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तीसरी आंख पुलिस के लिए कितनी सहायक साबित हो रही है?
पहले अपराधी को पकड़ने का आधार मोबाइल नंबर था। अब सीसीटीवी कैमरे पुलिस के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। जब मैं 2018 में जबलपुर एसपी था, तब सीसीटीवी की मदद से 18 चेन स्नैचर को पकड़ा।
आगामी वक्त में सीसीटीवी के मद्देनजर क्या योजना बन रही है?
कोशिश है कि जल्द से जल्द कैमरों को इंटीग्रेट किया जाए, ताकि पुलिस के साथ अन्य प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों की भी फीड देख सकें। इसको लेकर काम हो चुका है। हाइटेक कैमरे लगाए जा रहे हैं।
प्रदेश में अभी कैसे और कितने कैमरे निगरानी कर रहे हैं?
अभी 12 हजार कैमरे 63 शहरों में लगे हुए हैं, जिसकी निगरानी विशेष रूप से एक्सपर्ट टीम करती है। इन कैमरों से गाड़ियों का नंबर और अन्य जरूरी चीजें भी देखी जा सकती हैं।
जबलपुर: 70 फीसदी प्राइवेट कैमरों का एक्सेस मोबाइल पर
जबलपुर में तीसरी आंख पर लोगों का इतना भरोसा है कि तंग गलियों से लेकर बड़ी कॉलोनियों तक पहरा है। पुलिस ने 128 पॉइंट पर 648 सीसीटीवी लगाए हैं। सर्राफा, गोरखपुर,, सदर बाजार समेत अन्य प्रमुख बाजारों में कैमरे लगवा रखे हैं। हर पांच से दस मीटर पर कैमरे हैं। 70% प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों का एक्सेस मोबाइल पर है।
यहां की कई बस्तियां भी कैमरों से लैस हैं।
इंदौर: सिंगापुर की कंपनी ने भी यहां के महत्व को माना
कैमरे लगाने में इंदौर काफी आगे है। सुरक्षा मापदंड पर विश्व स्तरीय सर्वे करने वाली सिंगापुर की कंपनी ने अक्टूबर में दुनियाभर की रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। इसके मुताबिक इंदौर में 1 हजार लोगों पर सीसीटीवी की डेंसिटी 62.52 है। सर्वै शहर में कैमरों की बिक्री, निजी व सरकारी स्तर पर लगाए कैमरों के आधार पर किया। घरों-प्रतिष्ठानों में कैमरों का उपयोग भी पुलिस करती है।
भोपाल: 10 किमी के दायरे में लगे 4500 से ज्यादा कैमरे
भोपाल में भी चप्पे-चप्पे पर तीसरी आंख का पहरा है। 153 चुनिंदा पॉइंट पर 781 कैमरे पुलिस की ओर से लगाए गए हैं। स्मार्ट सिटी ने 30 लोकेशन पर 300 कैमरे लगाए हैं। प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों की बात करें तो टीटीनगर के 10 किमी की रेंज में 4500 से ज्यादा कैमरे लगे हैं। पहले स्मार्ट सिटी की फीड लेने पुलिस को वहां जाना पड़ता था, लेकिन अब इंट्रीगेशन किया गया है।