लिव-इन रिलेशनशिप …70% से 80% महिलाएं बयान से पलट जाती हैं…:सीधे दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं होगा

लिव-इन में रही महिला की शिकायत पर सीधे दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं होगा, पहले मध्यस्थता करेगी पुलिस ...

मप्र में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही या रह चुकी महिला अब अपने पार्टनर के खिलाफ सीधे ज्यादती का केस दर्ज नहीं करवा सकेंगी। शिकायत मिलने पर पुलिस पहले दोनों के बीच में मध्यस्थता करेगी। पुलिस उसके पार्टनर का भी पक्ष सुनेगी। यह भी पता लगाएगी कि आखिर महिला क्यों ज्यादती का केस दर्ज करवाना चाहती है। महिला का पक्ष सही पाए जाने के बाद ही केस दर्ज किया जाएगा।

मध्य प्रदेश पुलिस की महिला सुरक्षा शाखा ने इस सम्बन्ध में सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। यह निर्देश केवल उन मामलों के लिए है, जिनमें लिव-इन पार्टनर बालिग है। दरअसल, मध्यप्रदेश में बढ़ते रेप के आंकड़ों को देखते हुए महिला सुरक्षा शाखा ने पिछले तीन सालों के रेप केसों और उनमें सजा दर का अध्ययन किया।

इसमें पाया गया कि अपराधियों को सजा की दर केवल 30-35 प्रतिशत ही है। जिन मामलों में अपराधी को सजा नहीं मिलती, उनमें पाया गया कि करीब 80% मामलों में फरियादी अपने बयान बदल देती हैं या आरोपी से समझौता कर लेती है। इनमें से ज्यादातर मामले वो है जिनमें फरियादी लिव-इन रिलेशनशिप में थी या आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी।

अगस्त में केवल 25.26 % को सजा, जिला न्यायालयों में कुल 392 केस में फैसला, 293 आरोपी दोषमुक्त

अगस्त में मप्र के सभी जिला न्यायालयों में कुल 392 मामलों में फैसला आया। इसमें केवल 99 मामलों यानी 25.26% में ही सजा हुई, जबकि 293 आरोपी दोषमुक्त हुए। 10 जिले ऐसे है, जहां सभी मामलों में आरोपी दोषमुक्त हो गए। पुलिस हेडक्वार्टर ने सभी जिलों उन मामलों की समीक्षा करने को कहा है, जिनमे आरोपियों को सजा नहीं मिली है।

अगर लंबे समय से महिला-पुरुष साथ रह रहे हैं और बाद में उनके रिश्ते खराब हो जाते हैं, तो ऐसे में बलात्कार का आरोप लगाना सही नहीं है। कई बार ये भी आरोप लगाया जाता है कि शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए गए, ऐसे में पुरुष के खिलाफ दुष्कर्म का केस नहीं बनता।
– 14 जुलाई 2022 को राजस्थान के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

अभी पहले केस दर्ज, फिर जांच

अभी महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ज्यादती का मामला दर्ज कर लेती है। कई मामले तो ऐसे आते है जिनमें फरियादी पांच साल से ज्यादा समय तक लिव-इन में रह चुकी होती है। इन मामलों में पुलिस फरियादी की शिकायत के आधार पर पहले केस दर्ज करती है, उसके बाद जांच करती है।

आगे पहले जांच फिर कार्यवाही
महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के अनुसार कन्विक्शन रेट का एनालिसिस करने के बाद लिव-इन के मामलों में मध्यस्थता करने का निर्देश सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को दिया है। दुष्कर्म के आरोप का कारण और पार्टनर को पक्ष सुनने के बाद ही कार्यवाही की जाएगी।

2947 केस, केवल 1042 को सजा
महिलाओं से रेप के मामले में मप्र कई सालों से देश में अव्वल है। वर्ष 2021 में कुल 6462 रेप के मामले दर्ज हुए। जिनमें से 2947 मामलों में पीड़िता की उम्र 18 से ज्यादा थी। कुल 2947 मामलों में केवल 1042 मामलों में ही अपराधी को सजा हो सकी। यानी कन्विक्शन रेट 35.35 प्रतिशत।

धारा 493 (क) को राष्ट्रपति से नहीं मिली मंजूरी

मप्र पुलिस ने 2017 आईपीसी 6 और सीआरपीसी की 5 धाराओं में संशोधन के लिए विधि विभाग को एक प्रस्ताव भेजा था। लिव-इन के मामलों को धारा 493 (क) के तहत दर्ज करने और इसमें अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान प्रस्तावित था।

विधि विभाग की सहमति के बाद इसे विधानसभा में रखा गया था, जो पारित हो गया था। उसके बाद मप्र क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट-2017 को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया, जिसमें अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *