो कोई भी अग्निशमन यंत्रों का उपयोग नहीं कर पाएगा, क्योंकि इसे लेक प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया है। इसलिए उपकरणओं का उपयोग भी संभव नहीं है।