इंदौर : MIC सदस्यों को लेकर राजनीति …? विजयवर्गीय-विधायकों का रहा दबदबा; मंत्री ठाकुर, लालवानी समर्थित पार्षदों को जगह नहीं
आखिरकार लंबी उहापोह के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने गुरुवार शाम को मेयर इन कौंसिल (एमआईसी) के सदस्यों की घोषणा कर दी। सूची में जिन पार्षदों को लिया गया है उनमें लगभग सभी नाम ऐसे हैं जो शुरू से ही पहले पायदान पर थे। इसके बावजूद लगभग इतने ही नाम और थे जिनके लिए मंत्री उषा ठाकुर, सांसद शंकर लालवानी सहित अन्य वरिष्ठ नेता प्रयासरत थे लेकिन तवज्जो विधायकों द्वारा प्रस्तावित नामों को ही मिली और अंतिम मुहर (सहमति) भोपाल से ही लगी। सूची में महिला सदस्य के रूप में प्रिया डांगी का नाम जरूर चौंकाने वाला है क्योंकि अन्य महिला पार्षद भी दावेदार थी। खास बात यह कि वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के विदेश से इंदौर लौटते हुए एमआईसी सूची जारी की गई यानी इसमें भी उनका दबदबा रहा।
अब जल्द ही इनके विभाग भी तय कर दिए जाएंगे। इसके पूर्व एमआईसी नामों को लेकर काफी मंथन हुआ। इसमें अनुभवी, वरिष्ठ नेता, विधायक व पूर्व विधायकों द्वारा प्रस्तावित नामों पर जोर दिया गया और फिर सूची फाइनल हुई।

विधानसभा-1 : पार्टी के प्रति समर्पण रहा मजबूत आधार
इस बार एमआईसी में विधानसभा-1 से अश्विन कुमार शुक्ल और निरंजनसिंह चौहान (गुड्डू) को जगह मिली। अश्विन कुमार शुक्ल को संघ के समर्थन के साथ पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता का भी समर्थन था। उनके नाम को लेकर किसी प्रकार की खींचतान भी नहीं थी। ऐसे ही निरंजनसिंह चौहान का नाम दो मायनों में तय था। एक तो उनका नाम सभापति के लिए भी तीसरे नंबर पर था। दूसरा यह कि उनका यह दूसरा चुनाव था। वे पहली बार पार्षद बने हैं और 6300 वोटों से जीते हैं।

पिछली बार पार्टी ने उन्हें इंदौर (शहरी) की समर्पण निधि संग्रह की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसमें उन्होंने 3 करोड़ की राशि संग्रहित की। इस बार भी उन्हें जिम्मेदारी दी गई जिसमें उन्होंने दोगुना समर्पण राशि 6.25 करोड़ संग्रहित की जो उनका सबसे मजबूत आधार है।
उनकी पत्नी सपना चौहान दो बार पार्षद होने के साथ एमआईसी सदस्य रह चुकी हैं। उन्हें पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता का समर्थन रहा और उनके नाम को लेकर कोई कंट्रोवर्सी भी नहीं रही। यह भी संकेत हैं कि उन्हें राजस्व का प्रभाव दिया जा सकता है। यहां से पार्षद पराग कौशल के लिए मंत्री उषा ठाकुर प्रयासरत थी लेकिन उनकी नहीं चली।
विधानसभा-2 : पांच बार की पार्षदी और एमआईसी का अनुभव रहा खास आधार

विधानसभा-2 से पार्षद राजेंद्र राठौर व जितेंद्रकुमार यादव को एमआईसी में स्थान मिला है। राठौर पांचवीं बार पार्षद बने हैं व एमआईसी सदस्य भी रह चुके हैं। उन्हें विजयवर्गीय व मेंदोला का समर्थन है। मुन्नालाल यादव की तरह वे भी एमआईसी का खासा अनुभव रखते हैं। इस विधानसभा से ये ही दो नाम प्रस्तावित थे और उन्हें स्थान मिला।
विधानसभा-3 : एक ही नाम जिस पर लगी मुहर

संगठन की ओर से विधानसभा-3 और राऊ से 1-1 ही नाम देने को लेकर सहमति बनी थी। इसके चलते यहां मनीष शर्मा (मामा) का नाम मजबूत दावेदार के रूप में था। दूसरा नाम गजानन गावडे का था। शर्मा वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के खास समर्थक हैं और दूसरा क्षेत्रीय विधायक आकाश विजयवर्गीय भी उनकी प्राथमिकता हैं। इसके चलते शर्मा का नाम ही फाइनल हुआ।
विधानसभा-4 : मालिनी के प्रयास से महिला पार्षद को मिला स्थान
विधानसभा-4 में इस बार एमआईसी के लिए काफी खींचतान रही। इस विधानसभा से दो पार्षदों को लिया जाना था जिसके लिए पूरे 85 वार्डों में सबसे ज्यादा वोटों से जितने वाले कमल लड्ढा व राकेश जैन का नाम सबसे ऊपर था। दोनों को ही विधानसभा मालिनी गौड़ का सपोर्ट था। इस बीच यहां से एमआईसी में महिला पार्षद को लेकर कंचन गिदवानी का नाम आया जिसके लिए सांसद शंकर लालवानी प्रयारसत थे।

दूसरी ओर गिदवानी को टिकिट मिलने के बाद से ही जबर्दस्त विरोध था। इस बीच समीकरण बदले और यहां से मालिनी की ओर से महिला पार्षद प्रिया डांगी का नाम प्रस्तावित किया गया जो फाइनल हो गया और लड्ढा को एमआईसी में स्थान नहीं मिला। इस तरह इस विधानसभा से प्रिया डांगी व राकेश जैन के नाम फाइनल हुए। हालांकि महिला सदस्य के लिए इन दोनों के अलावा विधानसभा-2 से पूजा पाटीदार व राऊ से लक्ष्मी वर्मा का नाम भी चर्चाओं में था लेकिन इन विधानसभाओं के दो नाम तय हो चुके थे इसके चलते ये दोनों दौड़ से बाहर हो गई।
विधानसभा-5 : उदावत-पहाडिया के नामों पर नहीं था विरोध

विधानसभा-5 में पार्षद राजेश उदावत व नंदकिशोर पहाड़िया नाम शुरू से ही प्रस्तावित थे। तीसरे नंबर पर प्रणव मंडल थे। तीनों ही क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया की पसंद हैं लेकिन उदावत-पहाडिया के नामों को लेकर विरोध नहीं था। उदावत विधायक हार्डिया के कट्टर समर्थक हैं जबकि पहाड़िया को अप्रत्यक्ष रूप से वरिष्ठ कैलाश विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला का भी समर्थन रहा।
राऊ : एक ही नाम था मजबूत

राऊ विधानसभा से भी एक ही पार्षद को लिया जाना था। इसके लिए अभिषेक (बबलू) शर्मा व ओमप्रकाश आर्य का नाम था। शर्मा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के काफी नजदीकी है और उनके नाम को लेकर भी कोई विरोध नहीं था। इसके चलते उन्हें एमआईसी में स्थान मिला।