304 करोड़ के कारम डेम के टूटने पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से ……

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जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि धार जिले में 304 करोड़ की लागत से बन रहे कारम डेम के टूटने की बड़ी वजह नियमित फील्ड मॉनिटरिंग में चूक है। वे यह भी कह रहे हैं कि डेम फूटा नहीं है। वो निर्माणाधीन था। गेट नहीं लगे थे। डेम फूटने का तो भ्रम फैलाया गया है। सिलावट से इस मुद्दे पर बातचीत।

सवाल- आरोप है कि फूटे डेम के पास सरकार और मंत्री सब फोटोबाजी-पर्यटन में लगे हुए थे?

जवाब- मैं तो चार दिन डेम पर कुर्सी लगाकर बैठा रहा

डेम निर्माण में गुणवत्ता का ताे ध्यान रखा नहीं गया, जब वह टूटने लगा तो मंत्री-अफसर पर्यटन करने पहुंच गए?
किसी डेम के फूटने की आशंका है तो क्या कोई मंत्री पर्यटन पर जाएगा। मैं चार दिन डेम पर ही कुर्सी लगाकर बैठा रहा। एक ड्रेस में ये दिन निकाले। क्या ये पर्यटन है? संकट के समय पक्ष-विपक्ष को सेवा का काम करना चाहिए। सीएम पल-पल संज्ञान ले रहे थे। नेता प्रतिपक्ष खुद आए थे। कांग्रेस नेता संवेदनशील मुद्दे पर बेकार राजनीति कर रहे हैं।

जांच में हमेशा बड़े अफसर बच जाते हैं। केवल छोटों पर कार्रवाई कर दी जाती है। क्या मंत्री और मंत्रालय के अफसरों की जिम्मेदारी नहीं है?
कोई भी छोटा या बड़ा अफसर हो। अगर जिम्मेदार है तो बख्शा नहीं जाएगा। डेम निर्माणाधीन था। डेम निर्माण का सिस्टम होता है। इसकी नियमित फील्ड मानिटरिंग होती है। वहां चूक हुई है।

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने डेम बनाने वाली सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी के अशोक भारद्वाज को अपना मित्र बताया है। ऐसे में दोषी कंपनी पर क्या कार्रवाई कर पाएंगे?
कोई मंत्री किसी दोषी को नहीं बचा रहा है। कंपनी ब्लैक लिस्टेड कर दी गई है। इसकी पूरी रिपोर्ट तो आने दो। ठेकेदार या अफसर, कोई भी हो, नहीं बचेगा।

प्रदेश के दो डेम में सीपेज की सूचना है। क्या इस समय आप यह वादा कर सकते हैं कि अब कोई डेम नहीं टूटेगा?
प्रदेश के सारे डेम की मैदानी जांच रिपोर्ट बुलवाई है। कंट्रोल रूम बनाया है। दाहोद और तवा डेम खुद जाकर दौरा किया। सुरक्षा के लिए बनी दीवार गिरी थी। उसे रिपेयर कराया गया है। 27 डेम का आधुनिक तकनीक से सुदृढ़ीकरण कराया जाएगा।

सरकार कह रही है कि कारम डेम टूटा नहीं, फूटा है? अगर ऐसा है तो क्या कंपनी और अफसर सब बचा लिए जाएंगे? जांच रिपोर्ट का क्या हुआ?
जांच रिपोर्ट आने दीजिए। ये मेरा वादा है कि डेम में सीपेज के लिए जो भी जिम्मेदार है, वो छोड़ा नहीं जाएगा।

डेम तो आपके ही विभाग के अधीन बन रहा है?
मैं फिर कह रहा हूं कि कारम डेम फूटा नहीं है। वो निर्माणाधीन था। गेट नहीं लगे थे। सरकार ने तुरंत फैसला लेकर चैनल और छोटे कट से पानी निकाला। खरगाेन-धार के 18 गांव जोखिम में थे। आपदा प्रबंधन का सर्वश्रेष्ठ काम था। कोई जनहानि नहीं होने दी गई।

भाजपा सरकार में ई-टेंडर घोटाले की जांच शुरू हुई थी। इसमें कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई। दोषी कंपनियों को सरकार ने आखिर क्यों बचाया है?
ई-टेंडर घोटाले की जांच लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में चल रही है। इस जांच पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।

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