शहर के मलाईदार थाने: यहां हाउसफुल …!

शहर के मलाईदार थाने: यहां हाउसफुल, जहां अपराध ज्यादा- वहां स्वीकृत बल के भी लाले

अजब मध्यप्रदेश का गजब ग्वालियर…यहां कुछ भी हो सकता है। पूरे प्रदेश में अक्सर अपराध के लिए सुर्खियों में रहने वाले ग्वालियर में पुलिस की भी अपनी कहानी है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं, इसके पीछे वजह है ग्वालियर पुलिस।

ग्वालियर,  अजब मध्यप्रदेश का गजब ग्वालियर...यहां कुछ भी हो सकता है। पूरे प्रदेश में अक्सर अपराध के लिए सुर्खियों में रहने वाले ग्वालियर में पुलिस की भी अपनी कहानी है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं, इसके पीछे वजह है ग्वालियर पुलिस। दरअसल हमेशा जहां अपराध अधिक होता है, उन इलाकों के थानाें में पर्याप्त पुलिस बल लगाया जाता है, जिससे अपराध नियंत्रण में रहे, अपराधी पकड़े जाएं। लेकिन ग्वालियर में कहानी उल्टी है, यहां जहां अपराध कम है, वहां स्वीकृत बल से भी ज्यादा पुलिस बल तैनात है। जबकि जिन थानों की सीमा में संगीन अपराध से लेकर चोरी, लूट जैसी सनसनीखेज अापराधिक घटनाएं होती हैं, वहां स्वीकृत बल के भी लाले हैं। इसके पीछे की कहानी भी हम बताते हैं, दरअसल शहर के कुछ ऐसे थाने हैं- जिन्हें पुलिसिया भाषा में मलाईदार कहा जाता है, इन्हें मलाईदार क्यों कहा जाता है, यह यहां का स्टाफ ही बता पाएगा। लेकिन यह मलाईदार थाने अभी हाउसफल हैं, यहां जितना बल स्वीकृत है, उससे ज्यादा संख्या में यहां पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग की गई है। इसके उलट जो थाने अपराध में टाप पर हैं, वहां जितना बल स्वीकृत है, उतने पुलिसकर्मी भी पदस्थ नहीं हैं। जानकार कहते हैं- शहर के ऐसे थाने, जहां से भारी वाहन, रेत और गिट्टी के वाहनों की आवाजाही अधिक रहती है, पुलिसकर्मियों की पहली पसंद ऐसे ही थाने हैं। जिसकी वजह है, वाहनों से एंट्री वसूली, जिसे खुद पुलिस अधिकारियों ने ही कई बार पकड़ा है।

टीम ने जब पड़ताल की तो थानों में पदस्थ बल और आपराधिक आंकड़ों का विश्लेषण किया, तब यह हकीकत सामने आई। पढ़िए पूरा विश्लेषण…आखिर कौन से हैं ऐसे थाने, जहां स्वीकृत बल से भी अधिक संख्या में पुलिसकर्मी हैं तैनात, यहां अापराधिक घटनाओं की क्या स्थिति और जहां अपराध अधिक होता है, वहां स्टाफ की क्या है स्थिति।

यह मलाईदार थाने, जो पुलिसकर्मियों की पहली पसंद: ….

बहोड़ापुर: अभी तक अपराध पंजीबद्ध- 816

पद- स्वीकृत- उपलब्ध

थाना प्रभारी- 1- 1

एसआइ- 8- 7

एएसआइ- 13-13

एचसी- 13- 18

सिपाही- 47- 82

कुल- 74- 118

पुरानी छावनी: अभी तक अपराध पंजीबद्ध- 451

पद- स्वीकृत- उपलब्ध

थाना प्रभारी- 1- 0

एसआइ- 7- 6

एएसआइ- 12- 6

एचसी- 12- 21

सिपाही- 29- 49

गिरवाई: अभी तक अपराध पंजीबद्ध- 317

पद- स्वीकृत- उपलब्ध

थाना प्रभारी- 1- 1

एसआइ- 2- 1

एएसआइ- 4- 6

एचसी- 5- 13

सिपाही- 13- 32

कुल- 25- 53

हजीरा: अभी तक अपराध पंजीबद्ध- 593

थाना प्रभारी- 1- 1

एसआइ- 8- 6

एएसआइ- 13- 5

एचसी- 15- 13

सिपाही- 41- 62

कुल- 78- 87

मुरार में अपराध सबसे ज्यादा, यह हैं टाप तीन थाने, यहां स्टाफ की कमी:

