ग्वालियर. गुणवत्तायुक्त शिक्षा के अभाव में ग्वालियर चंबल संभाग के सरकारी स्कूलों में साल दर साल छात्र संख्या घट रही है। लोग मोटी फीस चुकाने में सक्षम नहीं होने के बावजूद अपने नौनिहालों का प्रवेश प्राइवेट स्कूलों में करवाने के लिए विवश हैं। इसी का नतीजा है कि प्राइवेट स्कूलों में दिन व दिन छात्र संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। संभाग के भिण्ड एवं दतिया जिले के सरकारी स्कूलों में घटती छात्रसंख्या इसका जीवंत उदाहरण हैं।
दतिया में 1042 सरकारी विद्यालयों के मुकाबले 366 प्राइवेट विद्यालयों में छात्र संख्या अधिक है। दतिया के सरकारी स्कूलों में कुल छात्र संख्या करीब 110000 है। जबकि सरकारी विद्यालयों के मुकाबले 60 फीसद कम संख्या में चल रहे प्राइवेट विद्यालयों में बच्चों की संख्या 180000 है। इसी प्रकार भिण्ड जिले में भी यदि उत्कृष्ट विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो बच्चों में शिक्षा की स्थिति दयनीय है। भिण्ड के 1805 सरकारी विद्यालयों में करीब दो लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। वहीं यहां संचालित प्राइवेट विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की संख्या तीन लाख से भी ज्यादा है। सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों की छात्र संख्या में बड़ा फर्क नजर आ रहा है। ऐसे में जाहिर है कि लोगों का सरकारी स्कूलों के अध्यापन से मोहभंग हो रहा है।
चंबल संभाग के सरकारी स्कूलों में घट रहे छात्र
(शिक्षा विभाग के वार्षिक समीक्षा सर्वे के मुताबिक)
वर्ष 2017- लगभग 06 फीसद
वर्ष 2018 करीब 09 फीसद
वर्ष 2019-2020, 2021 कोरोना काल
वर्ष 2022 लगभग 11 फीसद
सरकारी से बेहतर शिक्षा दे रहे प्राइवेट स्कूल के शिक्षक
उल्लेखनीय है सरकारी विद्यालयों में पदस्थ शिक्षकों की तनख्वाह 50 हजार से 80 हजार रुपए प्रतिमाह तक है। जबकि प्राइवेट विद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे शिक्षकों की पगार 15 से 20 हजार के बीच है। बावजूद इसके प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सरकारी विद्यालय की शिक्षा से बेहतर शिक्षा हासिल कर रहे हैं। हालांकि इसकी महंगी कीमत भी अभिभवकों को चुकानी पड़ रही है। सरकारी शिक्षकों के नकारापन का फायदा प्राइवेट विद्यालय संचालक उठा रहे हैं। अभी तक विभागीय स्तर पर यह समीक्षा नहीं की गई कि आखिर क्या वजह है कि मोटी पगार लेने के बावजूद शिक्षक गुणवत्तायुक्त शिक्षा क्यों नहीं दे पा रहे। वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर इस संबंध में चिंतन मनन नहीं किए जाने के चलते सरकारी विद्यालयों की शिक्षा के स्तर पर अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है।
इनका कहना है
दो साल सरकारी विद्यालय में अध्ययन कराने के उपरांत भी जब बच्चे की शिक्षा में सुधार देखने को नहीं मिला तो मजबूरन प्राइवेट विद्यालय में दाखिला कराना पड़ा है।
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सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति नहीं होना शिक्षा के गिरते स्तर का कारण है। जिम्मेदारी पूर्वक अध्यापन नहीं होने से प्राइवेट विद्यालयों की पूछ परख बढ़ रही है।
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शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयास शुरू किए हैं। शिक्षकों की नई भर्ती भी की गई है जो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के शिक्षा के स्तर में सुधार लाने में सहायक साबित हो सकेगी।
दीपक पांडेय, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर
दतिया जिले में सरकारी विद्यालयों की स्थिति
प्राथमिक विद्यालय 586 प्राइवेट विद्यालय-28
माध्यमिक विद्यालय 334 प्राइवेट विद्यालय-260
हाईस्कूल – 83 प्राइवेट विद्यालय-36
हायर सेकंडरी – 39 प्राइवेट विद्यालय-42
भिण्ड के सरकारी स्कूलों की स्थिति-
प्राथमिक विद्यालय-1014 प्राइवेट- 915
माध्यमिक विद्यालय- 621 प्राइवेट- 515
हाईस्कूल – 100 प्राइवेट- 278
हायर सेकंडरी- 70 प्राइवेट- 17