थाना- आपराधिक घटनाएं- स्वीकृत बल- उपलब्ध बल

मुरार- 978- 124- 88

महाराजपुरा- 864- 105- 95

थाटीपुर- 843- 75- 67

गिरवाई थाने में दोगुना स्टाफ, सबसे ज्यादा सिपाही बहोड़ापुर में: गिरवाई थाने में स्वीकृत बल 25 है, जबकि यहां 53 पुलिसकर्मी तैनात हैं, यानि करीब दोगुने से भी ज्यादा स्टाफ यहां उपलब्ध है। जबकि यहां जनवरी से अभी तक 317 आपराधिक घटनाएं ही हुईं। इसी तरह बहोड़ापुर में सबसे ज्यादा सिपाही तैनात हैं।

अब शहर के मुख्य बाजार वाले थाने कोतवाली की बात करें तो यहां 48 सिपाहियों की कमी है, जबकि सबसे ज्यादा अपराध वाले मुरार थाने में 124 स्वीकृत बल में से 88 पुलिसकर्मियों का बल ही उपलब्ध है। ग्वालियर में 26, इंदरगंज में 24 और माधोगंज में 22 सिपाही कम है। यानि यहां पुलिसकर्मी जाना ही नहीं चाहते।

कहां कौन ज्यादा: जनकगंज थाने में 7 हेड कांस्टेबल, इंदरगंज में 7 हेड कांस्टेबल, बहोड़ापुर में 5 हेड कांस्टेबल, गिरवाई में 8 हेड कांस्टेबल, कोतवाली में 14 हेड कांस्टेबल स्वीकृत पदों से ज्यादा हैं।

शहर के यह आराम वाला थाना : महिला थाना और अजाक थाना, यहां अपराध बहुत कम पंजीबद्ध होता है। महिला थाने में 29 का बल स्वीकृत है, लेकिन यहां 37 पुलिसकर्मी पदस्थ हैं।

ग्लैमर वाला थाना: क्राइम ब्रांच शहर का ग्लैमर वाला थाना है। यहां स्वीकृत पद से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। क्राइम ब्रांच में 24 सिपाही के पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां 42 सिपाही पदस्थ हैं।

देहात में पहले बिलौआ था पहली पसंद, अब बिजौली बना मलाईदार:

देहात के थानों में कभी बिलौआ पुलिसकर्मियों की पहली पसंद था, लेकिन अब बिजौली मलाईदार बन गया है। देहात का यह इकलौता थाना है, जहां स्वीकृत बल से भी ज्यादा बल तैनात है। यहां 22 का बल स्वीकृत है, लेकिन यहां 34 पुलिसकर्मी पदस्थ हैं। जबकि डबरा सिटी थाना अपराध में टाप पर है। यहां अभी तक 950 से अधिक अपराध पंजीबद्ध हो चुके हैं, लेकिन फिर भी यहां स्वीकृत बल भी उपलब्ध नहीं है। वहीं भंवरपुरा थाना कोई पुलिसकर्मी जाना नहीं चाहता, यहां सबसे कम पुलिसकर्मी पदस्थ हैं।

देहात के 19 थाने में से सिर्फ 6 थाने निरीक्षक संभाल रहे हैं, बाकी सभी थाने सब इंस्पेक्टरों के हवाले हैं। यहां कई थाने तो ऐसे हैं, जो हाइवे किनारे हैं और अधिक संवेदनशील हैं, लेकिन यहां निरीक्षक को प्रभारी नहीं बनाया गया। 8 निरीक्षक अभी लाइन में पदस्थ हैं।

जानकार बोले- राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा, अधिकारी न करे तो दबाव तक डलवाते हैं पुलिसकर्मी: एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब राजनीतिक हस्तक्षेप पुलिस अधिकारियों से लेकर पुलिसकर्मियों तक की पोस्टिंग में बहुत बढ़ गया है। अगर अधिकारी बल के हिसाब से सामंजस्य बैठाने का प्रयास करें, अगर पुलिसकर्मियों को ऐसे थानों में पदस्थ न करें तो यह लोग अब अधिकारियों पर सिफारिश के लिए फोन कराते हैं, पत्र लिखवाते हैं।

गिरवाई थाना पहले चौकी हुआ करता था, इसलिए यहां थाना बनने के बाद बल संख्या अपग्रेड नहीं हुई है, इसलिए यहां स्टाफ अधिक है। बहोड़ापुर थाने में अपराध भी अधिक होता है, इसी तरह हजीरा में भी अापराधिक घटनाएं होती हैं। पुरानी छावनी, बिजौली थाने में जरूर बल अधिक है, इसकी समीक्षा की जाएगी। बाकी जहां अापराधिक घटनाएं होती हैं वहां बल की कमी नहीं आने दी जाती। अपराध के ग्राफ के हिसाब से पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग की जाती है।

…………एसएसपी

 

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